ईरान पर फिर मंडरा रहा संकट! ब्रिटेन में रजा पहलवी ने तेज़ किया सियासी मोर्चा

    ईरान की मुश्किलें थमने का नाम नहीं ले रही हैं. इस बार चुनौती अमेरिका या इजराइल से नहीं, बल्कि उस देश से आ रही है जिसे वैश्विक राजनीति में सुपरपावर माना जाता है.

    Iran and Israel War Birtian coup d'état on khamenei
    Image Source: Social Media

    ईरान की मुश्किलें थमने का नाम नहीं ले रही हैं. इस बार चुनौती अमेरिका या इजराइल से नहीं, बल्कि उस देश से आ रही है जिसे वैश्विक राजनीति में सुपरपावर माना जाता है. ब्रिटेन. वजह हैं ईरान के निर्वासित पूर्व क्राउन प्रिंस रजा पहलवी, जो लंदन में रहकर ईरानी हुकूमत के खिलाफ अंतरराष्ट्रीय समर्थन जुटाने में लगे हैं. रजा पहलवी इन दिनों ब्रिटिश संसद के सदस्यों से लगातार मुलाकातें कर रहे हैं. उनका मकसद है – ईरान में लोकतांत्रिक और धर्मनिरपेक्ष शासन की स्थापना के लिए वैश्विक समर्थन प्राप्त करना.

    लंदन में रजा पहलवी की सियासी गतिविधियां तेज

    ब्रिटिश मीडिया हाउस Middle East Eye की रिपोर्ट के अनुसार, सोमवार को रजा पहलवी ने ब्रिटिश सांसदों को ईरान की वर्तमान स्थिति से अवगत कराया. उन्होंने ईरान में सत्ता परिवर्तन की रणनीति को साझा करते हुए कहा कि "यह सही समय है, जब देश के भीतर और बाहर से ईरानी जनता को एकजुट किया जा सकता है." इस मुलाकात का आयोजन लेबर पार्टी के सांसद ल्यूक ऐकहर्स्ट और कंजर्वेटिव सांसद अफ्रा ब्रैंडरेथ ने मिलकर किया था. यह कोई एकल बैठक नहीं थी, बल्कि ऐसी बैठकों की एक श्रृंखला चलाई जा रही है ताकि ब्रिटेन के विभिन्न राजनीतिक गुटों से समर्थन जुटाया जा सके.

    "यह सिर्फ ईरान का नहीं, ब्रिटेन का भी मसला है"

    अपनी लंदन यात्रा के दौरान रजा पहलवी ने न सिर्फ बंद दरवाजों के पीछे चर्चा की, बल्कि सोशल मीडिया पर भी अपनी बात रखी. प्लेटफॉर्म 'X' पर किए गए एक पोस्ट में उन्होंने लिखा, “ईरान का मौजूदा शासन ब्रिटेन की मौत की कामना करता है. यह शासन न केवल ईरानी नागरिकों के लिए बल्कि ब्रिटिश समाज के लिए भी एक खतरा है. मैं यहां हूं ताकि ब्रिटिश नेताओं से निवेदन कर सकूं कि वे ईरानी जनता की लोकतांत्रिक लड़ाई में साथ दें. यह सहयोग दोनों देशों के हित में है.”

    ईरान में शासन परिवर्तन की रजा पहलवी की योजना क्या है?

    रजा पहलवी बार-बार यह दोहराते रहे हैं कि ईरान की इस्लामिक सत्ता को लोकतांत्रिक शासन में बदला जाना चाहिए. उनका मानना है कि अब ईरान की स्थिति बेहद नाजुक है और जनता परिवर्तन के लिए तैयार है. पहलवी का यह भी कहना है कि शासन परिवर्तन के लिए किसी सैन्य कार्रवाई की आवश्यकता नहीं है, ईरानी नागरिक ही असली 'सेना' हैं, जो इस बदलाव को अंजाम दे सकते हैं. उन्होंने इस्लामिक क्रांति से पहले के ईरान को याद करते हुए यह भी कहा कि देश कितनी तरक्की कर सकता था, अगर वह दिशा न बदली गई होती.

    यह भी पढ़ें: क्या तुर्की फिर से उड़ाएगा F-35? एर्दोआन ने दी नई उम्मीद, अमेरिका से खरीदने पर कर रहे विचार