नेपीदॉ/वॉशिंगटन: जब दुनिया के ज्यादातर देश अमेरिका के 40% टैरिफ के फैसले पर असंतोष जता रहे हैं, तब म्यांमार की सैन्य सरकार इस पर अलग ही रुख दिखा रही है. सैन्य प्रमुख मिन आंग ह्लाइंग ने इस टैरिफ को “सम्मान” बताया है और अमेरिका के पूर्व राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप की खुलकर तारीफ की है.
ह्लाइंग का मानना है कि ट्रंप प्रशासन द्वारा म्यांमार को टैरिफ लेटर भेजना इस बात का संकेत है कि अमेरिका सैन्य सरकार को एक “वैध ताकत” के रूप में मान्यता दे रहा है. उन्होंने ट्रंप की “निर्णायक लीडरशिप” की सराहना करते हुए अमेरिका-म्यांमार संबंधों में सुधार की उम्मीद जताई है.
अमेरिका से प्रतिबंधों में ढील की अपील
अपने पत्र में ह्लाइंग ने ट्रंप से अपील की कि वे म्यांमार पर लगे प्रतिबंधों को कम करें या हटाएं. उनका कहना है कि इस तरह के प्रतिबंध दोनों देशों के व्यापार और कूटनीतिक रिश्तों को नुकसान पहुंचाते हैं. उन्होंने सुझाव दिया कि टैरिफ को 40% से घटाकर 10-20% कर देना चाहिए.
इसके साथ ही उन्होंने संकेत दिया कि म्यांमार, अमेरिका के साथ संपर्क बढ़ाने को तैयार है और एक उच्च स्तरीय प्रतिनिधिमंडल जल्द ही बातचीत के लिए भेजा जा सकता है.
ट्रंप की मीडिया नीति की भी तारीफ
सिर्फ व्यापार नहीं, ह्लाइंग ने ट्रंप द्वारा स्वतंत्र मीडिया संगठनों पर की गई कार्रवाइयों की भी सराहना की है. उन्होंने कहा कि रेडियो फ्री एशिया और वॉयस ऑफ अमेरिका जैसे संस्थानों की फंडिंग में कटौती “सही फैसला” थी क्योंकि ये संगठन “संघर्ष और अस्थिरता” को बढ़ावा दे रहे थे.
फंडिंग कटौती के चलते इन मीडिया संगठनों ने बर्मी भाषा में प्रसारण बंद कर दिए हैं, जिसे म्यांमार की सैन्य सरकार अपनी कूटनीतिक जीत के तौर पर देख रही है.
क्या बदल रही है अमेरिका की म्यांमार नीति?
CNN की रिपोर्ट के मुताबिक, अमेरिकी मीडिया और विश्लेषक अब यह सवाल उठा रहे हैं कि क्या ट्रंप के लेटर और म्यांमार की प्रतिक्रिया से अमेरिका की म्यांमार नीति में बदलाव के संकेत मिल रहे हैं. हालांकि, अमेरिकी दूतावास ने अब तक इस पर कोई आधिकारिक प्रतिक्रिया नहीं दी है.
2021 का तख्तापलट और गृहयुद्ध
याद दिला दें कि म्यांमार में 1 फरवरी 2021 को सेना ने लोकतांत्रिक रूप से चुनी गई सरकार को हटाकर सत्ता हथिया ली थी. इस कदम के बाद देश में गृहयुद्ध छिड़ गया. सेना ने आंग सान सू की सहित तमाम नेताओं को हिरासत में लिया, और चुनावों में धांधली का आरोप लगाया.
इसके जवाब में नेशनल यूनिटी गवर्नमेंट (NUG) और पीपल्स डिफेंस फोर्स (PDF) जैसे समूहों ने विरोध शुरू किया. देश में जातीय सशस्त्र संगठनों (EAOs) के साथ सेना की लड़ाई लगातार तेज हो रही है.
मानवीय संकट और युद्ध अपराध के आरोप
गृहयुद्ध के चलते म्यांमार गंभीर मानवीय संकट से गुजर रहा है:
संयुक्त राष्ट्र ने भी म्यांमार की सैन्य सरकार को जवाबदेह ठहराने की मांग की है. पश्चिमी देशों—अमेरिका, यूरोपीय संघ और ब्रिटेन—ने म्यांमार के सैन्य नेतृत्व पर कड़े प्रतिबंध लगाए हुए हैं.
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