टोडाभीम (राजस्थान) : राजस्थान के टोडाभीम में मीणा पंचायत में एक युवक की वजह से अजीबो-गरीब फरमान सामने आया है. पंचायत ने सगाई से मना करने के युवक के बाल-मूंछ काट दिए और पंचायत ने पूरे गांव को समाज से बाहर निकाल दिया.
वहीं इसके साथ गांव पर 11 लाख रुपये का जुर्माना लगाया है, जिसे गांव ने नहीं भरा. इस वजह से गांव का बहिष्कार कर दिया गया है.
क्या हुआ था घटनाक्रम?
18 जनवरी को स्टेशन मास्टर युवक का परिवार लड़की के घर सगाई की रस्म के लिए पहुंचा था. रस्म शुरू होते ही लड़की को चौकी पर बैठाया गया. इस दौरान युवक के भाई और बहन ने लड़की को नापसंद करते हुए सगाई से इनकार कर दिया. उनका आरोप था कि जिस लड़की की फोटो दिखाई गई थी, वह और यह लड़की अलग-अलग थीं. इस पर लड़की के परिवार ने तुरंत जवाब मांगा, लेकिन युवक के परिवार ने सगाई करने से मना कर दिया.
इसके बाद लड़की के परिवार ने युवक के पिता, चाचा और छोटे भाई को बंधक बना लिया. उन्होंने पंच-पटेलों को बुलाकर मामले को सुलझाने की बात कही, लेकिन बात बिगड़ गई. लड़की पक्ष के लोगों ने युवक के भाई के साथ मारपीट की और उसकी मूंछ और बाल काट दिए. इस घटना को लेकर गांव में तनाव पैदा हो गया.
यह भी पढे़ं : Tata और Artel डीटीएच कारोबार का करेंगी मर्जर, एयरटेल के पास होगी 52-55% हिस्सेदारी
महापंचायत का सख्त फैसला
इस मामले की जांच के लिए मीणा समाज की महापंचायत ने 41 सदस्यों की एक टीम गांव भेजी. टीम ने पूरे घटनाक्रम की जांच की और रिपोर्ट महापंचायत को सौंपी. 27 जनवरी को करीरी के भैरू बाबा दंगल मैदान (टोडाभीम) में हुई महापंचायत में गांव पर 11 लाख रुपए का जुर्माना लगाया गया. गांव को जुर्माना भरने के लिए एक महीने का समय दिया गया, लेकिन जुर्माना नहीं भरा गया.
इसके बाद सोमवार रात को हुई महापंचायत में पूरे गांव को समाज से बहिष्कृत करने का फैसला सुनाया गया. महापंचायत के अध्यक्ष रामनिवास चौधरी ने कहा कि गांव को समाज में वापस शामिल करने के लिए नई महापंचायत बुलानी होगी. इसके अलावा, दो बिचौलियों पर 2 लाख रुपए का जुर्माना भी लगाया गया, जो उन्होंने अध्यक्ष को सौंप दिया.
समाज में बहिष्कार का क्या मतलब है?
मीणा समाज में बहिष्कार एक गंभीर सजा मानी जाती है. बहिष्कृत गांव के लोगों को समाज के किसी भी सामाजिक, धार्मिक या सांस्कृतिक कार्यक्रम में शामिल होने की अनुमति नहीं होती. इसके साथ ही, उन्हें समाज की सुविधाओं और सहयोग से भी वंचित कर दिया जाता है. गांव को समाज में वापस लाने के लिए नई महापंचायत बुलानी होगी और जुर्माना भरना होगा.
क्या है आगे की राह?
अब गांव वालों को समाज में वापस लाने के लिए नई महापंचायत बुलानी होगी. इसके साथ ही, 11 लाख रुपए का जुर्माना भरना होगा. यदि गांव वाले इन शर्तों को पूरा करते हैं, तो उन्हें समाज में वापस शामिल किया जा सकता है. हालांकि, इस पूरे मामले ने गांव और आसपास के इलाकों में तनाव पैदा कर दिया है.
यह घटना समाज में पंचायती फैसलों की ताकत और उनके प्रभाव को दर्शाती है. साथ ही, यह सवाल भी उठाती है कि क्या ऐसे फैसले आधुनिक कानूनी प्रक्रियाओं के अनुरूप हैं या नहीं. अब देखना यह है कि गांव वाले इस फैसले को कैसे संभालते हैं और क्या वे समाज में वापस लौट पाते हैं.
यह भी पढे़ं : असम में अडानी-अंबानी करेंगे 50-50 हजार करोड़ का निवेश, कहा- AI का मतलब असम इंटेलिजेंस