नई दिल्ली और टोक्यो ने आतंकवाद के खिलाफ एक बार फिर संयुक्त मोर्चा संभाला है. शुक्रवार को प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और जापान के प्रधानमंत्री शिगेरु इशिबा के बीच हुई उच्च स्तरीय वार्ता के बाद जारी एक साझा बयान में दोनों नेताओं ने जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए आतंकी हमले की कड़ी निंदा की. उन्होंने दो टूक कहा कि इस जघन्य हमले के पीछे मौजूद आतंकी, उनके योजनाकार और फंडिंग करने वाले सभी लोगों को न्याय के कटघरे में लाना बेहद ज़रूरी है.
भारत और जापान ने ऐसे सभी आतंकी गुटों और उनकी सहयोगी इकाइयों पर कठोर कदम उठाने की आवश्यकता पर बल दिया, जो वैश्विक स्तर पर खतरा बने हुए हैं. इन संगठनों में लश्कर-ए-तैयबा (LeT), जैश-ए-मोहम्मद (JeM), अल कायदा और आईएसआईएस/दाएश जैसे नाम प्रमुख हैं. दोनों देशों ने संयुक्त राष्ट्र द्वारा प्रतिबंधित इन संगठनों पर ठोस और साझा कार्रवाई की मांग की.
सीमा पार आतंकवाद को लेकर स्पष्ट रुख
संयुक्त बयान में इस बात पर जोर दिया गया कि हर प्रकार के आतंकवाद और हिंसक उग्रवाद, विशेषकर सीमा पार आतंकवाद, किसी भी रूप में स्वीकार्य नहीं है. दोनों प्रधानमंत्रियों ने 22 अप्रैल को जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए हमले की तीखी आलोचना करते हुए पीड़ितों के परिवारों के प्रति गहरी संवेदना प्रकट की.प्रधानमंत्री मोदी ने बताया कि इस हमले की जिम्मेदारी 'द रेज़िस्टेंस फ्रंट' (TRF) नामक आतंकी संगठन ने ली है, जिसमें 26 निर्दोष लोगों की जान गई. इस पर जापानी प्रधानमंत्री इशिबा ने गहरी चिंता जताई और ऐसे हमलों के खिलाफ एकजुट होकर कार्रवाई की आवश्यकता बताई.
आतंकी फंडिंग और नेटवर्क पर शिकंजा कसने की प्रतिबद्धता
बयान में यह भी उल्लेख किया गया कि आतंकवाद को पनाह देने वाले सुरक्षित ठिकानों को खत्म करना, उनके वित्तीय स्रोतों को बंद करना और आतंकी संगठनों और अंतरराष्ट्रीय अपराधियों के बीच मौजूद नेटवर्क को तोड़ना आज की सबसे बड़ी जरूरत है.
यूक्रेन और मध्य-पूर्व पर भारत-जापान की साझा चिंता
बैठक में वैश्विक मुद्दों पर भी चर्चा हुई. दोनों नेताओं ने यूक्रेन में चल रहे संघर्ष पर चिंता जताते हुए संयुक्त राष्ट्र चार्टर और अंतरराष्ट्रीय कानून के तहत एक न्यायसंगत और टिकाऊ समाधान का समर्थन किया. इस दिशा में दुनिया भर में चल रहे कूटनीतिक प्रयासों की भी सराहना की गई.मध्य-पूर्व में बढ़ते तनाव को लेकर भारत और जापान ने संयम बरतने और नागरिकों की सुरक्षा सुनिश्चित करने की अपील की. दोनों देशों ने सभी पक्षों से आग्रह किया कि कोई भी ऐसा कदम न उठाएं जिससे क्षेत्रीय स्थिरता को खतरा हो.
गाज़ा संकट: युद्धविराम और मानवीय सहायता पर बल
गाज़ा की बिगड़ती मानवीय स्थिति को लेकर भारत और जापान ने गहरी चिंता जताई. दोनों प्रधानमंत्रियों ने सभी बंधकों की रिहाई की मांग करते हुए तत्काल और स्थायी युद्धविराम की आवश्यकता पर जोर दिया. साथ ही, मानवीय सहायता को सुचारु रूप से पहुंचाने के लिए आवश्यक कदम उठाने की बात कही.
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