भारत ने दुनिया के सबसे बड़े और सबसे एडवांस सैन्य अभ्यास में पहली बार पूरी सैन्य टुकड़ी के साथ भाग लिया है, जो ऑस्ट्रेलिया के क्वींसलैंड में शुरू हुआ है. इस सैन्य अभ्यास का नाम Talisman Sabre 2025 है, और इसमें 19 देशों के करीब 35,000 सैनिक शामिल हैं. यह अभ्यास न केवल भारत की बढ़ती सैन्य शक्ति का प्रदर्शन है, बल्कि भारत की वैश्विक सैन्य भागीदारी में भी एक अहम कदम है.
भारत ने इस अभ्यास में अपनी पूरी ताकत झोंकी है, जिसमें थल सेना, नौसेना, वायु सेना और विशेष यूनिट्स की भागीदारी शामिल है. खास बात यह है कि इस अभ्यास में भारत की सक्रिय भागीदारी एक नए सैन्य अध्याय की शुरुआत को इंगित करती है, जिसमें भारत अब न केवल क्षेत्रीय, बल्कि वैश्विक सैन्य अभियानों में भी प्रमुख भूमिका निभा रहा है.
ऑस्ट्रेलिया में सबसे बड़ा युद्धाभ्यास: एक नई सैन्य रणनीति
ऑस्ट्रेलिया के क्वींसलैंड में आयोजित यह सैन्य अभ्यास अब तक का सबसे बड़ा युद्धाभ्यास है. अगले तीन हफ्तों तक, यह अभ्यास ऑस्ट्रेलिया के विभिन्न हिस्सों जैसे क्वींसलैंड, पश्चिमी ऑस्ट्रेलिया, न्यू साउथ वेल्स, और क्रिसमस द्वीप तक फैला रहेगा. इसके अतिरिक्त, सैन्य गतिविधियां पहली बार ऑस्ट्रेलियाई तटों से आगे बढ़कर पापुआ न्यू गिनी तक पहुंचने वाली हैं. इस अभ्यास के दौरान होने वाली सैन्य गतिविधियों का उद्देश्य सिर्फ जंग के मैदान पर प्रशिक्षण नहीं, बल्कि अंतरराष्ट्रीय सहयोग और सैन्य समन्वय को भी मजबूत करना है.
इंडो-पैसिफिक क्षेत्र में एकजुटता और सामरिक संतुलन की नई परिभाषा गढ़ने के संदर्भ में यह अभ्यास बेहद महत्वपूर्ण है. विशेषज्ञों का मानना है कि Talisman Sabre 2025 से सुरक्षा सहयोग बढ़ेगा और क्षेत्रीय चुनौतियों से निपटने में सभी देशों की सामूहिक शक्ति मजबूत होगी.
देशों की सूची और सैन्य गतिविधियां
इस सैन्य अभ्यास में कुल 19 देशों के सैन्य बल शामिल हैं, जिनमें अमेरिका, कनाडा, फिजी, फ्रांस, जर्मनी, भारत, जापान, इंडोनेशिया, न्यूजीलैंड, दक्षिण कोरिया, फिलीपींस, थाईलैंड, और यूनाइटेड किंगडम जैसे देश शामिल हैं. इसके अलावा मलेशिया और वियतनाम इस अभ्यास को 'ऑब्जर्वर' के तौर पर देख रहे हैं.
इस दौरान विभिन्न प्रकार के सैन्य अभियानों का अभ्यास किया जा रहा है, जिनमें लाइव-फायर ड्रिल्स, जल-थल लैंडिंग, हवाई युद्ध सिमुलेशन, समुद्री अभियान, और साइबर युद्ध तकनीकों का समावेश है. खासकर, ऑस्ट्रेलियाई रक्षा बल के नए उपकरणों जैसे UH-60M ब्लैक हॉक्स और लंबी दूरी की प्रिसिजन स्ट्राइक मिसाइल का प्रदर्शन किया जाएगा.
भारत की भागीदारी: रणनीतिक ताकत का प्रदर्शन
भारत की भूमिका इस सैन्य अभ्यास में विशेष रूप से महत्वपूर्ण है. भारत की थल सेना, नौसेना, और वायु सेना की विशेष यूनिट्स इस अभ्यास में भाग ले रही हैं. भारतीय सैनिकों ने ऑस्ट्रेलियाई HIMARS सिस्टम के साथ लाइव बमबारी और मोबाइल रॉकेट लॉन्चिंग सिस्टम का अभ्यास किया है, जो भविष्य के मल्टी-डायमेंशनल युद्ध की तैयारी का संकेत है. भारत और ऑस्ट्रेलिया की सेनाओं ने संयुक्त रूप से साइबर, समुद्री और अंतरिक्ष युद्ध तकनीकों पर भी ध्यान केंद्रित किया है.
यह संयुक्त अभ्यास भारत की सैन्य रणनीति को और मजबूत करता है, खासकर क्षेत्रीय सुरक्षा और सामरिक सहयोग में. साथ ही, यह अभ्यास दोनों देशों के सैन्य रिश्तों को और मजबूत करता है, जो आने वाले वर्षों में महत्वपूर्ण साबित हो सकते हैं.
चीन की निगरानी: सैन्य अभ्यास पर नजर
इस सैन्य अभ्यास के दौरान एक और दिलचस्प पहलू यह है कि चीन ने ऑस्ट्रेलिया की तरफ अपना सर्विलांस जहाज भेजा है. चीन की यह कोशिश इस अभ्यास के बारे में जानकारी जुटाने की प्रतीत होती है. यह घटना यह दर्शाती है कि वैश्विक स्तर पर सैन्य गतिविधियों पर निगरानी और रणनीतिक दबाव बनाना एक सामान्य बात बन चुकी है, खासकर जब बात इंडो-पैसिफिक क्षेत्र की हो.
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