Navratri 2025 Day 6, Maa Katyayani: मां दुर्गा का छठा रूप मां कात्यायनी हैं, जिनकी पूजा नवरात्रि के छठे दिन की जाती है. उनका नाम ऋषि कात्यायन से जुड़ा हुआ है, क्योंकि वे ऋषि कात्यायन के घर जन्मी थीं. मां कात्यायनी की पूजा से धर्म, अर्थ, काम और मोक्ष—इन चारों पर विजय प्राप्त करने की शक्ति मिलती है. नवरात्रि में विशेष रूप से उनकी पूजा का महत्व है. मान्यता है कि इस दिन मां कात्यायनी की पूजा करने से भक्तों को शक्ति और साहस मिलता है, और कुंवारे लड़के-लड़कियों को योग्य जीवनसाथी की प्राप्ति होती है.
मां कात्यायनी का स्वरूप
मां कात्यायनी का स्वरूप सुनहरे रंग का है, और उनके चार भुजाएं हैं. वे शेर पर सवार रहती हैं और हमेशा युद्ध के लिए तैयार रहती हैं. उनके तेज़ की तुलना देवताओं के तेज़ से की जाती है. दाहिनी ओर के ऊपर वाले हाथ में वे आशीर्वाद देती हैं, जबकि नीचे वाले हाथ में वे वरदान देती हैं. बायीं ओर के ऊपर वाले हाथ में वे चंद्रहास नाम की तलवार पकड़े हैं और नीचे वाले हाथ में कमल का फूल है.
कात्यायनी की पूजा का महत्व
ब्रजभूमि में देवी कात्यायनी की पूजा विशेष रूप से होती है. राधारानी और गोपियों ने भगवान श्रीकृष्ण को पति रूप में पाने के लिए देवी कात्यायनी की पूजा की थी. देवी ने उन्हें वरदान दिया, लेकिन भगवान श्रीकृष्ण एक ही थे, और गोपियां कई थीं, इसलिए यह संभव नहीं था. भगवान कृष्ण ने देवी के इस वरदान को पूरा करने के लिए महारास किया.
मां कात्यायनी को प्रिय भोग
मां कात्यायनी को पीला रंग बहुत पसंद है, इसलिए भक्त उन्हें पीले रंग की मिठाई अर्पित करते हैं. इसके अलावा, शहद से बना हलवा भी मां को प्रिय है. आप सूजी का हलवा बनाकर उसमें शहद मिलाकर भी अर्पित कर सकते हैं. ऐसा करने से मां की कृपा प्राप्त होती है.
पूजा विधि
आज मां कात्यायनी की पूजा का दिन है. भक्त सूर्योदय से पहले स्नान करके, पीले या लाल वस्त्र पहनकर पूजा करते हैं. पूजा स्थल को गंगाजल से शुद्ध करके, कलश का पूजन किया जाता है. फिर मां को वस्त्र अर्पित किए जाते हैं, और घी का दीपक जलाया जाता है. इसके बाद रोली से तिलक, अक्षत, धूप और पीले फूल अर्पित किए जाते हैं. मां को पान के पत्ते पर शहद और बताशे में लौंग रखकर भोग अर्पित किया जाता है. अंत में कपूर जलाकर मां कात्यायनी की आरती की जाती है.
मां कात्यायनी की आरती
जय जय अम्बे, जय कात्यायनी।
जय जगमाता, जग की महारानी।
बैजनाथ स्थान तुम्हारा।
वहां वरदाती नाम पुकारा।
कई नाम हैं, कई धाम हैं।
यह स्थान भी तो सुखधाम है।
हर मंदिर में जोत तुम्हारी।
कहीं योगेश्वरी महिमा न्यारी।
हर जगह उत्सव होते रहते।
हर मंदिर में भक्त हैं कहते।
कात्यायनी रक्षक काया की।
ग्रंथि काटे मोह माया की।
झूठे मोह से छुड़ाने वाली।
जय जय अम्बे, जय कात्यायनी।
जय जगमाता, जग की महारानी।अपना नाम जपाने वाली।
बृहस्पतिवार को पूजा करियो।
ध्यान कात्यायनी का धरियो।
हर संकट को दूर करेगी।
भंडारे भरपूर करेगी।
जो भी मां को भक्त पुकारे।
कात्यायनी सब कष्ट निवारे।
जय जय अम्बे, जय कात्यायनी।
जय जगमाता, जग की महारानी।
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