पाकिस्तानी सेना इन दिनों गंभीर संकट का सामना कर रही है. सैन्य कमांडरों द्वारा बार-बार बदलते आदेश, मानसिक थकान और पारिवारिक दबाव के कारण 100 से अधिक उच्च अधिकारी और 500 से ज्यादा सैनिकों ने इस्तीफा दे दिया है. इस सामूहिक इस्तीफे से पाकिस्तान की सुरक्षा व्यवस्था और खासकर भारत-पाक सीमा पर गहरी चिंता बढ़ गई है. पाकिस्तान के 11वीं कोर के कमांडर, लेफ्टिनेंट जनरल उमर अहमद बुखारी ने इस संकट पर सेना मुख्यालय को पत्र लिखकर गंभीर चिंता जताई है.
सेना में असमंजस और मानसिक दबाव का माहौल
पाकिस्तानी सेना में असमंजस का माहौल बन गया है, जहां सैन्य कमांडरों के बार-बार बदलते आदेशों ने सैनिकों की मानसिक स्थिति को प्रभावित किया है. अधिकारियों के अनुसार, सैन्य कमांडरों द्वारा दिए गए आदेशों में लगातार बदलाव और एक कोर से दूसरे कोर में रिपोर्टिंग के लिए किए जा रहे मनमाने आदेशों ने सैनिकों के मनोबल को तोड़ दिया है. ऐसे में सैनिकों के लिए अपनी भूमिका और जिम्मेदारियों को समझ पाना मुश्किल हो गया है.
11वीं कोर के सैनिकों की स्थिति गंभीर
11वीं कोर, जो भारत-पाक सीमा की सुरक्षा की जिम्मेदारी संभालती है, इस समय गंभीर संकट में है. लेफ्टिनेंट जनरल उमर अहमद बुखारी ने 26 अप्रैल को इस कोर के हालात की जांच की, तो यह चौंकाने वाला तथ्य सामने आया कि लगभग 100 सैन्य अधिकारियों और 500 से ज्यादा निचले रैंक के सैनिकों ने इस्तीफा दे दिया था. इससे 11वीं कोर में सैन्य बल की भारी कमी हो गई है, जो सीमा पर सुरक्षा के लिहाज से एक बड़ा संकट बन गया है.
इस्तीफों के पीछे के कारण
इस्तीफा देने वाले अधिकारियों और सैनिकों ने मुख्य रूप से तीन कारणों का हवाला दिया है—सैन्य कमांडरों के बार-बार बदलते आदेश, मानसिक थकान और पारिवारिक दबाव. इस संकट का असर पाकिस्तान के सीमा क्षेत्र में भी स्पष्ट रूप से देखा जा रहा है, जहां सैनिकों की संख्या में कमी आई है, और इसके परिणामस्वरूप कई महत्वपूर्ण सैन्य इकाइयों की क्षमता पर असर पड़ा है, जैसे पैदल सेना रेजिमेंट, पर्वतीय बटालियन और फ्रंट लाइन पर तैनात तोपखाना रेजिमेंट.
सेना मुख्यालय का सख्त रुख
लेफ्टिनेंट जनरल बुखारी ने इस संकट की गंभीरता को महसूस करते हुए सेना प्रमुख जनरल असीम मुनीर को इस स्थिति से अवगत कराया. सेना मुख्यालय ने सख्त रुख अपनाते हुए स्पष्ट किया कि इस समय इस्तीफे स्वीकार नहीं किए जाएंगे, क्योंकि यह सैन्य नियमों का उल्लंघन है. इस्तीफा देने वाले अधिकारियों और सैनिकों के खिलाफ कड़ी कार्रवाई की चेतावनी दी गई है. हालांकि, सेना मुख्यालय ने इस्तीफों की सटीक संख्या सार्वजनिक करने से मना कर दिया, जिससे स्थिति की गंभीरता पर और सवाल उठ रहे हैं.
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