एक-दूसरे का मिलिट्री बेस इस्तेमाल करेंगे भारत-रूस, पुतिन के भारत दौरे से पहले रक्षा समझौते को मंजूरी

    भारत और रूस के बीच रक्षा सहयोग का नया अध्याय खुल गया है. रूस की संसद के निचले सदन स्टेट ड्यूमा ने मंगलवार को दोनों देशों के बीच हुए ‘RELOS’ (Reciprocal Exchange of Logistics Support) समझौते को मंजूरी दे दी.

    India and Russia will use each others military bases
    प्रतिकात्मक तस्वीर/ ANI

    नई दिल्ली/मॉस्को: भारत और रूस के बीच रक्षा सहयोग का नया अध्याय खुल गया है. रूस की संसद के निचले सदन स्टेट ड्यूमा ने मंगलवार को दोनों देशों के बीच हुए ‘RELOS’ (Reciprocal Exchange of Logistics Support) समझौते को मंजूरी दे दी. इस समझौते के तहत भारत और रूस की सेनाएं एक-दूसरे के सैन्य बेस, एयरफील्ड, पोर्ट और अन्य लॉजिस्टिक सुविधाओं का इस्तेमाल कर सकेंगी.

    इस नए समझौते के अनुसार, दोनों देशों के विमान और वॉरशिप ईंधन भरने, मरम्मत कराने, स्टॉक रिफिल करने, मेडिकल सपोर्ट लेने और सैन्य बेस पर अस्थायी तौर पर तैनात रहने जैसी सुविधाओं का उपयोग कर सकेंगे. इसके लिए आवश्यक खर्चों को दोनों देश बराबर हिस्सेदारी में उठाएंगे.

    यह घोषणा रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के भारत दौरे से केवल दो दिन पहले हुई है. पुतिन 4 दिसंबर को भारत पहुंच रहे हैं और नई दिल्ली में 23वीं इंडिया-रूस वार्षिक सम्मेलन में हिस्सा लेंगे.

    RELOS समझौते का ऐतिहासिक महत्व

    RELOS समझौता भारत और रूस की रणनीतिक साझेदारी में अब तक का सबसे महत्वपूर्ण रक्षा समझौतों में से एक माना जा रहा है. यह समझौता दोनों देशों की सेनाओं को पीस-टाइम (शांतिपूर्ण समय) सहयोग के लिए सक्षम बनाता है.

    इसका मतलब है कि युद्ध या किसी सैन्य संघर्ष के दौरान इन सुविधाओं का इस्तेमाल नहीं होगा. यह केवल उन परिस्थितियों के लिए है जहां सेनाओं को लॉजिस्टिक सपोर्ट, ट्रांजिट मूवमेंट, प्रशिक्षण और तकनीकी सहयोग की जरूरत हो.

    लॉजिस्टिक सपोर्ट और पीस-टाइम कोऑपरेशन

    लॉजिस्टिक सपोर्ट: इसमें देश एक-दूसरे की सेनाओं को ईंधन, राशन, मेडिकल सपोर्ट, मरम्मत और अन्य आवश्यक सामग्रियों की आपूर्ति करेंगे.

    पीस-टाइम मिलिट्री कोऑपरेशन: शांतिपूर्ण समय में दोनों देशों की सेनाएं संयुक्त ट्रेनिंग, अभ्यास और तकनीकी सहयोग कर सकती हैं.

    विशेषज्ञों के अनुसार, यह समझौता दोनों देशों के सैन्य ढांचे और आपसी भरोसे को मजबूत करेगा. इसके जरिए आपातकालीन स्थिति में संसाधनों का आदान-प्रदान और संचालन अधिक सुचारू होगा.

    भारत की वैश्विक सैन्य साझेदारी का नया आयाम

    इस समझौते के साथ भारत ऐसा पहला देश बन गया है, जिसका रूस के साथ सैन्य इंफ्रास्ट्रक्चर साझा करने का अधिकार होगा. इससे पहले भारत ने ऐसे समझौते अमेरिका (LEMOA), फ्रांस, ऑस्ट्रेलिया, सिंगापुर और दक्षिण कोरिया के साथ किए हैं. अब रूस भी इस सूची में शामिल हो गया है.

    नौसेना प्रमुख एडमिरल दिनेश त्रिपाठी ने मीडिया को बताया कि समझौता अंतिम चरण में है और इसका उद्देश्य अमेरिका और रूस के बीच किसी भी संभावित टकराव को बढ़ावा देना नहीं है.

    पुतिन का भारत दौरा और सुरक्षा व्यवस्था

    रूसी राष्ट्रपति पुतिन 4 दिसंबर को नई दिल्ली आएंगे. वे सम्मेलन के दौरान सुरक्षा कारणों से सीक्रेट लोकेशन पर ठहरेंगे.

    सुरक्षा उपाय: दिल्ली में मल्टी-लेयर सिक्योरिटी व्यवस्था लागू होगी.

    • स्वाट टीम, एंटी-टेरर स्क्वॉड और क्विक एक्शन टीम्स राजधानी के विभिन्न इलाकों में तैनात रहेंगी.
    • रूस की सुरक्षा और प्रोटोकॉल टीम के 50 से अधिक सदस्य पहले ही भारत पहुंच चुके हैं.
    • इस दौरे में डिफेंस समझौते और नए हथियार सौदों पर सबसे ज्यादा ध्यान दिया जाएगा.

    रूस से मिलने वाले हथियार और सहयोग

    इस समझौते के साथ ही भारत और रूस के बीच कई उच्च तकनीकी रक्षा परियोजनाओं पर भी चर्चा होगी:

    • SU-57 स्टेल्थ फाइटर जेट: रूस भारत को अपना सबसे एडवांस लड़ाकू विमान देने के लिए तैयार है.
    • S-500 मिसाइल सिस्टम: भविष्य में इसके उत्पादन और सहयोग पर बातचीत की संभावना है.
    • ब्रह्मोस मिसाइल का अगला संस्करण: दोनों देशों की सेनाओं के लिए नए संस्करण का विकास.
    • संयुक्त नौसेना परियोजनाएं: वॉरशिप का निर्माण और नौसैनिक प्रशिक्षण.

    इसके अलावा भारत रूस से S-400 एयर डिफेंस सिस्टम की और डिलीवरी पर बातचीत कर रहा है. भारत ने पहले ही पांच S-400 सिस्टम्स के लिए सौदा किया था, जिनमें से तीन की डिलीवरी पूरी हो चुकी है. चौथा स्क्वाड्रन रूस-यूक्रेन युद्ध के कारण अभी रुका हुआ है.

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