भारत-रूस की साझेदारी को मिली नई उड़ान; हेल्थ से लेकर शिपबिल्डिंग तक.. जानें किन-किन समझौतों पर लगी मुहर

    Putin India Visit: रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन 4 दिसंबर को दो दिवसीय दौरे पर भारत पहुंचे, और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिल्ली एयरपोर्ट पर उनका गर्मजोशी से स्वागत किया. इस दौरे के दौरान, पुतिन और मोदी के बीच महत्वपूर्ण बातचीत हुई, जो भारत और रूस के बीच रिश्तों को और गहरा करने के लिए अहम साबित हो सकती है.

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    नई दिल्ली: रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन 4 दिसंबर को दो दिवसीय दौरे पर भारत पहुंचे, और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने दिल्ली एयरपोर्ट पर उनका गर्मजोशी से स्वागत किया. इस दौरे के दौरान, पुतिन और मोदी के बीच महत्वपूर्ण बातचीत हुई, जो भारत और रूस के बीच रिश्तों को और गहरा करने के लिए अहम साबित हो सकती है. पुतिन का यह दौरा 2022 में रूस-यूक्रेन युद्ध के बाद से उनका पहला भारत दौरा है, और इस यात्रा से दोनों देशों के बीच कई अहम समझौते हुए हैं.

    पुतिन के दौरे के दूसरे दिन, पीएम मोदी और राष्ट्रपति पुतिन ने दिल्ली के हैदराबाद हाउस में एक संयुक्त प्रेस कॉन्फ्रेंस आयोजित की. इस बैठक में दोनों नेताओं ने कई महत्वपूर्ण मुद्दों पर चर्चा की, जिनमें व्यापार, रक्षा, स्वास्थ्य, ऊर्जा, और खाद्य सुरक्षा शामिल हैं. पीएम मोदी ने इस अवसर पर भारत और रूस के रिश्तों को "ध्रुव तारे" जैसा स्थिर और मजबूत बताया, जो दोनों देशों के लिए सदियों से सुदृढ़ मित्रता का प्रतीक है.

    इस बैठक में भारत और रूस के बीच कई महत्वपूर्ण समझौते हुए. दोनों देशों ने पोर्ट और शिपिंग सेक्टर में सहयोग बढ़ाने के लिए एक समझौता ज्ञापन (MoU) पर हस्ताक्षर किए. इसके अलावा, भारत और रूस ने हेल्थकेयर, मेडिकल एजुकेशन, और फूड सेफ्टी जैसे अहम क्षेत्रों में सहयोग बढ़ाने की योजना बनाई. विशेष रूप से, पोलर शिप्स और मरीन कोऑपरेशन के क्षेत्र में भी दोनों देशों ने सामूहिक प्रयासों को मजबूती देने पर जोर दिया.

    पीएम मोदी ने क्या कहा?

    संयुक्त बयान के बाद पीएम मोदी ने कहा कि राष्ट्रपति पुतिन का दौरा ऐसे समय पर हो रहा है, जब हमारे द्विपक्षीय रिश्ते कई ऐतिहासिक पड़ावों से गुजर रहे हैं. पीएम ने कहा कि भारत-रूस की दोस्ती पिछले आठ दशकों से पोल स्टार की तरह पक्की रही है. पीएम ने कहा कि भारत-रूस के रिश्ते आपसी सम्मान और गहरे भरोसे पर टिके हैं. दोनों देशों के ये रिश्ते हमेशा समय की कसौटी पर खरे उतरे हैं. हमने भारत-रूस के रिश्तों को और मजबूत करने के लिए सहयोग के सभी क्षेत्र पर चर्चा की.

    मिनरल्स को लेकर भी दोनों देशों में बनी बात

    प्रधानमंत्री मोदी ने कहा कि हम 2030 तक भारत-रूस आर्थिक सहयोग प्रोग्राम पर सहमत हुए. राष्ट्रपति पुतिन से बातचीत के बाद PM मोदी ने कहा कि भारत ने शुरू से ही यूक्रेन मुद्दे पर शांति की वकालत की है. उन्होंने आगे कहा कि पूरी दुनिया में सुरक्षित और अलग-अलग तरह की सप्लाई चेन पक्का करने के लिए जरूरी मिनरल्स में भारत, रूस का सहयोग बहुत जरूरी है. वहीं, प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि भारत और रूस यूरेशियन इकोनॉमिक यूनियन के साथ FTA को जल्द पूरा करने की दिशा में काम कर रहे हैं. 

    प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा कि, भारत हमेशा यूक्रेन में शांति लाने के लिए अपना योगदान देने के लिए तैयार रहा है और भविष्य में भी ऐसा ही रहेगा. हम यूक्रेन विवाद के शांतिपूर्ण और पक्के समाधान के लिए किए जा रहे सभी प्रयासों का स्वागत करते हैं. उन्होंने कहा कि, रूस के राष्ट्रपति पुतिन के साथ द्विपक्षीय मुलाकात के दौरान पीएम मोद ने एक बार फिर से शांति का अपना संदेश दिया. पीएम मोदी ने राष्ट्रीय राजधानी में पुतिन के साथ अपनी वार्ता के शुरुआत में कहा कि भारत न्यूट्रल नहीं है, बल्कि शांति के साथ खड़ा है.

    राष्ट्रपति पुतिन ने क्या कहा? 

    पुतिन ने कहा कि, मैं राष्ट्रपति द्रौपदी मुर्मू, मेरे प्यारे दोस्त पीएम मोदी और भारत के लोगों को रूसी प्रतिनिधिमंडल का गर्मजोशी से स्वागत करने के लिए धन्यवाद देता हूं. डिनर पर पीएम मोदी के साथ मेरी बातचीत हमारी स्पेशल और खास रणनीतिक साझेदारी के लिए बहुत मददगार रही. पीएम मोदी और मैंने एक करीबी वर्किंग डायलॉग शुरू किया है. हम एसईओ बैठक के दौरान मिले थे, और हम व्यक्तिगत तौर पर रूस-भारत डायलॉग की देखरेख कर रहे हैं. 

    राष्ट्रपति पुतिन ने कहा कि, गर्मजोशी भरे स्वागत के लिए आपका शुक्रिया. बातचीत सकारात्मक और मैत्रीपूर्ण माहौल में हुई. मेरे और प्रधानमंत्री मोदी के बीच नियमित तौर पर फोन पर बातचीत होती रहती है. हम भारतीय अर्थव्यवस्था की प्रगति के लिए सभी तरह के ईंधन की निर्बाध आपूर्ति जारी रखने के लिए तैयार हैं. रूस भारत के सबसे बड़े परमाणु संयंत्र के निर्माण में भी मदद कर रहा है. दोनों देश भुगतान के निराकरण के लिए धीरे-धीरे अपनी-अपनी राष्ट्रीय मुद्रा के इस्तेमाल की ओर भी बढ़ रहे हैं. हम सालाना द्विपक्षीय कारोबार को बढ़ाकर 100 अरब डॉलर तक पहुंचाने की आशा रखते हैं.

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