समुद्र के अंदर छुपा हुआ इतिहास एक बार फिर उजागर हुआ है. हाल ही में पुरातत्वविदों ने 300 साल पुरानी पुर्तगाली जहाज नोसा सेन्होरा डो काबो के मलबे को ढूंढ निकाला है. यह जहाज 1721 में समुद्री डाकुओं के हमले का शिकार हो गया था, और अब इस मलबे में छुपे बेशकीमती खजाने की कीमत 101 मिलियन पाउंड (लगभग 11.74 अरब रुपये) आंकी जा रही है. यह खोज इतिहासकारों और पुरातत्वविदों के लिए एक महत्वपूर्ण उपलब्धि है, क्योंकि इससे न केवल समुद्री डकैती के एक सुनहरे युग की झलक मिलती है, बल्कि एक समृद्ध लेकिन दर्दनाक अतीत भी सामने आता है.
1721 की समुद्री डकैती और उसके बाद का इतिहास
1721 में नोसा सेन्होरा डो काबो जहाज भारत के गोवा से लिस्बन की यात्रा पर था, जब उसे अफ्रीका के मेडागास्कर के पास समुद्री डाकुओं के एक बड़े हमले का सामना करना पड़ा. उस समय गोवा पुर्तगाल का उपनिवेश था, और पुर्तगाल की साम्राज्यवादी नीति के तहत इन जहाजों पर व्यापारिक सामान और गुलामों का भारी भंडार होता था. इतिहास में इसे समुद्री डाकुओं की सबसे बड़ी लूट में से एक माना जाता है, जिसमें अरबों रुपये का खजाना लूट लिया गया था. ट्रेजर की इस भारी लूट ने उस समय की समुद्री लुटेरों की प्रसिद्धि को और बढ़ा दिया.
ब्रिटिश मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, 8 से 17 अप्रैल 1721 के बीच, पुर्तगाली जहाज पर समुद्री लुटेरों के कप्तान ओलिवियर द बजर्ड लेवास्सेर की अगुवाई में यह हमला हुआ था. यह उस समय के सबसे कुख्यात समुद्री डकैती अभियानों में से एक बन गया.
डूबे हुए जहाज से मिला ऐतिहासिक खजाना
16 साल की गहन जांच के बाद, पुरातत्वविदों ने नोसा सेन्होरा डो काबो के मलबे को मेडागास्कर के उत्तर-पूर्वी तट पर नोसी बोराहा द्वीप के पास स्थित अंबोडीफोटात्रा खाड़ी में खोजा. इस जहाज के मलबे से 3300 से ज्यादा बहुमूल्य कलाकृतियां निकाली गई हैं, जिनमें धार्मिक मूर्तियों, सोने की सिल्लियों, मोती और खजाने से भरे संदूक शामिल हैं. इनमें एक हाथीदांत की पट्टी भी मिली है, जिस पर 'INRI' (Iesus Nazarenus Rex Iudaeorum) लिखा है, जो लैटिन में 'नाजरेथ का यीशु, यहूदियों का राजा' का प्रतीक है.
ब्राउन विश्वविद्यालय के शोधकर्ताओं ने इस खजाने को "समुद्री डाकुओं के मानकों के हिसाब से भी एक अद्भुत खजाना" बताया है, और उनका अनुमान है कि आज के समय में इस माल की कीमत 108 मिलियन पाउंड तक हो सकती है.
पुर्तगाल का साम्राज्य और उसकी उपनिवेशवादी नीति
जब नोसा सेन्होरा डो काबो जहाज पर हमला किया गया था, उस समय पुर्तगाल यूरोप और भारत के बीच प्रमुख समुद्री व्यापार मार्गों का नियंत्रण करता था. इन मार्गों पर भारी मात्रा में मसाले, कीमती पत्थर और गुलाम ले जाए जाते थे. गुलामों को पुर्तगाली साम्राज्य में बंदरगाहों और खदानों में कठोर श्रम के लिए मजबूर किया जाता था. ये जहाज समुद्री डाकुओं के प्रमुख लक्ष्य बन गए थे, क्योंकि इन पर हमेशा बहुमूल्य खजाना लोड होता था.
समुद्री डाकुओं के लिए ये जहाज लूट के खजाने से भरे होते थे, और इन्हीं लूटों की वजह से समुद्री डकैती के इस युग ने इतिहास में अपनी अमिट छाप छोड़ी. हालांकि, यह जहाज और उसका मलबा आज भी हमें उस काल की भूली हुई तस्वीरें दिखाते हैं, जब समुद्री व्यापार और साम्राज्यवादी विस्तार की खातिर इंसानियत का दोहन किया जाता था.
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