'ग्लोबल इकोनॉमी का ग्रोथ इंजन है भारत, चीन की रफ्तार धीमी', IMF चीफ का दावा, ट्रंप का टैरिफ हुआ बेअसर

    दुनिया की अर्थव्यवस्था इस वक्त एक अस्थिर दौर से गुजर रही है. बढ़ती ब्याज दरें, व्यापारिक तनाव, वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में बाधाएं, और भू-राजनीतिक तनावों ने आर्थिक विकास को प्रभावित किया है.

    IMF Chief said- India is the growth engine of global economy
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    दुनिया की अर्थव्यवस्था इस वक्त एक अस्थिर दौर से गुजर रही है. बढ़ती ब्याज दरें, व्यापारिक तनाव, वैश्विक आपूर्ति श्रृंखला में बाधाएं, और भू-राजनीतिक तनावों ने आर्थिक विकास को प्रभावित किया है. ऐसे समय में अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (IMF) की मैनेजिंग डायरेक्टर क्रिस्टालिना जॉर्जीवा का भारत को “ग्लोबल ग्रोथ इंजन” कहना न केवल उत्साहवर्धक है, बल्कि भारत की वैश्विक भूमिका में बदलाव का संकेत भी है.

    IMF प्रमुख का बड़ा बयान

    क्रिस्टालिना जॉर्जीवा ने अमेरिका के मिल्केन इंस्टीट्यूट में बोलते हुए कहा कि दुनिया की आर्थिक विकास दर जितना डराया गया था, उससे बेहतर बनी हुई है. हालांकि, यह दर वैश्विक आवश्यकताओं के हिसाब से अब भी कमजोर है. उन्होंने कहा, "भारत अब वैश्विक अर्थव्यवस्था के प्रमुख विकास इंजन के रूप में उभर रहा है, खासकर उस समय जब चीन की विकास दर में गिरावट देखी जा रही है."

    इस बयान का महत्व इसलिए और बढ़ जाता है क्योंकि यह बयान उस समय आया है जब दुनिया की बड़ी अर्थव्यवस्थाएं अमेरिका द्वारा लगाए गए भारी टैरिफ (आयात शुल्क) के दबाव में हैं.

    चीन की रफ्तार बनाम भारत की मजबूती

    पिछले कुछ दशकों तक चीन को "विश्व की फैक्ट्री" और विकास का मॉडल माना जाता था. लेकिन हाल के वर्षों में:

    • चीन की GDP ग्रोथ में लगातार गिरावट आई है.
    • रियल एस्टेट संकट और स्थानीय कर्ज में बढ़ोतरी ने उसकी आर्थिक नींव को कमजोर किया है.
    • अमेरिका और यूरोपीय देशों के साथ बिगड़ते व्यापारिक रिश्तों ने निवेशकों का भरोसा हिलाया है.

    वहीं दूसरी तरफ भारत ने अपनी अर्थव्यवस्था को लगातार मजबूत किया है:

    • मजबूत घरेलू मांग,
    • डिजिटल बुनियादी ढांचे का विस्तार,
    • विदेशी निवेश में बढ़ोतरी और
    • नीतिगत स्थिरता ने भारत को एक आकर्षक आर्थिक गंतव्य बना दिया है.

    अमेरिकी टैरिफ और वैश्विक व्यापार पर असर

    IMF प्रमुख का बयान ऐसे समय में आया है जब अमेरिका ने भारतीय उत्पादों पर 50% तक का टैरिफ लगाने का ऐलान किया है. इनमें से:

    • 25% टैरिफ रूस से तेल खरीदने पर पेनाल्टी के रूप में लगाया गया है.
    • शेष टैरिफ अमेरिकी व्यापार सुरक्षा के नाम पर लागू किया गया है.

    यह कदम वैश्विक व्यापार में अनिश्चितता पैदा कर रहा है. हालांकि, जॉर्जीवा ने कहा कि अब तक टैरिफ के उतने गंभीर प्रभाव नहीं देखे गए हैं जितनी आशंका थी, लेकिन आने वाले महीनों में इसके असर स्पष्ट हो सकते हैं.

    ग्लोबल इकोनॉमी में भारत और अमेरिका

    जॉर्जीवा ने कहा कि भारत और अमेरिका जैसी बड़ी अर्थव्यवस्थाएं वैश्विक मंदी के खतरे को काफी हद तक टालने में मदद कर रही हैं. उन्होंने तीन मुख्य कारण बताए:

    बेहतर मौद्रिक नीति (Monetary Policy): कई देशों ने समय पर ब्याज दरों को संतुलित किया है जिससे महंगाई को नियंत्रित किया जा सका.

    निजी क्षेत्र की लचीलापन (Private Sector Flexibility): कंपनियों ने संकट के समय खुद को जल्दी ढालने की क्षमता दिखाई है.

    टैरिफ के सीमित प्रभाव: अब तक बड़े स्तर पर व्यापार युद्ध जैसी स्थिति नहीं बनी है.

    भारत की मजबूती के पीछे कौन से कारण हैं?

    भारत की आर्थिक मजबूती के पीछे कई प्रमुख कारक हैं:

    1. तेजी से बढ़ती GDP

    IMF ने भारत की 2025 में विकास दर 6.5% के आसपास रहने का अनुमान लगाया है, जो कि वैश्विक औसत (3%) से कहीं ज्यादा है.

    2. डिजिटल क्रांति

    UPI, डिजिटल बैंकिंग, आधार, GST जैसे सुधारों ने पारदर्शिता और कुशलता को बढ़ाया है.

    भारत का फिनटेक सेक्टर दुनिया में सबसे तेज़ी से बढ़ने वाला क्षेत्र बन चुका है.

    3. आकर्षक निवेश गंतव्य

    विदेशी निवेशक चीन के मुकाबले भारत को अब ज़्यादा स्थिर और लोकतांत्रिक गंतव्य के रूप में देख रहे हैं.

    भारत में मैन्युफैक्चरिंग को बढ़ावा देने के लिए “मेक इन इंडिया”, PLI योजनाएं जैसी पहलें निवेश को आकर्षित कर रही हैं.

    4. जनसांख्यिकीय लाभ

    भारत की युवा आबादी वैश्विक श्रम शक्ति का केंद्र बनती जा रही है, जबकि चीन की जनसंख्या उम्रदराज हो रही है.

    ग्लोबल ग्रोथ आउटलुक: IMF का अनुमान

    • IMF ने अनुमान लगाया है कि 2025 तक वैश्विक विकास दर 3% के आसपास रह सकती है.
    • इसके पीछे अमेरिका, भारत और कुछ हद तक दक्षिण-पूर्व एशिया के देशों की बेहतर परफॉर्मेंस प्रमुख कारण है.
    • लेकिन यह दर अब भी COVID से पहले के स्तर (3.5% से ऊपर) से नीचे है.

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