पाकिस्तान की रक्षा योजनाओं में हाल ही में एक नया मोड़ सामने आया है, जब रक्षा मंत्री ने साफ तौर पर कहा कि पाकिस्तान अब चीन से J-35 लड़ाकू विमान नहीं खरीदेगा. यह बयान उस समय आया है, जब पाकिस्तान लगातार दावा कर रहा था कि उसे अगले कुछ महीनों में चीन से यह पांचवीं पीढ़ी के स्टील्थ लड़ाकू विमान मिल जाएंगे. विशेषज्ञों का मानना है कि पाकिस्तान का यह अचानक बदलाव अमेरिकी दबाव और चीन की डिलीवरी में देरी का परिणाम है. इस बीच, भारत ने अपने रक्षा क्षेत्र में नई योजनाओं का संकेत दिया है, जिससे पाकिस्तान की चिंता और बढ़ गई है.
पाकिस्तान का दावा और फिर पलटना
पाकिस्तान पिछले कुछ समय से यह दावा कर रहा था कि उसे चीन से J-35 लड़ाकू विमान मिलने वाले हैं. यह विमान, जिसे FC-31 का एक्सपोर्ट वर्जन भी कहा जाता है, पांचवीं पीढ़ी का स्टील्थ फाइटर है, और पाकिस्तान इसे अपनी वायुसेना की ताकत बढ़ाने के लिए चाहता था. हालांकि, अब पाकिस्तान के रक्षा मंत्री ने यह साफ कर दिया है कि वे चीन से J-35 नहीं खरीद रहे हैं. इसके पीछे अमेरिकी दबाव और चीन की डिलीवरी में हो रही देरी की आशंका जताई जा रही है. पहले ये कहा जा रहा था कि पाकिस्तान को J-35 विमान 2024 के अंत तक मिल जाएंगे, लेकिन अब इस पर संशय उत्पन्न हो गया है.
भारत की सुरक्षा योजनाओं से पाकिस्तान में हड़कंप
भारत ने हाल ही में अपने रक्षा सचिव के बयान में यह संकेत दिया कि वह पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमानों को लेकर गंभीरता से विचार कर रहा है. खासकर रूस के राष्ट्रपति व्लादिमीर पुतिन के प्रस्तावित दौरे को लेकर अटकलें हैं कि भारत रूस से Su-57E खरीद सकता है, जो कि एक अत्याधुनिक विमान है. पाकिस्तान में यह बयान सुनकर हड़कंप मच गया है, क्योंकि ऑपरेशन सिंदूर के दौरान पाकिस्तान की वायुसेना भारतीय वायुसेना की ताकत का सिर्फ एक छोटा सा आभास ही देख पाई थी. यदि भारत को पांचवीं पीढ़ी का विमान मिलता है, तो पाकिस्तान के लिए यह एक नई चुनौती होगी, जिसे वो अपनी वायुसेना की कमजोरी मान सकता है.
J-20 की ओर इशारा: पाकिस्तान का नया शिगूफा
पाकिस्तान की स्थिति और भी जटिल हो गई, जब वायुसेना के एक पूर्व पायलट और डिफेंस एक्सपर्ट, एयर कमोडोर (सेवानिवृत्त) खालिद चिश्ती ने यह दावा किया कि अगर चीन से J-35A की डिलीवरी में देरी होती है, तो पाकिस्तान चीन से J-20 विमान की आपूर्ति करने का अनुरोध कर सकता है. J-20, चीन का सबसे एडवांस्ड पांचवीं पीढ़ी का स्टील्थ फाइटर विमान है, जिसे केवल चीनी वायुसेना के लिए डिजाइन किया गया है और अभी तक इसे किसी दूसरे देश को नहीं बेचा गया है. पाकिस्तान का यह दावा न केवल हैरान करने वाला है, बल्कि यह सवाल भी खड़ा करता है कि क्या चीन अपने सबसे आधुनिक विमान को पाकिस्तान को देने के लिए तैयार होगा?
क्या J-20 खरीद सकता है पाकिस्तान?
हालांकि चीन ने कभी भी J-20 को निर्यात करने का इरादा नहीं दिखाया है, लेकिन पाकिस्तान के डिफेंस एक्सपर्ट्स द्वारा J-20 के संबंध में किए गए दावे आश्चर्यजनक हैं. यदि किसी चमत्कार के रूप में पाकिस्तान को J-20 मिलता भी है, तो उसे इस विमान को ऑपरेशनल बनाने में कई मुश्किलें आएंगी. पाकिस्तान की वायुसेना को J-20 के लिए पायलट प्रशिक्षण, नई एयरबेस इंफ्रास्ट्रक्चर और मेंटेनेंस क्षमता की आवश्यकता होगी, जो वर्तमान में पाकिस्तान के पास नहीं है. इसके अलावा, J-20 की कीमत भी J-35 से कहीं अधिक है, और पाकिस्तान की आर्थिक स्थिति इस तरह के एक महंगे विमान को खरीदने की अनुमति नहीं देती.
भारत के पास क्या विकल्प हैं?
भारत के पास भी पांचवीं पीढ़ी के विमानों को लेकर कई विकल्प हैं, हालांकि इन विकल्पों में भी कुछ चुनौतियाँ हैं. भारत का स्वदेशी AMCA (आधुनिक लड़ाकू विमान) प्रोजेक्ट 2035 से पहले पूरा होने की संभावना नहीं है, लेकिन रूस के Su-57E और अमेरिका के F-35 विमान भारत के लिए प्रासंगिक विकल्प हो सकते हैं. हालांकि, अमेरिकी F-35 विमान को लेकर कुछ राजनीतिक और रणनीतिक विवाद हैं, खासकर भारत के रूसी S-400 डिफेंस सिस्टम को लेकर. दूसरी ओर, रूस का Su-57E विमान एक बेहतर विकल्प साबित हो सकता है, क्योंकि यह उच्च-altitude थिएटर जैसे लेह-लद्दाख में अधिक प्रभावी है.
J-20 बनाम Su-57: कौन बेहतर है?
अगर हम चीनी J-20 और रूसी Su-57 के बीच तुलना करें तो दोनों ही विमान पांचवीं पीढ़ी के हैं, लेकिन इनकी डिजाइन और कार्यक्षमता में अंतर है. J-20 का मुख्य उद्देश्य रडार स्टील्थ और लंबी दूरी के मिशनों के लिए है, जबकि Su-57E को अधिक आक्रामक मैन्यूवरिंग और मल्टी-रोल ऑपरेशन के लिए डिजाइन किया गया है. J-20 में AESA रडार और लंबी दूरी की मिसाइलें हैं, जबकि Su-57E की सुपरक्रूज और हाइपरमैन्युवरेबिलिटी उसे एयर-डॉगफाइट के लिए बेहतर बनाती हैं. ऐसे में दोनों विमानों के बीच की प्रतियोगिता ऑपरेशनल जरूरतों पर निर्भर करेगी.
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