युद्ध में आखिर भारत किसका साथ देगा? PM मोदी ने ईरान के राष्ट्रपति को फोन पर साफ-साफ बता दिया

    Iran and Israel War: मध्य पूर्व में बढ़ते तनाव के बीच भारत ने शांति की अपील करते हुए एक संतुलित और कूटनीतिक रुख अपनाया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को ईरान के राष्ट्रपति मसूद पेज़ेशकियान से टेलीफोन पर बातचीत कर हालात पर गहरी चिंता जाहिर की और क्षेत्र में तत्काल तनाव कम करने के लिए संवाद और कूटनीति को एकमात्र रास्ता बताया.

    Iran and Israel War President masoud Told
    युद्ध में आखिर भारत किसका साथ देगा?

    Iran and Israel War: मध्य पूर्व में बढ़ते तनाव के बीच भारत ने शांति की अपील करते हुए एक संतुलित और कूटनीतिक रुख अपनाया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को ईरान के राष्ट्रपति मसूद पेज़ेशकियान से टेलीफोन पर बातचीत कर हालात पर गहरी चिंता जाहिर की और क्षेत्र में तत्काल तनाव कम करने के लिए संवाद और कूटनीति को एकमात्र रास्ता बताया.

    अमेरिका के हमले के बाद हुई अहम बातचीत

    यह बातचीत ऐसे वक्त में हुई जब अमेरिका ने ईरान के तीन परमाणु ठिकानों – फोर्डो, नतांज़ और इस्फहान – पर मिसाइल हमले किए. इन हमलों के कुछ ही घंटों बाद ईरानी राष्ट्रपति ने प्रधानमंत्री मोदी से संपर्क किया. पीएम मोदी ने सोशल मीडिया पर लिखा, “हमने विस्तार से मौजूदा हालात पर चर्चा की और हाल के तनाव में वृद्धि पर गंभीर चिंता जताई.” उन्होंने यह भी स्पष्ट किया कि भारत क्षेत्रीय शांति, सुरक्षा और स्थिरता के लिए हर संभव प्रयास का समर्थन करता है.

    भारत की स्थिति शांति और मानवता का पक्षधर

    प्रधानमंत्री कार्यालय (PMO) के अनुसार, बातचीत के दौरान राष्ट्रपति पेज़ेशकियान ने ईरान-इज़रायल संघर्ष के बारे में अपनी राय साझा की. जवाब में प्रधानमंत्री मोदी ने भारत की ओर से यह स्पष्ट किया कि भारत हमेशा शांति और मानवता का समर्थन करता है. उन्होंने एक बार फिर तत्काल तनाव कम करने और बातचीत के माध्यम से समाधान खोजने का आग्रह दोहराया.

    अंतरराष्ट्रीय प्रतिक्रियाएं अमेरिका की कार्रवाई की निंदा

    इस संघर्ष पर वैश्विक प्रतिक्रिया भी तेज हो गई है. अमेरिका द्वारा किए गए मिसाइल हमलों को लेकर कई देशों ने चिंता जताई है. डोनाल्ड ट्रंप, अमेरिकी राष्ट्रपति, ने दावा किया कि ईरान की परमाणु सुविधाएं "पूरी तरह नष्ट" कर दी गई हैं. ईरानी विदेश मंत्री अब्बास अराघची ने इस कार्रवाई को संयुक्त राष्ट्र चार्टर का गंभीर उल्लंघन बताया और इसके "स्थायी परिणामों" की चेतावनी दी. रूस और चीन ने अमेरिका की कार्रवाई की तीखी आलोचना करते हुए इसे अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन करार दिया. यूरोपीय संघ की विदेश नीति प्रमुख काजा कैलास ने सभी पक्षों से संयम बरतने और बातचीत की मेज पर लौटने की अपील की.

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