बदल चुकी है भारत की रक्षा नीति, पाकिस्तान के लिए सेट किए पांच न्यू नॉर्मल, नहीं माना तो मचेगी तबाही!

    पिछले एक दशक में भारत की रक्षा नीति में एक बड़ा और निर्णायक बदलाव देखा गया है.

    India sets five new normals for Pakistan
    प्रतिकात्मक तस्वीर/ ANI

    नई दिल्ली: पिछले एक दशक में भारत की रक्षा नीति में एक बड़ा और निर्णायक बदलाव देखा गया है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नेतृत्व में केंद्र सरकार ने राष्ट्रीय सुरक्षा को सर्वोच्च प्राथमिकता देते हुए एक ऐसा ढांचा तैयार किया है, जो आत्मनिर्भरता, दृढ़ संकल्प और तेज़ कार्रवाई पर आधारित है. अब भारत की सोच यह नहीं है कि वह सिर्फ हमलों का जवाब दे, बल्कि यह है कि हर संभावित खतरे को पहले से पहचान कर, ज़रूरत पड़ने पर सख्त कार्रवाई की जाए.

    इस नई रणनीति का असर सिर्फ देश की आंतरिक सुरक्षा पर ही नहीं पड़ा है, बल्कि इससे भारत की सीमाओं पर भी एक स्पष्ट और मज़बूत संदेश गया है खासतौर से पाकिस्तान की ओर.

    भारत की नई नीति और पाकिस्तान के लिए '5 नई रेखाएं'

    भारत सरकार ने पाकिस्तान के संदर्भ में अब कुछ नए सिद्धांत तय किए हैं. ये सिर्फ कूटनीतिक वक्तव्य नहीं, बल्कि एक सख्त चेतावनी हैं. इन पाँच बिंदुओं का उल्लंघन अगर कभी भी होता है, तो भारत अब पहले की तरह ‘संयम’ नहीं दिखाएगा, बल्कि तयशुदा रणनीति के तहत निर्णायक कदम उठाएगा.

    1. आतंकवाद की हर घटना का मिलेगा करारा जवाब

    पाकिस्तान प्रायोजित आतंकवाद से निपटने में भारत अब कोई नरमी नहीं दिखा रहा. उरी और पुलवामा जैसे हमलों के बाद भारत ने 'सर्जिकल स्ट्राइक' और 'एयर स्ट्राइक' जैसे साहसिक कदम उठाकर यह स्पष्ट कर दिया कि अब हर आतंकी हमले का जवाब सीधा, तेज़ और प्रभावशाली होगा. पीएम मोदी ने यह भी कहा है कि 'ऑपरेशन सिंदूर' जैसे सैन्य अभियान अभी रुके हैं, खत्म नहीं हुए. आवश्यकता पड़ने पर ये फिर से शुरू हो सकते हैं और पहले से भी अधिक प्रभावशाली तरीके से.

    2. परमाणु धमकियों से अब डरने वाला नहीं भारत

    पाकिस्तान अक्सर भारत के साथ तनाव के समय परमाणु हमले की धमकी देता रहा है. लेकिन अब भारत ने यह तय कर लिया है कि वह ऐसी "न्यूक्लियर ब्लैकमेलिंग" को कतई सहन नहीं करेगा. भारत अब न तो इन धमकियों से डरता है और न ही कोई निर्णय लेने में हिचकता है. भारत की नई नीति यह मानती है कि आतंकवाद से लड़ने के लिए परमाणु खतरे को पीछे छोड़ना ही एकमात्र रास्ता है.

    3. आतंकी और उनके संरक्षक दोनों को बराबर सज़ा

    भारत अब यह मानकर चल रहा है कि केवल आतंकियों को मारना काफी नहीं है. जो देश या संस्थाएं उन्हें प्रशिक्षण, हथियार, पैसा या समर्थन दे रही हैं, वे भी उतनी ही दोषी हैं. अब अगर किसी आतंकवादी संगठन की भारत में कोई घटना में भूमिका पाई जाती है, तो उनके संरक्षक चाहे वह पाकिस्तानी सेना हो या ISI भी भारत के रडार पर होंगे. इससे पाकिस्तान की सेना और उसकी खुफिया एजेंसियों के लिए साफ संदेश गया है.

    4. बातचीत तभी संभव, जब आतंकवाद पर रोक लगे

    भारत की नई नीति के तहत, अब पाकिस्तान के साथ कोई भी कूटनीतिक या राजनीतिक बातचीत तभी होगी जब वह आतंकवाद के खिलाफ ठोस और स्पष्ट कदम उठाएगा. भारत ने अब यह स्पष्ट कर दिया है कि जब तक पाकिस्तान आतंकवाद को खत्म करने की दिशा में ठोस पहल नहीं करता, तब तक बातचीत का कोई माहौल नहीं बनेगा. साथ ही, कश्मीर मुद्दे पर किसी प्रकार की चर्चा अब भारत के एजेंडे में नहीं है.

    5. देश की संप्रभुता सर्वोपरि, कोई समझौता नहीं

    भारत की संप्रभुता और अखंडता पर अब कोई सवाल या बहस नहीं चलेगी. पीएम मोदी ने साफ कर दिया है कि अब ‘खून और पानी साथ-साथ नहीं बह सकते’. यानि आतंकवाद और व्यापार साथ-साथ नहीं हो सकते. भारत ने अब पाकिस्तान के साथ किसी भी तरह के समझौते या वार्ता को संप्रभुता के आधार पर तय करने का निर्णय लिया है.

    भारत की रणनीति में बदलाव क्यों ज़रूरी था?

    पिछले कुछ वर्षों में दुनिया भर में सुरक्षा की परिभाषा बदली है. पारंपरिक युद्ध के बजाय अब 'हाइब्रिड वॉर' और 'प्रॉक्सी वॉर' का युग है. ऐसे में भारत को भी अपनी रणनीति को उसी के अनुसार बदलना पड़ा. मोदी सरकार के कार्यकाल में हुए बदलावों की वजह से अब भारत सिर्फ एक रक्षात्मक राष्ट्र नहीं रहा, बल्कि जरूरत पड़ने पर आक्रामक रुख भी अपना सकता है.

    स्वदेशी रक्षा प्रणाली पर फोकस

    भारत की यह बदली हुई नीति आत्मनिर्भर भारत अभियान के तहत देश को सैन्य रूप से भी आत्मनिर्भर बनाने पर जोर देती है. स्वदेशी हथियार, मिसाइल, ड्रोन और रक्षा उपकरणों के निर्माण से भारत की सैन्य ताकत पहले से कहीं ज्यादा मजबूत हुई है. इससे भारत को बाहरी देशों पर निर्भरता घटाने में मदद मिली है और निर्णय लेने की स्वतंत्रता बढ़ी है.

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