चीन और पाकिस्तान की दोस्ती जगजाहिर है, लेकिन जब बात आतंकवाद की होती है, तो भारत ने एक दृढ़ रुख अपनाया है. हाल ही में शंघाई सहयोग संगठन (SCO) की विदेश मंत्रियों की बैठक में, भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने पाकिस्तान के सामने ही चीन को यह याद दिलाया कि आतंकवाद आतंकवाद होता है—उसका कोई धर्म, जाति या सीमा नहीं. खासकर उस समय, जब पिछले साल एससीओ की रक्षा मंत्रियों की बैठक के दौरान भारत ने ज्वाइंट स्टेटमेंट पर हस्ताक्षर करने से इनकार कर दिया था, क्योंकि उसमें पहलगाम हमले को आतंकी हमला मानने से इनकार किया गया था.
लेकिन इस बार स्थिति अलग थी. एस जयशंकर ने इस बैठक में शामिल देशों के सामने पहलगाम हमले को आतंकी हमला मानते हुए यह साफ किया कि शंघाई सहयोग संगठन का उद्देश्य ही आतंकवाद और उग्रवाद से लड़ने का है. एससीओ के मंच पर पाकिस्तान की उपस्थिति के बावजूद, भारत ने चीन को पिछले वर्ष की गलती की याद दिलाते हुए आतंकवाद के खिलाफ भारत की संजीदगी को एक बार फिर स्पष्ट किया.
बैठक के मुख्य बिंदु
एस जयशंकर ने अपनी सोशल मीडिया पोस्ट में बैठक के मुख्य बिंदुओं को साझा किया. उन्होंने पहलगाम हमले के संदर्भ में संयुक्त राष्ट्र द्वारा किए गए बयान का हवाला देते हुए कहा कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर इसे भी एक आतंकवादी घटना माना गया था. विदेश मंत्री ने जोर दिया कि एससीओ की स्थापना का मुख्य उद्देश्य आतंकवाद, अलगाववाद और उग्रवाद से मुकाबला करना था. यही कारण है कि संगठन के सदस्य देशों को इन बुराइयों के खिलाफ बिना किसी समझौते के एकजुट होकर काम करना चाहिए.
एस जयशंकर ने सभी सदस्य देशों से यह आग्रह किया कि अस्थिर वैश्विक स्थिति में, सामूहिक हितों को बचाने के लिए सभी को मिलकर काम करना होगा. उन्होंने कहा, "एससीओ की स्थापना आतंकवाद, अलगाववाद और उग्रवाद के खिलाफ थी, और हम इसे अपने मूल उद्देश्य के अनुसार ही आगे बढ़ाएं."
भारत की पहलें और वैश्विक सहयोग
बैठक के दौरान भारत ने एससीओ के तहत विभिन्न पहलें पेश की, जिनमें स्टार्टअप्स और नवाचार से लेकर पारंपरिक चिकित्सा और डिजिटल सार्वजनिक बुनियादी ढांचे तक के मुद्दे शामिल थे. विदेश मंत्री ने कहा कि ये पहलें आपसी सम्मान और संप्रभु समानता के सिद्धांतों पर आधारित होनी चाहिए.
इसके अलावा, एससीओ में सदस्य देशों के बीच व्यापार और निवेश के आदान-प्रदान को बढ़ाने के लिए कई पहलें की जानी चाहिए, खासकर ट्रांजिट की कमी को दूर करने के लिए अंतरराष्ट्रीय उत्तर-दक्षिण परिवहन गलियारे का विस्तार करना. अफगानिस्तान की स्थिति को लेकर एस जयशंकर ने एससीओ देशों से विकास सहायता की अपील की, और भारत ने सुनिश्चित किया कि वह इस दिशा में कदम बढ़ाएगा.
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