Floods in Pakistan: पाकिस्तान के कई इलाकों में मूसलाधार बारिश और नदियों के उफान के कारण भयावह बाढ़ का प्रकोप देखने को मिल रहा है. खासकर पंजाब प्रांत में हालात गंभीर बने हुए हैं, जहां रावी, सतलुज और चिनाब नदियों ने रौद्र रूप ले लिया है. इस प्राकृतिक आपदा के बीच पाकिस्तान की शहबाज शरीफ सरकार ने भारत पर गंभीर आरोप लगाए हैं.
योजना और विकास मंत्री अहसान इकबाल ने दावा किया है कि भारत ने जानबूझकर अपने बांधों से पानी छोड़ा है, जिससे पाकिस्तान में जलभराव और तबाही की स्थिति उत्पन्न हुई. एक टीवी कार्यक्रम में बोलते हुए इकबाल ने कहा, “भारत अब पानी को हथियार की तरह इस्तेमाल करने लगा है. यह जल आक्रामकता का उदाहरण है, जिससे हमारे नागरिकों की जान को खतरा पैदा हो गया है.”
भारत पानी छोड़ रहा है, आपदाएं राजनीति से ऊपर होती हैं
इकबाल ने यह भी आरोप लगाया कि भारत ने पाकिस्तान को पानी छोड़े जाने की कोई पूर्व सूचना नहीं दी. उन्होंने कहा कि प्राकृतिक आपदाएं राजनीति से ऊपर होती हैं, और दोनों देशों को जल संसाधनों के मसले पर सहयोग की भावना रखनी चाहिए. हालांकि, इकबाल के इन आरोपों को उसी देश के वरिष्ठ पत्रकार रऊफ क्लासरा ने सिरे से खारिज कर दिया.
उन्होंने सरकार को कटघरे में खड़ा करते हुए पूछा कि अगर भारत ने पानी छोड़ा, तो क्या उसी ने पाकिस्तान के बाढ़ संभावित इलाकों में हाउसिंग सोसायटियां बनाने के लिए भी कहा था? क्लासरा ने स्पष्ट किया कि इस तबाही की जड़ में वर्षों से चली आ रही खराब योजना और ग़लत शहरीकरण नीतियां हैं, जिनकी ज़िम्मेदारी सीधे तौर पर पंजाब प्रांत की सत्ताधारी पार्टी पीएमएल-एन की बनती है.
पानी छोड़ने से पहले दी गई थी जानकारी
भारत की ओर से बाढ़ से संबंधित सूचना साझा करने का मुद्दा भी चर्चा में रहा. रिपोर्ट्स के अनुसार, भारत ने 25 अगस्त को राजनयिक चैनल के ज़रिए पाकिस्तान को पानी की स्थिति से अवगत कराया था. हालांकि, यह सूचना सिंधु जल संधि के पारंपरिक ढांचे के तहत नहीं दी गई थी, क्योंकि भारत ने अप्रैल में जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद इस संधि को अस्थायी रूप से स्थगित कर दिया था. ज्ञात हो कि इस हमले में 26 निर्दोष नागरिकों की मौत हुई थी, जिसके बाद भारत ने पाकिस्तान और पीओके में स्थित आतंकी अड्डों पर जवाबी कार्रवाई की थी. इस घटना के बाद भारत-पाकिस्तान संबंधों में फिर से तनाव बढ़ गया है.
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