ईरान के MIRV तकनीक से क्यों डर गया इजरायल? जानिए अमेरिका-रूस से क्या है कनेक्शन

    इज़रायली सेना ने दावा किया है कि उसने अपने क्षेत्र में दर्जनों ईरानी मिसाइलें बरामद की हैं, जो लक्षित स्थान तक पहुंचने के बावजूद नहीं फटीं.

    Israel afraid of Iran MIRV technology America Russia
    प्रतीकात्मक तस्वीर | Photo: Freepik

    मध्य पूर्व में चल रहे संघर्ष के बीच एक नई और खतरनाक जानकारी सामने आई है. इज़रायली सेना ने दावा किया है कि उसने अपने क्षेत्र में दर्जनों ईरानी मिसाइलें बरामद की हैं, जो लक्षित स्थान तक पहुंचने के बावजूद नहीं फटीं. इन मिसाइलों में सबसे हैरान करने वाली बात यह रही कि एक मिसाइल क्लस्टर बम से लैस थी, और इन सभी मिसाइलों के वारहेड अब भी सुरक्षित अवस्था में मौजूद हैं. इससे इज़रायल की सुरक्षा एजेंसियों में हलचल मच गई है, क्योंकि अब जांच का दायरा इस बात तक जा पहुंचा है कि क्या ईरान के पास अब MIRV यानी मल्टीपल इंडिपेंडेंटली टार्गेटेबल रीएंट्री व्हीकल तकनीक से लैस मिसाइलें मौजूद हैं.

    MIRV तकनीक बहुत ही उन्नत और जटिल

    MIRV तकनीक को अब तक कुछ ही देशों ने विकसित किया है. इनमें अमेरिका, रूस, चीन, फ्रांस, यूनाइटेड किंगडम, भारत और इज़रायल शामिल हैं. यह तकनीक किसी भी देश की परमाणु क्षमता को कहीं अधिक घातक बना देती है, क्योंकि एक ही मिसाइल से कई अलग-अलग लक्ष्यों को एकसाथ सटीकता से निशाना बनाया जा सकता है.

    जहां क्लस्टर बम का उपयोग व्यापक क्षेत्र में नरम लक्ष्यों को नष्ट करने के लिए किया जाता है, वहीं MIRV तकनीक पूरी तरह से रणनीतिक हमलों के लिए डिजाइन की गई है. क्लस्टर बम हवा में एक कंटेनर की तरह खुलता है और उसमें से दर्जनों छोटे-छोटे बम बिखर जाते हैं, जिन्हें बमलेट कहा जाता है. ये बम एक बड़े इलाके में फैलकर सैनिकों, वाहनों या ठिकानों को निशाना बनाते हैं. इन बमलेट्स में दिशा और सटीकता की कमी होती है, लेकिन उनका मकसद अधिकतम क्षेत्रीय क्षति पहुंचाना होता है.

    इसके विपरीत, MIRV तकनीक बहुत ही उन्नत और जटिल है. इस प्रणाली में एक ही मिसाइल कई स्वतंत्र वारहेड लेकर उड़ती है और जैसे ही मुख्य रॉकेट का ईंधन जल जाता है, एक ऑनबोर्ड कंप्यूटर हर वारहेड को अलग-अलग दिशाओं में पृथ्वी की ओर निर्देशित करता है. इन सभी वारहेड्स में अपनी-अपनी मार्गदर्शन प्रणाली होती है, जिससे वे अलग-अलग लक्ष्यों को बहुत ही सटीकता के साथ भेद सकते हैं. इसका सबसे बड़ा फायदा यह है कि दुश्मन को हर एक वारहेड को रोकने के लिए एक अलग इंटरसेप्टर लॉन्च करना पड़ेगा, जिससे उसकी मिसाइल डिफेंस प्रणाली पर जबरदस्त दबाव पड़ेगा.

    मिसाइलों की गहन फॉरेंसिक जांच

    MIRV तकनीक ने परमाणु रणनीति को पूरी तरह से बदल दिया है. एक मिसाइल से जब कई लक्ष्यों पर एकसाथ हमला किया जाता है, तो दुश्मन की सैन्य क्षमता को पंगु बना देना बेहद आसान हो जाता है. यही वजह है कि यह तकनीक केवल उन देशों के पास है, जो रणनीतिक परमाणु संतुलन को नियंत्रित करने की स्थिति में हैं. भारत ने हाल ही में अपनी अग्नि-V मिसाइल पर MIRV तकनीक का सफल परीक्षण किया है और इसे जल्द ही तैनात करने की दिशा में बढ़ रहा है. वहीं पाकिस्तान और उत्तर कोरिया ने इस तकनीक के परीक्षण का दावा जरूर किया है, लेकिन स्वतंत्र विशेषज्ञों के अनुसार इन दोनों देशों के पास अभी वास्तविक MIRV क्षमता नहीं है.

    इज़रायल की चिंता इस बात को लेकर है कि ईरान कहीं इस तकनीक को हासिल करने की दिशा में तो नहीं बढ़ रहा. बरामद मिसाइलों में जो संरचनात्मक विशेषताएं पाई गई हैं, उन्होंने विशेषज्ञों के कान खड़े कर दिए हैं. अगर ईरान वास्तव में MIRV क्षमता विकसित कर रहा है, तो यह सिर्फ इज़रायल ही नहीं, बल्कि पूरे क्षेत्र और दुनिया के लिए एक रणनीतिक खतरे का संकेत होगा. क्योंकि MIRV तकनीक केवल ताकत दिखाने की नहीं, बल्कि निर्णायक युद्ध छेड़ने की क्षमता होती है.

    इस समय इज़रायली रक्षा संस्थान इन मिसाइलों की गहन फॉरेंसिक जांच कर रहे हैं, और पूरी दुनिया की नजरें इस बात पर टिकी हैं कि क्या ईरान वाकई उस तकनीक की दिशा में बढ़ चुका है, जो अब तक सिर्फ वैश्विक महाशक्तियों के पास थी. अगर इस आशंका की पुष्टि होती है, तो मध्य पूर्व में शक्ति संतुलन पूरी तरह बदल सकता है और एक नया परमाणु दौड़ शुरू हो सकती है.

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