'रूस-ईरान दोनों से बात कर सकता है भारत...', जयशंकर ने अमेरिका को दिया दो टूक जवाब; व्यापार समझौते पर क्या कहा?

    भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर इन दिनों अमेरिका के दौरे पर हैं और उन्होंने साफ शब्दों में कहा है कि भारत और अमेरिका के रिश्तों में मतभेद होना स्वाभाविक है, लेकिन इससे रिश्तों की रफ्तार थमनी नहीं चाहिए.

    India can talk to both Russia and Iran Jaishankar blunt answer to America
    एस जयशंकर | Photo: ANI

    भारत के विदेश मंत्री एस. जयशंकर इन दिनों अमेरिका के दौरे पर हैं और उन्होंने साफ शब्दों में कहा है कि भारत और अमेरिका के रिश्तों में मतभेद होना स्वाभाविक है, लेकिन इससे रिश्तों की रफ्तार थमनी नहीं चाहिए. अमेरिका की मशहूर मैगज़ीन न्यूज़वीक को दिए एक इंटरव्यू में उन्होंने व्यापार, वैश्विक कूटनीति, यूक्रेन युद्ध और भारत की विदेश नीति की प्राथमिकताओं पर खुलकर बात की.

    "हर रिश्ते में मतभेद होते हैं, लेकिन हम आगे बढ़ते हैं"

    जयशंकर ने माना कि भारत और अमेरिका के बीच कुछ मुद्दों पर टकराव या असहमति हो सकती है, लेकिन दोनों देशों को एक-दूसरे को समझने और आगे बढ़ने की जरूरत है. उन्होंने कहा, “यह ज़रूरी है कि हम मतभेदों को बातचीत से हल करें और साझेदारी को मजबूत बनाएं.”

    व्यापार समझौते की बात ‘अंतिम चरण’ में

    भारत-अमेरिका व्यापार समझौते को लेकर विदेश मंत्री ने कहा कि बातचीत अपने अंतिम चरण में पहुंच गई है. हालांकि, उन्होंने यह भी जोड़ा कि “हर डील में दो पक्ष होते हैं, इसलिए परिणाम की गारंटी नहीं दी जा सकती.” आने वाले दिनों में इस दिशा में चीजें और स्पष्ट हो जाएंगी.

    भारत में हो रहा है एक बड़ा सामाजिक-आर्थिक परिवर्तन

    उन्होंने भारत की आर्थिक रफ्तार पर भी प्रकाश डाला और कहा कि देश में पिछले कुछ वर्षों में अभूतपूर्व गति से बदलाव आया है. “हमने पिछले 50-60 सालों की तुलना में कहीं अधिक तेज़ी से विकास किया है. जब तक यह परिवर्तन नहीं होगा, भारत एक भरोसेमंद वैश्विक निवेश स्थल नहीं बन पाएगा,” जयशंकर ने कहा.

    यूक्रेन युद्ध: भारत का ‘संवाद का रास्ता’ आज दुनिया अपना रही है

    यूक्रेन युद्ध पर भारत के रुख को लेकर उन्होंने बताया कि 2022 में भारत ने साफ कहा था कि “यह युद्ध का समय नहीं है.” उस वक्त भले ही यह बात कुछ देशों को पसंद न आई हो, लेकिन आज वही संदेश यूरोप के नेता भी दोहरा रहे हैं. जयशंकर ने बताया कि भारत ने रूस और यूक्रेन दोनों से संवाद बनाए रखा और खाद्य सुरक्षा, खाद और अनाज गलियारे जैसे विषयों पर समाधान निकालने में अहम भूमिका निभाई.

    रणनीतिक स्वतंत्रता: रूस, ईरान जैसे देशों से भारत की सीधी बात

    जयशंकर ने भारत की रणनीतिक नीति को लेकर कहा कि भारत आज दुनिया के उन चंद देशों में है जो रूस और ईरान जैसे देशों से भी सीधे बातचीत करता है. “हम लोकतांत्रिक हैं, बाजार आधारित अर्थव्यवस्था हैं और भविष्य की सोच के साथ आगे बढ़ रहे हैं,” उन्होंने कहा. साथ ही स्पष्ट किया कि भारत ‘वेस्ट विरोधी’ नहीं है, बल्कि G7, ब्रिक्स और क्वाड जैसे हर मंच पर सक्रिय भूमिका निभा रहा है.

    क्वाड: चार देशों की बराबरी की साझेदारी

    इंडो-पैसिफिक क्षेत्र पर बात करते हुए उन्होंने क्वाड को “समान भागीदारी वाला मंच” बताया. उन्होंने कहा कि अमेरिका, भारत, जापान और ऑस्ट्रेलिया न केवल समुद्री सुरक्षा बल्कि महामारी और तकनीकी साझेदारी जैसे विषयों पर मिलकर काम कर रहे हैं. यह मंच पहले ट्रंप प्रशासन में सक्रिय रूप में सामने आया था और अब और भी मजबूत हो चुका है.

    बीते अनुभवों से मजबूत हुए रिश्ते

    जयशंकर ने याद किया कि जब वे अमेरिका में भारत के राजदूत थे, तब एक भारतीय राजनयिक देवयानी खोबरागड़े से जुड़ा विवाद बड़ा मुद्दा बना था. लेकिन उस समय भी दोनों देशों के रिश्ते डगमगाए नहीं—बल्कि और मजबूत हुए. “हर अमेरिकी राष्ट्रपति के कार्यकाल के अंत में भारत-अमेरिका संबंध बेहतर हुए हैं—फिर चाहे वो बिल क्लिंटन हों या डोनाल्ड ट्रंप,” उन्होंने कहा.

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