अमेरिका में इस शख्स से मिले नेतन्याहू, हिल गया पूरा मीडिल ईस्ट; अब क्या करेंगे अरब देश?

    Israel-UAE Friendship: संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) के 80वें सत्र में गाजा संघर्ष को लेकर जब एक के बाद एक अरब देश इजरायल के खिलाफ खुलकर विरोध दर्ज करा रहे थे, तब संयुक्त अरब अमीरात (UAE) ने एक अलग ही राह चुनी.

    Netanyahu UAE Foreign Minister Sheikh Abdullah bin Zayed in the US Middle East
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    Israel-UAE Friendship: संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) के 80वें सत्र में गाजा संघर्ष को लेकर जब एक के बाद एक अरब देश इजरायल के खिलाफ खुलकर विरोध दर्ज करा रहे थे, तब संयुक्त अरब अमीरात (UAE) ने एक अलग ही राह चुनी. जहां जॉर्डन, कतर और अल्जीरिया जैसे देशों ने इजरायली प्रधानमंत्री बेंजामिन नेतन्याहू के भाषण का बायकॉट किया, वहीं यूएई के प्रतिनिधि न केवल हॉल में मौजूद रहे, बल्कि नेतन्याहू से बंद कमरे में मुलाकात भी की.

    जैसे-जैसे गाजा में नागरिकों की मौत का आंकड़ा बढ़ रहा है, यूएई का यह रुख कई सवाल खड़े कर रहा है. क्या यह अब्राहम समझौते की वजह से है या फिर यूएई किसी नई क्षेत्रीय भूमिका की तैयारी में है? जबकि अन्य अरब देश गाजा में इजरायल की कार्रवाई पर आक्रोश जता रहे हैं, यूएई ने बातचीत और कूटनीति के जरिये समाधान की वकालत की है.

    नेतन्याहू से मुलाकात में क्या हुआ?

    एक आधिकारिक बयान के मुताबिक, अबू धाबी में प्रधानमंत्री नेतन्याहू और यूएई विदेश मंत्री शेख अब्दुल्ला बिन जायद के बीच बैठक में “गाजा में युद्धविराम, नागरिकों की रक्षा और क्षेत्रीय तनाव को कम करने” जैसे मुद्दों पर गंभीर चर्चा हुई. यूएई ने साफ कहा कि वह “टू-स्टेट सॉल्यूशन और मानवीय सहायता” के लिए प्रतिबद्ध है.

    बायकॉट से दूर यूएई: अरब देशों में छिड़ी बहस

    नेतन्याहू के भाषण के दौरान जहां कई अरब प्रतिनिधि हॉल छोड़कर चले गए, वहीं यूएई के प्रतिनिधि वहीं बैठे रहे. इस फैसले को लेकर अरब जगत में मिली-जुली प्रतिक्रिया है. एक पक्ष इसे अब्राहम समझौते के तहत निरंतर संवाद की नीति मान रहा है. दूसरा पक्ष इसे गाजा में हो रहे अत्याचारों की अनदेखी और सामूहिक अरब एकता के साथ ग़द्दारी मान रहा है.

    यूएई की रणनीति, अलगाव नहीं, संवाद

    यूएई के इस कदम से यह संदेश जरूर गया है कि वो संघर्ष के बीच भी बातचीत का रास्ता बंद नहीं करना चाहता. यह नीति बताती है कि कूटनीतिक मंचों पर मौजूद रहकर, विरोध दर्ज करने से कहीं ज़्यादा प्रभावी हो सकता है समाधान खोजने की कोशिश करना.

    क्या कहता है यूएई विदेश मंत्रालय का बयान?

    यूएई ने आधिकारिक पोस्ट में कहा, “गाजा में युद्ध को तत्काल समाप्त करने, नागरिकों को राहत पहुंचाने और एक स्थायी युद्धविराम की आवश्यकता है.” साथ ही, उन्होंने यह भी कहा, “यूएई, टू-स्टेट सॉल्यूशन के साथ-साथ एक समावेशी और न्यायसंगत शांति प्रक्रिया का पूरा समर्थन करता है.”

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