निर्मला सीतारमण के अमेरिका पहुंचते ही चीन का माथा ठनका, टैरिफ की 'मार' से आहत ड्रैगन ने क्या कह दिया?

    भारत की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण रविवार को अपने पांच दिवसीय अमेरिकी दौरे पर सैन फ्रांसिस्को इंटरनेशनल एयरपोर्ट पहुंचीं. 20 अप्रैल से 25 अप्रैल तक चलने वाले इस दौरे के दौरान वो कई अहम बैठकों और कार्यक्रमों में हिस्सा लेंगी.

    Nirmala Sitharaman reached America China
    निर्मला सीतारमण | Photo: ANI

    भारत की वित्त मंत्री निर्मला सीतारमण रविवार को अपने पांच दिवसीय अमेरिकी दौरे पर सैन फ्रांसिस्को इंटरनेशनल एयरपोर्ट पहुंचीं. 20 अप्रैल से 25 अप्रैल तक चलने वाले इस दौरे के दौरान वो कई अहम बैठकों और कार्यक्रमों में हिस्सा लेंगी. लेकिन, जैसे ही भारत-अमेरिका के आर्थिक रिश्तों को लेकर उम्मीदें बननी शुरू हुईं, वैसे ही चीन ने एक कड़ी चेतावनी देकर वैश्विक व्यापार जगत में हलचल मचा दी.

    दरअसल, चीन ने उन देशों को साफ तौर पर आगाह किया है जो अमेरिका से टैरिफ यानी व्यापारिक शुल्क से छूट पाने की कोशिश कर रहे हैं. चीन का सीधा संदेश है – अमेरिका से लाभ के लिए चीन के हितों की बलि न दी जाए. चीन का यह बयान ऐसे समय आया है जब अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप द्वारा लगाए गए भारी आयात शुल्कों से बचने की जुगत में कई देश लगे हुए हैं. हालांकि इन शुल्कों को फिलहाल जुलाई तक के लिए टाल दिया गया है.

    चीन पीछे हटने वाला नहीं

    चीनी वाणिज्य मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि अगर कोई देश केवल अपने फायदे के लिए अमेरिका से समझौता करता है और उस समझौते में चीन का नुकसान होता है, तो यह किसी शेर से सौदा करने जैसा है, जो अंत में सभी को नुकसान पहुंचाएगा. चीन ने स्पष्ट किया कि वह उन देशों की कोशिशों का सम्मान करता है जो अमेरिका के साथ व्यापारिक तनाव को सुलझाना चाहते हैं, लेकिन उन्हें निष्पक्ष रहना होगा और "इतिहास के सही पक्ष में" खड़ा होना होगा.

    चीनी मंत्रालय ने इस बात पर भी आपत्ति जताई कि ट्रंप प्रशासन कथित तौर पर अन्य देशों पर दबाव बना रहा है कि वे चीन से व्यापार कम करें और चीनी उत्पादों पर शुल्क लगाएं. इसके जवाब में चीन ने अमेरिका से आने वाले उत्पादों पर टैक्स बढ़ा दिया है और दो टूक कहा है कि अगर अमेरिका ने व्यापार युद्ध को और आगे बढ़ाया, तो वह भी पीछे हटने वाला नहीं है.

    चीन के साथ एक “बेहद अच्छा” व्यापार समझौता संभव

    इस बीच, अमेरिका के एक वरिष्ठ अधिकारी स्कॉट बेसेन्ट ने बताया कि अब तक 70 से अधिक देशों ने अमेरिका के साथ व्यापारिक समझौतों पर चर्चा में रुचि दिखाई है. जापान और दक्षिण कोरिया जैसे देश पहले ही अमेरिका के साथ बातचीत शुरू कर चुके हैं, ताकि अपने मुख्य उत्पादों जैसे स्टील और ऑटोमोबाइल्स पर छूट हासिल कर सकें.

    दिलचस्प बात यह है कि अमेरिका के साथ व्यापारिक तनाव को बढ़ाने के बावजूद ट्रंप प्रशासन का दावा है कि चीन के साथ एक “बेहद अच्छा” व्यापार समझौता संभव है. लेकिन, चीन इसे अमेरिका की "साम्राज्यवादी सोच" और "धमकी भरी नीति" का हिस्सा मानता है.

    ऐसे माहौल में जब चीन, अमेरिका और अन्य बड़े देश आपसी व्यापार को लेकर आमने-सामने हैं, भारत की वित्त मंत्री का यह अमेरिका दौरा काफी अहम हो गया है. न केवल यह भारत के लिए आर्थिक अवसरों को बढ़ा सकता है, बल्कि वैश्विक मंच पर भारत की भूमिका को लेकर भी यह यात्रा निर्णायक साबित हो सकती है. अब देखना यह है कि सीतारमण की मुलाकातें और चर्चाएं इस बदले वैश्विक समीकरण में भारत को कहां खड़ा करती हैं.

    ये भी पढ़ेंः PM मोदी का सऊदी अरब दौरा, मोहम्मद बिन सलमान से करेंगे मुलाकात; जानिए किन मुद्दों पर होगी बात