मध्य पूर्व एक बार फिर उबल पड़ा है. इज़रायल और ईरान के बीच नौ दिनों से जारी जंग अब वैश्विक मोड़ ले चुकी है, जब अमेरिका ने सीधे तौर पर सैन्य कार्रवाई करते हुए ईरान के तीन प्रमुख परमाणु ठिकानों—फोर्डो, नतांज और इस्फहान—को निशाना बना डाला.
न्यूयॉर्क टाइम्स की रिपोर्ट के मुताबिक ये हमले शनिवार रात 2:30 बजे (स्थानीय समयानुसार) हुए. अमेरिकी B-2 स्टील्थ बॉम्बर्स ने 30,000 पाउंड वजनी GBU-57 बंकर बस्टर बमों की बौछार कर दी. राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने 'ट्रुथ सोशल' पर इसे "बेहद सफल मिशन" बताया और कहा: “हमने ईरान के परमाणु कार्यक्रम के दिल पर वार किया है. सभी विमान सुरक्षित लौट आए हैं. अब शांति का समय है.”
ईरान की चेतावनी: "अमेरिका ने शुरू किया, अब हम खत्म करेंगे"
हमले के तुरंत बाद ईरान ने कड़ी प्रतिक्रिया दी. अंसारुल्लाह राजनीतिक ब्यूरो के वरिष्ठ सदस्य हाजेम अल-असद ने वाशिंगटन को "परिणाम भुगतने की चेतावनी" दी. ईरानी विदेश मंत्रालय ने बयान जारी कर कहा कि अमेरिका का हस्तक्षेप पूरे क्षेत्र को संकट में डाल सकता है. बीबीसी की रिपोर्ट में बताया गया है कि तेहरान जल्द जवाबी हमला कर सकता है, जिससे एक पूर्ण क्षेत्रीय युद्ध की संभावना और प्रबल हो गई है.
युद्ध का नौवां दिन: अब तक की सबसे बड़ी कार्रवाई
यह हमला उस युद्ध का हिस्सा है जो 13 जून को इज़रायल की तरफ से शुरू हुआ था. तब से अब तक नौ परमाणु वैज्ञानिक और कई सैन्य कमांडर मारे जा चुके हैं. इज़रायल के विदेश मंत्री गिदोन सार ने दावा किया है कि ईरान की परमाणु हथियार बनाने की प्रक्रिया अब दो-तीन साल पीछे चली गई है.
ट्रंप की रणनीति: कूटनीति से हमले तक
यह हमला ट्रंप प्रशासन की उस रणनीति का हिस्सा है जिसमें ईरान के परमाणु कार्यक्रम को पूरी तरह खत्म करने का लक्ष्य है. सीएनएन की रिपोर्ट के अनुसार, पिछले दो महीनों में ट्रंप ने बातचीत की कोशिश की थी, लेकिन ईरान ने तब तक कोई बातचीत नहीं की जब तक इज़रायली हमले नहीं रुकते. ट्रंप ने ये भी दावा किया कि: “ईरान कुछ हफ्तों या महीनों में परमाणु बम बना सकता था.” हालांकि, अमेरिकी खुफिया एजेंसियों ने इस बयान से सहमति नहीं जताई.
IAEA की चेतावनी: रेडियोलॉजिकल रिसाव का खतरा
अंतरराष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी (IAEA) ने चिंता जताई है कि फोर्डो पर हुए हमले से रेडियोलॉजिकल रिसाव का खतरा बन सकता है.
हालांकि अभी तक आम नागरिकों के लिए कोई सीधा खतरा नहीं बताया गया है. फोर्डो में उच्च संवर्धित यूरेनियम का उत्पादन हो रहा था, जो परमाणु हथियारों के निर्माण में प्रयोग किया जाता है.
चीन और रूस चुप, लेकिन दबाव में
ईरान को उम्मीद थी कि संकट की स्थिति में चीन और रूस उसका साथ देंगे. लेकिन दोनों देशों ने सैन्य हस्तक्षेप से दूरी बना रखी है.
रूस ने कूटनीतिक समर्थन दिया है जबकि चीन ने सभी पक्षों से शांति की अपील की है. विश्लेषकों का मानना है कि अगर हालात बिगड़े, तो ये शक्तिशाली देश परोक्ष रूप से युद्ध में शामिल हो सकते हैं, जिससे वैश्विक टकराव का खतरा बढ़ जाएगा.
भारत और दुनिया की प्रतिक्रिया
भारत ने हालात पर चिंता जताई है और सभी पक्षों से संयम बरतने की अपील की है. विदेश मंत्रालय ने कहा कि मध्य पूर्व में स्थिरता और शांति भारत के लिए रणनीतिक रूप से बेहद अहम है. इस घटनाक्रम का असर तेल की कीमतों और वैश्विक बाजारों पर भी दिखने लगा है. न्यूयॉर्क टाइम्स के अनुसार, सऊदी अरब और अन्य खाड़ी देश तटस्थ रुख अपनाए हुए हैं, लेकिन अमेरिकी सैन्य ठिकानों पर हमले का खतरा बना हुआ है.
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