भारत के साथ तनाव और 'ऑपरेशन सिंदूर' के साये के बीच पाकिस्तान के सबसे ताकतवर शख्स, फील्ड मार्शल असीम मुनीर को अमेरिका ने खास न्योता भेजा है. 14 जून को होने वाले यूएस आर्मी डे के जश्न में उन्हें आमंत्रित किया गया है. पाकिस्तानी सेना प्रमुख 12 जून को वाशिंगटन पहुंच सकते हैं, जहां उनकी मुलाकात अमेरिकी सैन्य और रणनीतिक नेतृत्व से होने जा रही है.
यह दौरा सिर्फ एक सैन्य रस्म-अदायगी नहीं है—इसके पीछे कई कूटनीतिक, आर्थिक और सामरिक समीकरण छिपे हैं, जिन पर नजर डालना जरूरी है.
चीन, भारत और आतंकवाद पर वार्ता तय
अमेरिका के पूर्व अफगानिस्तान विशेष दूत जल्मे खलिलजाद के मुताबिक, मुनीर और अमेरिकी अधिकारियों की बातचीत में तीन मुद्दे हावी रहेंगे:
अमेरिका चाहता है कि पाकिस्तान सीमा पार आतंकवाद को रोके, ताकि दक्षिण एशिया में स्थिरता बनी रहे. दूसरी ओर, जनरल मुनीर अमेरिका को लुभाने के लिए दो बड़े ऑफर लेकर पहुंचे हैं.
खनिजों के बदले कूटनीति का सौदा?
पाकिस्तान को उम्मीद है कि इस साझेदारी से उसे न सिर्फ विदेशी निवेश मिलेगा, बल्कि बलूच विद्रोह को नियंत्रित करने में भी मदद मिलेगी. वहीं अमेरिका चीन पर अपनी आपूर्ति निर्भरता घटाना चाहता है, ऐसे में यह प्रस्ताव वाशिंगटन के लिए आकर्षक हो सकता है.
भारत पर दबाव या नई रणनीति?
पाकिस्तान चाहता है कि अमेरिका भारत को बातचीत के लिए मनाए, खासकर कश्मीर और सीमा से जुड़े मुद्दों पर. हालांकि भारत ने स्पष्ट कर दिया है कि जब तक सीमा पार आतंकवाद बंद नहीं होता, कोई बातचीत संभव नहीं.
साथ ही, अमेरिका के लिए यह चिंता का विषय है कि पाकिस्तान चीन के बेल्ट एंड रोड इनिशिएटिव (CPEC) में इतनी गहराई तक उतर चुका है कि वह अब तटस्थ नहीं रह सकता. अमेरिका की रणनीतिक गणनाओं में पाकिस्तान की यह भूमिका असहज कर रही है.
क्या चीन नाराज होगा?
अगर जनरल मुनीर अमेरिका को रेअर अर्थ मिनरल्स की सप्लाई सौंपते हैं, तो यह कदम चीन को सीधा संदेश होगा—और शायद नाराजगी भी. ऐसे में पाकिस्तान एक बार फिर उस 'डबल गेम' वाली भूमिका में दिख सकता है, जहां वो दोनों महाशक्तियों के साथ अपने समीकरण साधने की कोशिश करता है.
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