खौफ की इंतेहा हो गई! ईरान के कोने-कोने में जासूस ढूंढ रहे खामेनेई, नहीं मिले तो बलूचों को बनाया निशाना

    ईरान के दक्षिण-पूर्वी सिस्तान-बालूचिस्तान प्रांत के गोनिच गांव में एक खौ़फनाक घटना हुई, जब ईरान की इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स (IRGC) ने जासूसों की तलाश में इस गांव पर हमला बोल दिया.

    Khamenei looking for spies in Iran Baloch
    खामेनेई | Photo: X/Khamenei

    ईरान के दक्षिण-पूर्वी सिस्तान-बालूचिस्तान प्रांत के गोनिच गांव में एक खौ़फनाक घटना हुई, जब ईरान की इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स (IRGC) ने जासूसों की तलाश में इस गांव पर हमला बोल दिया. 12 दिनों की संघर्ष के बाद, ईरान में जासूसों की खोज में सरकार द्वारा की जा रही कार्रवाई ने बलूच समुदाय के नागरिकों को निशाना बना लिया. इस हमले में एक 40 वर्षीय महिला की मौत हो गई और 12 अन्य लोग गंभीर रूप से घायल हो गए, जिनमें महिलाएं और बच्चे भी शामिल हैं. मानवाधिकार संगठनों के मुताबिक, यह हमला अत्यंत बर्बर और निर्दयी था, जिसमें एक गर्भवती महिला को बुरी तरह से मारा गया, जिसके कारण उसका गर्भपात हो गया.

    इजराइली जासूस नहीं, बलूच नागरिकों को निशाना

    IRGC के अधिकारियों ने दावा किया है कि उन्हें गोनिच गांव में पांच इजराइली जासूसों की मौजूदगी का सुराग मिला था, जो कथित रूप से मोसाद से जुड़े हुए थे. हालांकि, IRGC के अपने मीडिया हाउस "तस्नीम" की रिपोर्ट पर सवाल उठ रहे हैं क्योंकि न तो किसी संदिग्ध का नाम लिया गया, न ही उसकी तस्वीर दिखाई गई, और न ही किसी की गिरफ्तारी की पुष्टि की गई. इसके बावजूद, IRGC ने इस आरोप के नाम पर गांव पर छापा मारा, जिससे पूरे क्षेत्र में दहशत फैल गई. हमला इतनी बुरी तरह से हुआ कि कई लोग घायल हो गए, जिनमें कुछ का इलाज गंभीर स्थिति में जारी है.

    बलूच समुदाय पर लगातार हमले

    यह कोई पहली बार नहीं है जब ईरान में बलूच समुदाय को निशाना बनाया गया हो. बलूच, जो ईरान के एक अल्पसंख्यक समुदाय के रूप में लंबे समय से हाशिए पर हैं, अब तक कई बार ईरानी सरकार की नीतियों का शिकार हो चुके हैं. विकास की कमी, राजनीतिक अधिकारों का उल्लंघन, और लगातार सैन्य दमन ने बलूचों के जीवन को नरक बना दिया है. ताजा हमले ने एक बार फिर साबित कर दिया है कि जब भी ईरानी सरकार को अपनी सैन्य कार्रवाइयों की जरूरत महसूस होती है, वह आम नागरिकों को भी अपनी कार्रवाई का हिस्सा बना देती है.

    जासूसों का बहाना, असल मकसद दमन

    मानवाधिकार संगठनों का आरोप है कि जासूसों की तलाश केवल एक बहाना है. असल में, यह हमला बलूच समुदाय की आवाज़ को दबाने और उनके अधिकारों को कुचलने के उद्देश्य से किया गया है. संगठन ने अंतरराष्ट्रीय समुदाय से अपील की है कि गोनिच गांव में हुई इस बर्बरता की स्वतंत्र जांच कराई जाए और ईरान में हो रहे मानवाधिकार उल्लंघनों पर निगरानी रखी जाए.

    ईरान सरकार की यह कार्रवाई इस बात को फिर से साबित करती है कि वह किसी भी तरीके से अपने विपक्ष को दबाने के लिए हिंसा और सैन्य ताकत का इस्तेमाल करने से नहीं हिचकती. यह हमला न केवल बलूच समुदाय के लिए एक नया दर्द लेकर आया है, बल्कि ईरान की भीतरी राजनीति और समाज में एक बार फिर मानवाधिकारों का उल्लंघन किया गया है.

    अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रिया की आवश्यकता

    इस घटना ने अंतरराष्ट्रीय मंचों पर भी एक बार फिर ईरान के आंतरिक मामलों को चर्चा का विषय बना दिया है. मानवाधिकार संगठनों ने इस हमले की स्वतंत्र और निष्पक्ष जांच की मांग की है. यदि ईरान अपनी सैन्य कार्रवाइयों में ऐसे निर्दोष नागरिकों को निशाना बनाता रहा, तो यह पूरी दुनिया में उसकी छवि को और भी खराब करेगा. इसलिए, अब यह जरूरी हो गया है कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय इस मुद्दे पर गंभीर कदम उठाए और ईरान में हो रहे इस तरह के दमन के खिलाफ आवाज उठाए.

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