ईरान ने कराया परमाणु विस्फोट! चुपचाप कर दिया ऐसा कांड, तमाशबीन बने रह गए अमेरिका और बाकी देश

    इंटरनेशनल एटॉमिक एनर्जी एजेंसी (IAEA) की ताज़ा रिपोर्ट ने वैश्विक सुरक्षा जगत में हलचल मचा दी है.

    Iran conducted nuclear explosion America
    प्रतीकात्मक तस्वीर | Photo: Freepik

    तेहरानः एक तरफ दुनिया ईरान के साथ नई परमाणु डील की उम्मीद लगाए बैठी थी, वहीं दूसरी तरफ इंटरनेशनल एटॉमिक एनर्जी एजेंसी (IAEA) की ताज़ा रिपोर्ट ने वैश्विक सुरक्षा जगत में हलचल मचा दी है. रिपोर्ट के अनुसार, ईरान केवल यूरेनियम संवर्धन तक सीमित नहीं रहा, बल्कि उसने उस दिशा में गोपनीय प्रयोग कर लिए हैं, जो सीधे तौर पर परमाणु हथियारों के निर्माण से जुड़े हैं.

    यह खुलासा ऐसे वक्त आया है जब अमेरिका और ईरान एक संभावित न्यूक्लियर डील की ओर बढ़ रहे हैं. लेकिन अब IAEA के इस दस्तावेज ने पूरी वार्ता प्रक्रिया को गहरे संदेह के घेरे में ला दिया है.

    पुरानी फाइल से निकले खतरनाक राज

    इस रिपोर्ट की जड़ें उस "ईरानी परमाणु फाइल" में हैं, जिसे 2018 में इज़राइल की खुफिया एजेंसी मोसाद ने तेहरान से चोरी किया था. IAEA ने उसी डाटा का विश्लेषण कर जो निष्कर्ष निकाले हैं, वे दुनिया के लिए गंभीर चेतावनी साबित हो सकते हैं.

    IAEA के अनुसार, ईरान की संदिग्ध गतिविधियों की शुरुआत 2000 के दशक की शुरुआत में ही हो गई थी. दो गुप्त साइटें — लैवीज़ान-शियान और मारिवान — इस प्रोजेक्ट के केंद्र में थीं, जहां न्यूट्रॉन डिटेक्शन, इम्प्लोजन डिवाइसेज़, और विस्फोट परीक्षण जैसे परमाणु हथियार से जुड़े प्रयोग किए गए.

    इम्प्लोजन टेस्ट और परमाणु डिज़ाइन

    रिपोर्ट के अनुसार, ईरान ने साल 2003 में दो बार इम्प्लोजन टेस्ट किए — 15 फरवरी और 3 जुलाई को. यह वही तकनीक है जो परमाणु बम के कोर को संकुचित कर विस्फोट उत्पन्न करती है. इसका कोई असैन्य उपयोग नहीं होता. यही नहीं, ईरान के पास कथित तौर पर 9 परमाणु बम बनाने लायक डिजाइन और तकनीकी योजना भी तैयार है.

    वरामिन साइट पर मिला संदिग्ध रेडियोएक्टिव मटेरियल

    IAEA ने वरामिन नाम की साइट पर भी परमाणु बम निर्माण से जुड़े उपकरण और रसायन मिलने की पुष्टि की है. यहां यूरेनियम हेक्साफ्लोराइड (UF6), रेडिएशन डिटेक्टर, हाइड्रोफ्लोरिक एसिड और अन्य केमिकल्स पाए गए, जो यूरेनियम संवर्धन और हथियार निर्माण प्रक्रिया का हिस्सा माने जाते हैं.

    IAEA का कहना है कि ईरान ने इस साइट पर मौजूद पांच कंटेनरों को "अत्यधिक संदूषित" माना है, जिससे साफ होता है कि कुछ छुपाने की कोशिश की गई थी.

    गायब हुआ यूरेनियम और गुप्त भंडारण

    2009 से 2018 के बीच ईरान ने कथित रूप से परमाणु सामग्री को तुर्कुज़ाबाद नामक स्थान पर छुपाकर रखा, लेकिन अब उन सामग्रियों का कोई पता नहीं है. वहीं, Jaber Ibn Hayan नाम की प्रयोगशाला से यूरेनियम के गायब होने की पुष्टि भी इस संदिग्ध कार्यक्रम की एक और कड़ी मानी जा रही है.

    जांच में विरोधाभास, UN तक मामला पहुंचाने की मांग

    IAEA का कहना है कि ईरान ने जांच के दौरान या तो आधी-अधूरी जानकारी दी या जानबूझकर विरोधाभासी बयान दिए. अब यह रिपोर्ट अंतरराष्ट्रीय स्तर पर गंभीर मानी जा रही है. इंस्टीट्यूट फॉर साइंस एंड इंटरनेशनल सिक्योरिटी के प्रमुख डेविड अलब्राइट ने स्पष्ट रूप से कहा है कि यह मसला अब सीधे संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद में ले जाया जाना चाहिए.

    क्या आगे बढ़ेगा इज़राइल?

    इज़राइल पहले ही कई बार ईरान की परमाणु महत्वाकांक्षाओं को लेकर सख्त बयान दे चुका है. अब IAEA की रिपोर्ट से इज़राइल को सैन्य कार्रवाई के लिए वैचारिक आधार मिल सकता है.

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