मॉस्कोः भारत और रूस की दोस्ती कोई नई नहीं है. जब दुनिया दो गुटों में बंटी थी, तब भी भारत ने मास्को का साथ नहीं छोड़ा. अब एक ऐसी रिपोर्ट सामने आई है जिसने वॉशिंगटन की भौंहें और चढ़ा दी हैं. मामला विस्फोटक HMX का है—वो केमिकल जो मिसाइलों, टॉरपीडो और रॉकेट मोटर्स में इस्तेमाल होता है.
HMX: एक विस्फोटक के इर्द-गिर्द अंतरराष्ट्रीय घमासान
रॉयटर्स की रिपोर्ट के मुताबिक, भारत की एक निजी कंपनी Ideal Detonators Pvt. Ltd. ने दिसंबर 2024 में रूस को करीब 1.4 मिलियन डॉलर (लगभग 12.10 करोड़ रुपये) का HMX भेजा. ये सप्लाई ऐसे समय में हुई जब अमेरिका लगातार चेतावनी देता रहा कि जो भी संस्था रूस की युद्ध-आर्थिक मदद करेगी, उसे प्रतिबंध झेलने होंगे.
HMX रूस की जिस कंपनी को भेजा गया, उसका नाम है Promsintez. ये वही कंपनी है जिस पर यूक्रेन की SBU (गुप्तचर एजेंसी) ने आरोप लगाया है कि इसका सीधा संबंध रूसी सेना से है. रिपोर्ट ये भी कहती है कि अप्रैल 2025 में यूक्रेन ने Promsintez की एक फैक्ट्री पर ड्रोन हमला किया था.
इसके अलावा, इस खेप में एक और नाम सामने आया- HTIS. ये एक स्पेनिश कंपनी Maxam की सब्सिडियरी है, और Maxam खुद अमेरिका की निजी इक्विटी फर्म ‘Rhône Capital’ के कंट्रोल में है. यानी भारत से HMX सिर्फ रूस को ही नहीं, अमेरिका के आर्थिक इकोसिस्टम से जुड़ी एक कंपनी को भी भेजा गया है.
अमेरिका क्यों बौखलाया है?
अमेरिका की नजर में HMX युद्ध में ‘क्रिटिकल एक्सप्लोसिव’ माना जाता है. पेंटागन के मुताबिक इसका इस्तेमाल टॉरपीडो वॉरहेड, मिसाइल, एडवांस रॉकेट मोटर्स और कई हाई-प्रिसिजन हथियारों में होता है.
भारत का क्या कहना है?
जब रिपोर्ट सामने आई, तो भारत सरकार ने तुरंत साफ किया कि HMX जैसी डुअल-यूज केमिकल्स को कड़ी जांच के बाद ही एक्सपोर्ट की इजाजत मिलती है. विदेश मंत्रालय ने कहा, “भारत अंतरराष्ट्रीय नियमों और प्रतिबद्धताओं का पूरा पालन करता है. कोई भी दोहरे उपयोग वाली वस्तु पूरी जांच के बाद ही बाहर जाती है.”
भारत-रूस व्यापार: रिश्ते की रीढ़ या अमेरिका के गले की हड्डी?
रूस से भारत का व्यापार खासतौर पर तेल के कारण बीते दो साल में तेजी से बढ़ा है. अमेरिका ने बार-बार चेतावनी दी है कि रूस से तेल या सैन्य वस्तुएं खरीदने वाले देशों को वह टैरिफ और प्रतिबंधों के जरिए निशाना बना सकता है. हाल ही में राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने भी भारत जैसे देशों को 100 फीसदी टैरिफ की धमकी दी थी, लेकिन सच्चाई ये है कि रूस और भारत के रिश्ते सिर्फ अर्थव्यवस्था से नहीं, दशकों की रणनीतिक साझेदारी से बंधे हैं.
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