तेहरान: अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) की हालिया रिपोर्ट ने एक बार फिर वैश्विक स्तर पर चर्चा को गरमा दिया है. ईरान ने हाल के महीनों में अपने यूरेनियम भंडार में उल्लेखनीय बढ़ोतरी की है, जो अब संभावित हथियार-ग्रेड स्तर के बेहद करीब पहुंच चुका है. यह घटनाक्रम ऐसे समय सामने आया है जब अमेरिका और ईरान के बीच परमाणु वार्ता फिर से गति पकड़ने की कोशिश कर रही है.
IAEA की रिपोर्ट में क्या है खुलासा?
IAEA के मुताबिक, ईरान के पास वर्तमान में 408.6 किलोग्राम यूरेनियम है, जिसे 60% तक समृद्ध किया गया है. यह हथियार-ग्रेड 90% स्तर से कुछ ही कम है, लेकिन तकनीकी दृष्टि से यह हथियार निर्माण की दिशा में एक गंभीर संकेत माना जा रहा है. रिपोर्ट में यह भी कहा गया कि फरवरी के बाद से ईरान के समग्र समृद्ध यूरेनियम भंडार में 953.2 किलोग्राम की बढ़ोतरी हुई है, जिससे अब कुल आंकड़ा 9,247.6 किलोग्राम तक पहुंच गया है.
नौ परमाणु बम बनाने जितना यूरेनियम?
पश्चिमी स्रोतों के मुताबिक, लगभग 42 किलोग्राम 90% समृद्ध यूरेनियम एक परमाणु बम बनाने के लिए पर्याप्त होता है. यदि ईरान अपने वर्तमान स्टॉक को पूरी तरह हथियार-ग्रेड स्तर तक समृद्ध कर लेता है, तो सैद्धांतिक रूप से यह नौ परमाणु हथियारों के निर्माण में सक्षम हो सकता है.
हालांकि, IAEA के महानिदेशक राफेल ग्रॉसी ने यह स्पष्ट किया कि "ईरान तकनीकी रूप से एक सफल परीक्षण से बहुत दूर नहीं है," लेकिन उन्होंने यह भी जोड़ा कि ईरान के वास्तविक इरादों को लेकर स्थिति अब भी स्पष्ट नहीं है.
अमेरिका-इजरायल की प्रतिक्रिया
इस रिपोर्ट ने वॉशिंगटन और तेल अवीव में नई चिंता पैदा कर दी है. अमेरिका की खुफिया एजेंसियों का कहना है कि अब तक यह कोई संकेत नहीं मिला है कि ईरान ने परमाणु हथियार बनाने की दिशा में निर्णायक कदम उठाया हो. फिर भी, उनका मानना है कि अगर ईरान चाहे, तो हथियार बनाने की क्षमता उसके पास है.
इजरायल, जो लंबे समय से ईरान के परमाणु कार्यक्रम को आस्तित्व के लिए खतरा मानता रहा है, लगातार इस पर सख्त रुख अपनाता रहा है. इजरायली अधिकारियों का आरोप है कि ईरान शांतिपूर्ण उद्देश्यों की आड़ में हथियार निर्माण की तैयारी कर रहा है.
कार्यक्रम पूरी तरह शांतिपूर्ण: ईरान
दूसरी ओर, ईरान ने एक बार फिर दोहराया है कि उसका परमाणु कार्यक्रम सिर्फ ऊर्जा, चिकित्सा और वैज्ञानिक उद्देश्यों के लिए है. तेहरान का कहना है कि वह एनपीटी (Nuclear Non-Proliferation Treaty) के अंतर्गत रहकर काम कर रहा है और परमाणु बम बनाने की उसकी कोई मंशा नहीं है.
राजनयिक प्रयास: वार्ता की उम्मीद
इस संवेदनशील स्थिति के बीच ईरान और अमेरिका के बीच बातचीत का एक नया दौर शुरू होने की उम्मीद जताई जा रही है. अमेरिकी प्रशासन ने ईरान को परमाणु गतिविधियों पर सीमाएं तय करने वाला एक नया प्रस्ताव भेजा है, जिसका उद्देश्य क्षेत्रीय स्थिरता को सुनिश्चित करना है.
क्या भविष्य में बढ़ेगा तनाव?
विश्लेषकों का मानना है कि यदि ईरान और पश्चिम के बीच कोई राजनयिक समझौता नहीं होता, तो यह मुद्दा मध्य पूर्व में एक नई अशांति की चिंगारी बन सकता है. ऐसे में न केवल अमेरिका और इजरायल, बल्कि यूरोपीय संघ और खाड़ी देशों की भूमिका भी निर्णायक होगी.
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