मध्य पूर्व में तनाव की चिंगारी एक बार फिर भड़क गई है. इजरायल के प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू ने वेस्ट बैंक को लेकर एक ऐसा बयान दिया है, जिसने न केवल फिलिस्तीन की राज्य की उम्मीदों को झटका दिया है, बल्कि अरब देशों की नाराजगी को भी और गहरा कर दिया है.
गुरुवार को एक इजरायली बस्ती परियोजना के उद्घाटन कार्यक्रम में नेतन्याहू ने स्पष्ट तौर पर कहा, "यह ज़मीन हमारी है." इसके साथ ही उन्होंने यह भी दो टूक कहा कि "अब कोई फिलिस्तीनी राज्य नहीं बनेगा." यह बयान अंतरराष्ट्रीय मंच पर विवाद का कारण बनता दिख रहा है.
अरब देशों में आक्रोश गहराता जा रहा है
यह बयान ऐसे समय आया है जब पहले से ही कतर पर इजरायली हवाई हमले को लेकर अरब जगत में गहरा आक्रोश है. हाल ही में दोहा में हुए हमले में हमास के कई वरिष्ठ सदस्य और कतर की सेना का एक जवान मारा गया था. इससे क्षेत्रीय तनाव चरम पर पहुंच गया है. कई विश्लेषकों का मानना है कि नेतन्याहू के इस बयान से फिलिस्तीन-समर्थक देशों की नाराज़गी और बढ़ सकती है, जो पहले ही इजरायल की कार्रवाईयों को अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन मानते आए हैं.
कतर में इजरायली हमले ने बढ़ाई बेचैनी
मंगलवार को इजरायल ने कतर की राजधानी दोहा में एक हवाई हमला किया था, जिसमें हमास नेताओं के एक ठिकाने को निशाना बनाया गया. इस हमले में हमास के पांच प्रमुख सदस्य और कतर की सेना का एक जवान मारे गए. मारे गए लोगों में हमास नेता खलील अल-हय्या के बेटे हमाम, हमास वार्ता कार्यालय के प्रमुख जिहाद लबाद, बॉडीगार्ड अहमद ममलूक, अब्दुल्ला अब्देलवाहद, और मुमेन हसौं शामिल थे. इसके अलावा कतर के लांस कॉर्पोरल बद्र साद अल-दोसरी की भी मौत हुई.
हमास का तीखा पलटवार: 'शांति प्रक्रिया की हत्या'
हमास ने इस हमले की कड़ी निंदा की और इसे "पूरी वार्ता प्रक्रिया की हत्या" करार दिया. संगठन ने यह भी आरोप लगाया कि अमेरिका इस हमले में इजरायल के साथ शामिल था. हमले के तुरंत बाद कई अरब देशों ने कतर के समर्थन में आवाज़ उठाई और इजरायल की आलोचना की. कतर में अमेरिका का सबसे बड़ा सैन्य अड्डा मौजूद है, ऐसे में इस हमले को लेकर अमेरिका की भूमिका पर भी सवाल उठने लगे हैं.
अमेरिका ने खुद को बताया अनजान
व्हाइट हाउस ने हमले के बाद एक बयान जारी करते हुए स्पष्ट किया कि अमेरिकी राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप को इस कार्रवाई की पहले से कोई जानकारी नहीं थी. ट्रंप ने दावा किया कि जैसे ही उन्हें इसकी सूचना मिली, उन्होंने अपने दूत को निर्देश दिया कि कतर को तत्काल जानकारी दी जाए. इस स्पष्टीकरण के बावजूद, क्षेत्रीय समीकरणों में दरार गहराती दिख रही है और अरब देशों में अमेरिका की भूमिका को लेकर संदेह बढ़ रहा है.
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