एक-दूसरे के लिए अपना एयरस्‍पेस नहीं खोलेंगे भारत-पाकिस्‍तान, फिर जारी किया फरमान, किसे ज्‍यादा नुकसान?

    भारत और पाकिस्तान के बीच चल रही कूटनीतिक तनातनी अब हवाई मार्गों तक पहुंच चुकी है.

    India and Pakistan will not open their airspace for each other
    प्रतिकात्मक तस्वीर/ FreePik

    नई दिल्ली: भारत और पाकिस्तान के बीच चल रही कूटनीतिक तनातनी अब हवाई मार्गों तक पहुंच चुकी है. दोनों देशों ने एक-दूसरे के विमानों के लिए अपने-अपने हवाई क्षेत्र (एयरस्पेस) को बंद रखने की समय सीमा को फिर से बढ़ा दिया है. अब यह प्रतिबंध 24 सितंबर 2025 सुबह 5:29 बजे तक लागू रहेगा. यह स्थिति अप्रैल 2025 से लगातार बनी हुई है, और अब यह विवाद पांचवें महीने में प्रवेश कर गया है.

    तनाव की शुरुआत और लगातार बढ़ते प्रतिबंध

    इस टकराव की जड़ें अप्रैल 2025 में हुई एक आतंकी घटना में छुपी हैं. जम्मू-कश्मीर के पहलगाम क्षेत्र में हुए एक आतंकी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के संबंधों में एक बार फिर से तनाव गहरा गया. इसके तुरंत बाद पाकिस्तान ने 24 अप्रैल को अपने एयरस्पेस को भारतीय विमानों के लिए बंद कर दिया. जवाबी कार्रवाई में भारत ने भी 30 अप्रैल से पाकिस्तानी विमानों के लिए अपने हवाई क्षेत्र को बंद कर दिया.

    तब से लेकर अब तक दोनों देश हर महीने NOTAM (Notice to Airmen) जारी कर रहे हैं, जिससे प्रतिबंध की अवधि आगे बढ़ती जा रही है. ताज़ा जानकारी के अनुसार, पाकिस्तान ने 20 अगस्त को नया नोटिस जारी किया, जिसके बाद भारत ने भी वही कदम दोहराया.

    क्या है NOTAM और इसका क्या मतलब है?

    NOTAM यानी “Notice to Airmen” एक आधिकारिक सूचना होती है, जो विमानन एजेंसियां पायलटों और एयरलाइनों को देती हैं. इसमें किसी भी क्षेत्र की हवाई स्थिति, सुरक्षा, मौसम या मार्ग की बाधाओं के बारे में जानकारी होती है.

    भारत और पाकिस्तान के नए NOTAM लगभग एक जैसे हैं, सिर्फ समय सीमा में अंतर है. दोनों ही देशों ने एक-दूसरे की एयरलाइनों और विमानों पर प्रतिबंध लगाया है, लेकिन दूसरे देशों की एयरलाइनों के लिए उनके एयरस्पेस खुले हैं. यानी, यह बंदिश सीमित और लक्षित है.

    किसे हो रहा है ज्यादा नुकसान?

    1. भारत की एयरलाइनों पर भारी असर

    भारत-पाकिस्तान के इस एयरस्पेस बंदी का सीधा प्रभाव भारत की विमानन कंपनियों पर पड़ रहा है. इसकी कई प्रमुख वजहें हैं:

    • भारतीय एयरलाइनों की अंतरराष्ट्रीय मौजूदगी काफी अधिक है.
    • भारत से पश्चिम की ओर जाने वाली अधिकतर उड़ानें जैसे कि यूरोप, मध्य एशिया, यूके और अमेरिका सामान्य रूप से पाकिस्तान के हवाई क्षेत्र से होकर गुजरती हैं.

    अब इन विमानों को लंबे मार्ग अपनाने पड़ रहे हैं, जिससे उड़ान का समय बढ़ रहा है और ईंधन खर्च भी ज्यादा हो रहा है.

    2. उड़ानें हुईं प्रभावित

    दिल्ली से लंदन जैसी उड़ानों में करीब 2 घंटे ज्यादा समय लग रहा है.

    इंडिगो जैसी एयरलाइनों को दिल्ली से ताशकंद और अल्माटी जैसे रूट्स को बंद करना पड़ा, क्योंकि लंबा रास्ता अब उनकी विमानों की क्षमता से बाहर है.

    एयर इंडिया को अनुमान है कि सालाना 60 करोड़ डॉलर (लगभग 5000 करोड़ रुपये) का नुकसान होगा अगर यह प्रतिबंध लंबा चलता है.

    जब 2019 में पाकिस्तान ने चार महीने के लिए एयरस्पेस बंद किया था, तब भारतीय एयरलाइनों को करीब 700 करोड़ रुपये का नुकसान उठाना पड़ा था.

    3. पाकिस्तान को अपेक्षाकृत कम प्रभाव

    पाकिस्तान इंटरनेशनल एयरलाइंस (PIA) की अंतरराष्ट्रीय उड़ानों की संख्या बहुत कम है. इसलिए उसे इस प्रतिबंध से उतना बड़ा आर्थिक नुकसान नहीं हो रहा जितना भारत की एयरलाइनों को झेलना पड़ रहा है.

    कितनी उड़ानें प्रभावित हो रही हैं?

    भारतीय विमानन क्षेत्र पर इस प्रतिबंध का प्रभाव गंभीर है:

    • साप्ताहिक लगभग 800 उड़ानें इस एयरस्पेस बंदी से प्रभावित हो रही हैं.
    • ये उड़ानें आमतौर पर उत्तरी भारत से चलती हैं और मध्य एशिया, यूरोप, यूके, अमेरिका और खाड़ी देशों की ओर जाती हैं.
    • एयरलाइनों को वैकल्पिक रास्तों से उड़ान भरनी पड़ रही है, जिससे लागत में इजाफा और यात्रियों की यात्रा अवधि में बढ़ोतरी हो रही है.

    यात्रियों को भी हो रही परेशानी

    इस प्रतिबंध के चलते सिर्फ एयरलाइनों को ही नहीं, बल्कि आम यात्रियों को भी कई असुविधाओं का सामना करना पड़ रहा है:

    • लंबी दूरी तय करने के कारण उड़ानों का समय बढ़ गया है.
    • कुछ रूट्स की उड़ानों को रद्द करना पड़ा है या फिर उनका किराया बहुत अधिक हो गया है.
    • जिन यात्रियों को ट्रांसफर फ्लाइट्स लेनी होती हैं, उनके लिए कनेक्टिविटी और ट्रांजिट टाइम में भी दिक्कतें आ रही हैं.

    आगे क्या हो सकता है?

    फिलहाल, दोनों देशों की ओर से किसी भी तरह की सुलह की संभावना के संकेत नहीं मिले हैं. कूटनीतिक रिश्तों में जारी तनाव के कारण यह एयरस्पेस प्रतिबंध आगे और भी बढ़ सकता है.

    हालांकि, aviation और logistics क्षेत्र से जुड़े विशेषज्ञ मानते हैं कि यह स्थिति व्यवसायिक और सामरिक दोनों स्तरों पर नुकसानदेह है, और इसका दीर्घकालिक असर भारत की अंतरराष्ट्रीय कनेक्टिविटी पर पड़ सकता है.

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