रूस ने भारत को दिया R-37M मिसाइल का ऑफर, पाकिस्तान के AWACS और F-16 के लिए है काल, जानें इसकी ताकत

    भारत और पाकिस्तान के बीच बदलते सुरक्षा समीकरणों के बीच, भारतीय वायुसेना (IAF) को मिलने वाली एक संभावित मिसाइल प्रणाली ने सैन्य रणनीतिक हलकों में चर्चा को नया मोड़ दे दिया है.

    Russia offers R-37M missile to India
    प्रतीकात्मक तस्वीर/Photo- Internet

    नई दिल्ली: भारत और पाकिस्तान के बीच बदलते सुरक्षा समीकरणों के बीच, भारतीय वायुसेना (IAF) को मिलने वाली एक संभावित मिसाइल प्रणाली ने सैन्य रणनीतिक हलकों में चर्चा को नया मोड़ दे दिया है. रूस द्वारा भारत को R-37M मिसाइल की पेशकश के बाद यह अटकलें तेज हो गई हैं कि अगर यह मिसाइल भारतीय लड़ाकू बेड़े में शामिल होती है, तो भारत की हवाई मारक क्षमता में एक बड़ा उछाल आ सकता है.

    यह मिसाइल उन कुछ आधुनिक हथियारों में से एक है जो लंबी दूरी से भी हवा में टारगेट को तबाह करने की क्षमता रखती है, और यही इसे रणनीतिक दृष्टि से बेहद अहम बनाता है, खासतौर पर पाकिस्तान के F-16 फाइटर जेट और AWACS सिस्टम जैसे टारगेट्स के खिलाफ.

    R-37M: क्या है इसकी खासियत?

    • वर्ग: लंबी दूरी की हवा से हवा में मार करने वाली मिसाइल (Beyond Visual Range - BVR)
    • रेंज: अनुमानित 300–400 किमी (160–220 नॉटिकल मील)
    • गति: Mach 6 (आवाज की गति से छह गुना तेज)
    • वजन: लगभग 510 किलोग्राम
    • वारहेड: 60 किलोग्राम
    • लंबाई: 4 मीटर से अधिक
    • नेविगेशन सिस्टम: हाई-प्रिसिशन गाइडेंस के साथ रूट एडजस्टमेंट की क्षमता

    F-16 और AWACS खतरे में रहेंगे

    R-37M को विशेष रूप से उच्च-प्राथमिकता वाले हवाई लक्ष्यों जैसे अवॉक्स (AWACS), एयरबोर्न टैंकर, और रणनीतिक ट्रांसपोर्ट विमानों को दूर से ही मार गिराने के लिए डिजाइन किया गया है. इसका मतलब यह है कि भारतीय वायुसेना दुश्मन की हवाई निगरानी प्रणाली और कमांड कंट्रोल स्ट्रक्चर को सीमा पार से ही निष्क्रिय कर सकती है.

    पाकिस्तान की वायुसेना जिन F-16 विमानों पर निर्भर करती है, वे अक्सर अवॉक्स की सहायता से ऑपरेट करते हैं. ऐसे में R-37M जैसी मिसाइलें उन पर लंबी दूरी से हमला कर ऑपरेशनल एडवांटेज भारत को दिला सकती हैं.

    Su-30MKI के साथ इंटीग्रेशन

    यह मिसाइल रूस की Su-35 और MiG-31 जैसे लड़ाकू विमानों के लिए विकसित की गई है, लेकिन इसे भारत के Su-30MKI जैसे प्लेटफॉर्म पर भी इंटीग्रेट किया जा सकता है. अगर भारत को इसका निर्माण लाइसेंस भी मिल जाता है, जैसा कि रिपोर्ट्स में कहा गया है, तो यह देश के रक्षा उत्पादन क्षेत्र के लिए भी एक बड़ी उपलब्धि होगी.

    नेविगेशन और लचीलापन

    R-37M में एकीकृत इनर्शियल नेविगेशन सिस्टम है, जो रडार टारगेटिंग के साथ मिलकर इसे बेहद सटीक बनाता है. इसकी एक अहम विशेषता यह है कि यह टारगेट को मार्ग में भी बदल सकती है, जिससे यह डॉगफाइट्स और गतिशील युद्ध स्थितियों में बेहद कारगर बन जाती है.

    भारत के लिए क्या होगा लाभ?

    AWACS की धमकी को खत्म करना: पाकिस्तान की वायुसेना की रणनीति में AWACS की बड़ी भूमिका है, और R-37M उसे लंबी दूरी से निष्क्रिय करने में सक्षम होगी.

    BVR मुकाबलों में बढ़त: यह मिसाइल दुश्मन के मारक क्षेत्र से बाहर रहकर वार करने की क्षमता देती है, जिससे भारतीय पायलटों को सुरक्षा और आक्रामक क्षमता दोनों मिलती हैं.

    टेक्नोलॉजिकल डिटेरेंस: यह मिसाइल भारत के वायु-आधारित डिफेंस को ऐसे स्तर तक ले जा सकती है, जिससे चीन और पाकिस्तान जैसे विरोधी देशों पर मनोवैज्ञानिक दबाव बनेगा.

    क्या सौदा हो पाएगा?

    अभी तक R-37M की भारत को बिक्री पर कोई आधिकारिक पुष्टि नहीं हुई है, लेकिन रूस की ओर से मिसाइल निर्माण का लाइसेंस ऑफर किया जाना एक बड़ा संकेत है. अगर यह डील होती है, तो भारत न सिर्फ यह मिसाइल अपने विमानों में शामिल कर पाएगा, बल्कि इसका देश में ही निर्माण भी कर सकेगा — जिससे आत्मनिर्भरता की दिशा में और एक कदम बढ़ेगा.

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