संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद की बैठक में भारत ने बुधवार को पाकिस्तान पर तीखे प्रहार किए. भारतीय प्रतिनिधि क्षितिज त्यागी ने कहा कि पाकिस्तान को न सिर्फ अवैध कब्जा छोड़ना चाहिए, बल्कि आतंकवाद से जुड़े मामलों में भी बड़े बदलाव करने होंगे. उन्होंने ख़ैबर पख्तूनख्वा में हुई बमबारी को मानवाधिकारों का उल्लंघन करार दिया, जिसमें 20 से अधिक नागरिकों की मौत हुई थी.
त्यागी ने कहा कि पाकिस्तान को अवैध कब्जों की नीति से पीछे हटना चाहिए और उन क्षेत्रों को भारत को वापस देना चाहिए जो वर्तमान में उसके नियंत्रण में हैं. साथ ही, उन्होंने पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था और राजनीतिक व्यवस्था पर सवाल उठाए, कहा कि आतंकवाद को बढ़ावा देना, यूएन घोषित आतंकवादियों को पनाह देना और अपने नागरिकों पर हमले करना “मानवाधिकारों के धब्बे” हैं. भारत ने स्पष्ट किया कि देश की विदेश नीति और मानवाधिकारों की स्थिति को सुधारना होगा, न कि उन्हें युद्ध और हिंसा की आड़ में दबाया जाए.
खैबर पख्तूनख्वा में हुई बमबारी का हिंदुस्तान का आरोप
रिपोर्ट्स कहती हैं कि तिराह घाटी के मत्रे दारा गांव में पाकिस्तानी वायुसेना ने जेएफ-17 लड़ाकू विमानों से हमला किया. गांव पर कम से कम आठ लस-6 बम गिराए गए, जिनसे 30 से अधिक लोगों की मौत हुई और कई घायल हुए. इस हमले में महिलाएं व बच्चे भी शामिल थे. स्थानीय लोग बताते हैं कि गांव बुरी तरह तबाह हो गया है, शव सड़कों और घरों में बिखरे गए हैं.
पाकिस्तान की प्रतिक्रिया और स्थानीय दावे
पाकिस्तान की ओर आधिकारिक तौर पर यह दावा किया गया कि यह हमला हवाई हमले नहीं, बल्कि विस्फोटकों के भंडारण स्थल में हुए विस्फोट के कारण हुआ था. इस दावे में इसे “आतंकवादियों के खिलाफ कार्रवाई” बताया गया, जिसमें 14 आतंकवादियों समेत कुल 24 लोगों की मौत हुई. स्थानीय प्रशासन इस बात को लेकर खंडन कर रहा है कि वहाँ कोई आतंकवादी गतिविधि थी.
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