जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हाल ही में हुए दर्दनाक हमले में 26 हिंदू तीर्थयात्रियों की हत्या के बाद भारत ने अपने रुख में स्पष्ट सख्ती दिखाई है. इस हमले के बाद दोनों देशों के बीच तनातनी तेज़ हो गई है और अब भारत ने कई मोर्चों पर पाकिस्तान को घेरने की रणनीति शुरू कर दी है. एक अहम कदम के तहत भारत ने चेनाब नदी पर बने बगलिहार डैम के फाटक बंद कर दिए हैं, जिससे पाकिस्तान की ओर जाने वाला पानी अब थम गया है.
बगलिहार डैम से पानी का बहाव रोका गया
‘इंडियन एक्सप्रेस’ की रिपोर्ट के अनुसार, भारत सरकार ने जम्मू-कश्मीर में स्थित बगलिहार जलविद्युत परियोजना के गेट बंद कर दिए हैं. यह डैम अब तक "रन ऑफ द रिवर" मॉडल पर काम करता था, यानी नदी के पानी को रोके बिना ही बिजली उत्पन्न करता था. लेकिन अब इसमें बदलाव कर दिया गया है. चेनाब नदी सिंधु जल संधि के तहत पाकिस्तान को मिलने वाली पश्चिमी नदियों में से एक है. भारत को इस पानी से केवल पनबिजली उत्पादन की अनुमति है, लेकिन अब भारत ने इसका बहाव भी नियंत्रित करना शुरू कर दिया है.
पंजाब में जल संकट की आशंका
इस कदम का सीधा असर पाकिस्तान के पंजाब प्रांत पर पड़ सकता है, जहां सिंचाई का मुख्य स्रोत चेनाब नदी है. अधिकारियों का मानना है कि इस नदी के जलप्रवाह में आई कमी के कारण पाकिस्तान में खेती के हालात बिगड़ सकते हैं. साथ ही खबर है कि झेलम नदी पर बने किशनगंगा बांध को लेकर भी भारत ऐसे ही कड़े कदम उठाने की योजना बना रहा है.
भारत ने सिंधु जल संधि से हटने के संकेत दिए
पहलू यह भी है कि भारत ने इस हमले के कुछ ही दिनों के भीतर सिंधु जल संधि से बाहर निकलने की प्रक्रिया शुरू कर दी थी. यह संधि 1960 में विश्व बैंक की मध्यस्थता में हुई थी, जिसके तहत तीन पूर्वी नदियों का पानी भारत और तीन पश्चिमी नदियों (जिसमें चेनाब शामिल है) का पानी पाकिस्तान को सौंपा गया था. लेकिन, भारत में कई विशेषज्ञ लंबे समय से यह मानते हैं कि इस संधि में भारत ने जरूरत से ज्यादा उदारता दिखाई थी.
सेना और नौसेना सतर्क, पाकिस्तान की उकसाने की कोशिश
वर्तमान स्थिति में भारत की तीनों सेनाएं हाई अलर्ट पर हैं. अरब सागर में भारतीय नौसेना बड़े पैमाने पर सैन्य अभ्यास कर रही है. वहीं पाकिस्तान इस गंभीर स्थिति में भी आतंकियों पर कार्रवाई करने की बजाय भारत को उकसाने में लगा हुआ है. हाल ही में पाकिस्तान ने 'अब्दाली' नाम की सतह से सतह पर मार करने वाली बैलिस्टिक मिसाइल का परीक्षण किया, जिसकी रेंज 450 किलोमीटर बताई जा रही है. हालांकि भारत के पास ‘अग्नि’ सीरीज़ जैसी मिसाइलें मौजूद हैं, जो कहीं अधिक उन्नत और लंबी दूरी तक मार करने में सक्षम हैं.
ये भी पढ़ेंः कौन थे बाबा शिवानंद? 128 साल की उम्र में ली अंतिम सांस, मिला था पद्मश्री अवार्ड