ISRO Gaganyaan Drogue Parachute: भारतीय अंतरिक्ष अनुसंधान संगठन (ISRO) ने मानव अंतरिक्ष उड़ान कार्यक्रम ‘गगनयान’ के लिए एक और महत्वपूर्ण सफलता हासिल की है. चंडीगढ़ स्थित DRDO की टर्मिनल बैलिस्टिक रिसर्च लैबोरेटरी (TBRL) में स्थित रेल ट्रैक रॉकेट स्लेड (RTRS) फैसिलिटी में ISRO ने गगनयान क्रू मॉड्यूल के ड्रोग पैराशूट तैनाती परीक्षण को सफलतापूर्वक पूरा किया. यह परीक्षण मिशन गगनयान के लिए पैराशूट सिस्टम को योग्य ठहराने की दिशा में एक बड़ी उपलब्धि मानी जा रही है.
ISRO ने 20 दिसंबर, 2025 को इस परीक्षण की जानकारी दी और बताया कि यह परीक्षण 18 और 19 दिसंबर को दो चरणों में किया गया था. दोनों परीक्षणों ने सभी पूर्व निर्धारित उद्देश्यों को पूरा किया और ड्रोग पैराशूट की परफॉर्मेंस तथा विश्वसनीयता को चुनौतीपूर्ण उड़ान परिस्थितियों में भी साबित किया. इस सफलता के साथ यह स्पष्ट हो गया है कि गगनयान क्रू मॉड्यूल का डिसेलेरेशन सिस्टम अंतरिक्ष से पृथ्वी पर सुरक्षित लौटने के लिए पूरी तरह तैयार है.
Heartening to note that India has moved one more step closer to its first Human Space mission #Gaganyaan.
— Dr Jitendra Singh (@DrJitendraSingh) December 20, 2025
ISRO successfully completed the Drogue Parachute Deployment Qualification Tests for the Gaganyaan Crew Module at the RTRS facility of TBRL, Chandigarh, during 18–19 December… pic.twitter.com/ci47TQDaoA
गगनयान क्रू मॉड्यूल में पैराशूट सिस्टम की संरचना
गगनयान क्रू मॉड्यूल का डिसेलेरेशन सिस्टम अत्यंत जटिल और मल्टी-स्टेज पैराशूट असेंबली है. इसमें कुल 10 पैराशूट शामिल हैं, जिन्हें चार अलग-अलग प्रकारों में विभाजित किया गया है. लैंडिंग प्रक्रिया की शुरुआत दो एपेक्स कवर सेपरेशन पैराशूट्स की तैनाती से होती है, जो मॉड्यूल के पैराशूट कंपार्टमेंट के सुरक्षात्मक कवर को हटा देते हैं. इसके बाद दोनों ड्रोग पैराशूट तैनात होते हैं. ये पैराशूट मॉड्यूल को स्थिर करते हैं और उसकी गति को कम कर मुख्य पैराशूट के सुरक्षित खुलने के लिए अनुकूल स्थिति बनाते हैं.
ड्रोग पैराशूट्स के बाद तीन पायलट पैराशूट तैनात किए जाते हैं, जिनका कार्य मुख्य पैराशूट की तैनाती के लिए तैयार करना और मॉड्यूल को नियंत्रित गति पर लाना होता है. मुख्य पैराशूट अंतिम चरण में क्रू मॉड्यूल की गति को नियंत्रित करके सुरक्षित और नियंत्रित लैंडिंग सुनिश्चित करता है.
ड्रोग पैराशूट की अहमियत
ISRO ने इस परीक्षण के महत्व को उजागर करते हुए बताया कि ड्रोग पैराशूट मानव अंतरिक्ष उड़ान के दौरान क्रू मॉड्यूल को वायुमंडल में स्थिर करने में केंद्रीय भूमिका निभाते हैं. “ड्रोग पैराशूट न केवल मॉड्यूल को स्थिर करते हैं, बल्कि इसकी स्पीड को कम करके मुख्य पैराशूट की तैनाती के लिए उपयुक्त स्तर पर लाते हैं. यह पूरी प्रक्रिया क्रू मॉड्यूल की सुरक्षित लैंडिंग सुनिश्चित करती है,” ISRO ने कहा.
गगनयान मिशन की दिशा में कदम
गगनयान मिशन भारत के अंतरिक्ष इतिहास में एक महत्वपूर्ण पड़ाव है. यह मिशन भारत को उन चुनिंदा देशों की सूची में शामिल करेगा, जिन्होंने अपने अंतरिक्ष यात्री को पृथ्वी की कक्षा से सुरक्षित वापस लाने की क्षमता हासिल की है. इस सफलता के साथ यह स्पष्ट हो गया है कि ISRO ने अपने तकनीकी और वैज्ञानिक परीक्षणों में और भी मजबूती हासिल कर ली है.
ड्रोग पैराशूट परीक्षण की सफलता से यह भी संकेत मिलता है कि मिशन गगनयान के लिए तैयारियां अपने अंतिम चरण में हैं और मानव अंतरिक्ष उड़ान की दिशा में यह एक महत्वपूर्ण मील का पत्थर साबित होगा. भविष्य में यह तकनीक न केवल भारत के मानव अंतरिक्ष कार्यक्रम को मजबूत करेगी, बल्कि वैश्विक अंतरिक्ष अनुसंधान में भी ISRO की प्रतिष्ठा को और बढ़ाएगी.
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