Iran and Israel War: 13 जून की रात ईरान पर इज़रायली एयरस्ट्राइक ने मध्य-पूर्व की सुरक्षा को दहशत में डाल दिया. इस हमले में 865 लोगों की मौत और 3,396 घायल हुए . इसके बाद अमेरिका ने ईरान के फोर्डो, नतांज और इस्फ़हान जैसे तीन परमाणु ठिकानों पर मिसाइल हमला किया. जवाबी कार्रवाई में ईरान ने तेल अवीव सहित इज़राइल के दस से ज्यादा शहरों में मिसाइल दागीं, जिसमें 11 लोग घायल हुए हैं .
इज़राइल और ईरान में भीषण मिसाइल हमले
ईरान की मिसाइलें इज़रान ने इज़रायल की राजधानी तेल-अवीव पर गंभीर हमला किया, हाइफा में बैलिस्टिक मिसाइल गिरने की खबर भी मिली; "एयर सायरन खिलाफ बज नहीं सकते थे" . इज़राइल की प्रतिक्रिया: इज़राइल ने ईरान के परमाणु स्थलों (नतांज, इस्फ़हान, फोर्डो) पर मिसाइल और ड्रोन हमले किए, जिसमें वरिष्ठ वैज्ञानिकों और जनरलों की मौत हुई; कई मिसाइलों को अमेरिका ने क्षेत्रीय हमले से रोका .
हूती विद्रोहियों की कड़ी चेतावनी
ईरान समर्थित हूती विद्रोहियों ने चेतावनी दी है कि यदि अमेरिका ने ईरान पर हमला जारी रखा, तो वे लाल सागर में अमेरिकी युद्धपोतों को निशाना बनाएंगे.
अमेरिका की स्थिति: दबाव या संतुलन?
अमेरिका ने अभी तक ईरान में सीधा हमला नहीं किया लेकिन मिसाइल इंटरसेप्शन से क्षेत्र में सैन्य समर्थन साबित किया. ट्रंप ने चेतावनी दी कि यदि ईरान बातचीत नहीं करेगा, तो अमेरिका "और बड़े हमले" कर सकता है. उन्होंने 2 हफ्ते का अल्टीमेटम देते हुए सीजफायर और बातचीत की समयसीमा दी. अमेरिकी अलग-अलग बयान रणनीतिक दबाव और संवाद की राह— ने नीति को अस्पष्ट ला दिया.
इज़राइल एकजुट, रूस-चीन विरोध में खड़े
इज़राइल के प्रधानमंत्री नेतन्याहू ने अमेरिकी हमलों की "शक्ति के बल पर शांति" की तर्ज़ पर जमकर सराहना की. दूसरी ओर, रूस और चीन ने अमेरिका की कार्रवाई की कड़ी निंदा करते हुए इसे अंतरराष्ट्रीय कानून का उल्लंघन करार दिया. रूसी विदेश मंत्रालय ने त्वरित आक्रामकता रोकने की अपील की. चीन ने इसे संयुक्त राष्ट्र चार्टर का उल्लंघन बताया .
यह भी पढ़ें: हवाई हमले के बाद तहरान में गहरा रहा तख्तापलट का खतरा! जानें क्या है ट्रंप का अगला प्लान?