संयुक्त राष्ट्र महासभा (UNGA) के मंच का इस्तेमाल एक बार फिर तुर्किए ने भारत के खिलाफ बयानबाज़ी के लिए किया है. तुर्किए के राष्ट्रपति रेसेप तैयप एर्दोगन ने मंगलवार (23 सितंबर) को अपने भाषण में कश्मीर का मुद्दा उठाकर एक बार फिर साबित कर दिया कि वह पाकिस्तान के पक्ष में झुकाव रखते हैं और दक्षिण एशिया की संवेदनशीलता को अनदेखा कर रहे हैं.
एर्दोगन ने अपने संबोधन में कहा कि कश्मीर समस्या का समाधान बातचीत से निकलना चाहिए, और इसमें संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद (UNSC) के प्रस्तावों और कश्मीरी जनता की ‘इच्छा’ को ध्यान में रखा जाना चाहिए. उन्होंने भारत और पाकिस्तान को आपसी संवाद से विवाद सुलझाने की नसीहत दी.
कश्मीर पर ‘मध्यस्थता’ की पुरानी रट
तुर्किए के राष्ट्रपति पहले भी कश्मीर को अंतरराष्ट्रीय मंचों पर उठाते रहे हैं. इस बार उन्होंने कहा कि दक्षिण एशिया में स्थायित्व के लिए जरूरी है कि भारत और पाकिस्तान आपसी बातचीत के जरिए कश्मीर मुद्दे का समाधान खोजें. उन्होंने भारत-पाकिस्तान के बीच हुए सीजफायर समझौते का स्वागत किया, लेकिन उसका श्रेय भी अप्रत्यक्ष रूप से पाकिस्तान को देने की कोशिश की.
पाकिस्तान को आतंकवाद पर दी राहत
अपने भाषण में एर्दोगन ने आतंकवाद के मुद्दे पर पाकिस्तान को लगभग क्लीन चिट दे दी. उन्होंने कहा कि भारत और पाकिस्तान को साथ मिलकर आतंकवाद से लड़ना चाहिए. इस बयान के ज़रिए एर्दोगन ने यह जताने की कोशिश की कि पाकिस्तान आतंकवाद के लिए जिम्मेदार नहीं है, बल्कि वह भी उसका शिकार है. यह बात अंतरराष्ट्रीय तथ्य और घटनाओं के बिल्कुल विपरीत है.
ऑपरेशन सिंदूर के समय भी दी थी मदद
यह पहला मौका नहीं है जब तुर्किए पाकिस्तान के पक्ष में खड़ा नजर आया है. इससे पहले भारत द्वारा आतंकवाद के खिलाफ चलाए गए ऑपरेशन सिंदूर के समय भी तुर्किए ने पाकिस्तान को सैन्य और रणनीतिक मदद दी थी. यह रवैया लगातार यह संकेत देता है कि तुर्किए दक्षिण एशियाई संतुलन को बिगाड़ने वाली राजनीति में हिस्सेदार बना हुआ है.
भारत ने दी तीखी प्रतिक्रिया
भारत कई बार साफ कर चुका है कि कश्मीर उसका आंतरिक मामला है और किसी तीसरे देश को इसमें दखल देने का अधिकार नहीं है. तुर्किए की ओर से बार-बार इस मुद्दे को उछालना भारत की संप्रभुता और कूटनीतिक सीमाओं का उल्लंघन माना जाता रहा है. भारतीय विदेश मंत्रालय अतीत में भी एर्दोगन के बयानों को "पूरी तरह खारिज करने योग्य" बता चुका है.
गाजा को लेकर इजरायल पर बरसे एर्दोगन
अपने भाषण में एर्दोगन ने केवल कश्मीर ही नहीं, बल्कि गाजा पट्टी में इजरायल की कार्रवाई को भी निशाने पर लिया. उन्होंने कहा कि गाजा में नरसंहार चल रहा है. निर्दोष लोग मारे जा रहे हैं. हालांकि आलोचकों का मानना है कि एर्दोगन अंतरराष्ट्रीय मंचों पर धार्मिक और क्षेत्रीय ध्रुवीकरण को हवा देने की रणनीति अपनाते हैं.
यह भी पढ़ें: 'जर्मनी के बिना...', तैयार करेंगे धाकड़ फाइटर जेट, 100 बिलियन यूरो के प्रोजेक्ट पर राफेल वाली Dassault का चैलेंज