अमेरिका को 'स्वर्ण युग' बनाने चले थे ट्रंप, खुद डुबो रहे हैं देश की इकोनॉमी

    डोनाल्ड ट्रंप ने जब दोबारा व्हाइट हाउस की कुर्सी संभाली थी, तब उन्होंने देश को आर्थिक रूप से एक नई ऊंचाई पर ले जाने और अमेरिका को फिर से "महान" बनाने का वादा किया था. चुनाव प्रचार में उन्होंने कहा था कि अमेरिका अब एक "स्वर्ण युग" में प्रवेश करेगा.

    Donald Trump decision on america economy bad decision taken
    Image Source: Social Media

    डोनाल्ड ट्रंप ने जब दोबारा व्हाइट हाउस की कुर्सी संभाली थी, तब उन्होंने देश को आर्थिक रूप से एक नई ऊंचाई पर ले जाने और अमेरिका को फिर से "महान" बनाने का वादा किया था. चुनाव प्रचार में उन्होंने कहा था कि अमेरिका अब एक "स्वर्ण युग" में प्रवेश करेगा. लेकिन हाल ही में सामने आए आर्थिक संकेतक ट्रंप की इन बातों को खोखला साबित कर रहे हैं.

    एपी की रिपोर्ट के अनुसार, अमेरिका की वर्तमान आर्थिक तस्वीर उम्मीद से काफी कमजोर है. मैन्युफैक्चरिंग सेक्टर में नौकरियों में गिरावट, महंगाई में तेजी और सकल घरेलू उत्पाद (GDP) में सुस्ती जैसे संकेत बता रहे हैं कि आर्थिक सुधार की बजाय स्थिति बिगड़ती जा रही है.

    आंकड़ों की नजर में अमेरिकी अर्थव्यवस्था

    अप्रैल में टैरिफ लागू करने के बाद से अब तक 37,000 से अधिक मैन्युफैक्चरिंग नौकरियां खत्म हो चुकी हैं. जून और जुलाई में नई नौकरियों की दर औसत से काफी नीचे रही केवल 73,000 नई नियुक्तियां हुईं.महंगाई दर 2.6% तक पहुंच गई है, जिससे आवश्यक वस्तुओं की कीमतों में खासा उछाल आया है. GDP वृद्धि दर अब 1.3% पर है, जो पिछले वर्ष के 2.8% से काफी कम है.

    ट्रंप की प्रतिक्रिया दावों की पुनरावृत्ति, सबूत नदारद

    ट्रंप ने इन आंकड़ों को सिरे से खारिज करते हुए कहा है कि अमेरिकी अर्थव्यवस्था तेज़ी से बढ़ रही है. अपने सोशल मीडिया प्लेटफॉर्म 'ट्रुथ सोशल' पर उन्होंने लिखा, "हमारे देश की अर्थव्यवस्था मज़बूत है और आंकड़ों को राजनीतिक उद्देश्य के लिए तोड़ा-मरोड़ा नहीं जा सकता." हालांकि उन्होंने इस दावे के समर्थन में कोई ठोस डेटा पेश नहीं किया. गौर करने वाली बात यह है कि जब रोजगार से जुड़े आंकड़े निराशाजनक आए, तो ट्रंप ने उस एजेंसी के प्रमुख को ही हटा दिया, जो ये रिपोर्ट तैयार करती है.

    नीतियों का उल्टा असर या आने वाली आर्थिक चुनौती?

    ट्रंप प्रशासन ने टैरिफ, टैक्स कटौती और खर्चों में बदलाव जैसे कई आर्थिक फैसले लिए हैं. हालांकि इन नीतियों का असर कुछ महीनों बाद स्पष्ट होगा, लेकिन रिपब्लिकन रणनीतिकार एलेक्स कॉनेंट के मुताबिक, इसका असर 2026 तक देखने को मिलेगा, जो कि फिर एक चुनावी वर्ष होगा. ऐसे में यदि मध्यम वर्ग को इन फैसलों से राहत नहीं मिलती, तो ट्रंप को भारी राजनीतिक नुकसान उठाना पड़ सकता है.

    जनता का विश्वास डगमगाया

    जुलाई में हुए एक सर्वे के मुताबिक, केवल 38% अमेरिकी नागरिक ट्रंप की आर्थिक नीतियों से संतुष्ट हैं. यह आंकड़ा उनके पहले कार्यकाल के अंत की तुलना में 12% कम है. साफ है कि अमेरिकी जनता को ट्रंप के वादों और ज़मीनी हकीकत के बीच गहरी खाई नजर आ रही है.

    व्हाइट हाउस का पलटवार—"अच्छे दिन आने वाले हैं"

    हालांकि इन आंकड़ों के बावजूद व्हाइट हाउस का दावा है कि देश सही दिशा में जा रहा है. राष्ट्रपति कार्यालय के प्रवक्ता कुश देसाई ने कहा कि ट्रंप द्वारा लाए गए ढांचागत सुधार धीरे-धीरे असर दिखा रहे हैं और अगले कुछ वर्षों में इनके सकारात्मक परिणाम सामने आएंगे. उन्होंने कहा, “राष्ट्रपति ट्रंप की नीतियां—चाहे वो टैक्स में राहत हो या व्यापार को बढ़ावा देने वाली रणनीति अभी पूरी तरह लागू नहीं हुई हैं. लेकिन जब ये सक्रिय रूप से असर करेंगी, तो अमेरिका एक बार फिर आर्थिक समृद्धि के शिखर पर होगा.”

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