बैलिस्टिक मिसाइल, ड्रोन, सेना... ईरान कैसे करेगा इजरायल पर जवाबी हमला? इन विकल्पों की होगी चर्चा!

    इजरायल द्वारा हाल ही में ईरान पर किए गए लक्षित हमलों ने न केवल सैन्य नुकसान पहुंचाया है, बल्कि ईरान की वैश्विक छवि और सामरिक विश्वसनीयता पर भी गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं.

    How will Iran retaliate against Israel
    प्रतीकात्मक तस्वीर/Photo- ANI

    तेहरान: इजरायल द्वारा हाल ही में ईरान पर किए गए लक्षित हमलों ने न केवल सैन्य नुकसान पहुंचाया है, बल्कि ईरान की वैश्विक छवि और सामरिक विश्वसनीयता पर भी गंभीर सवाल खड़े कर दिए हैं. ईरान के प्रमुख सैन्य कमांडर और परमाणु वैज्ञानिकों की मौत के बाद अब यह चर्चा तेज हो गई है कि तेहरान इस हमले का किस रूप में जवाब देगा.

    माना जा रहा है कि ईरान के लिए यह हमला सिर्फ एक सैन्य झटका नहीं, बल्कि एक रणनीतिक और मनोवैज्ञानिक चुनौती भी है. विश्लेषकों के अनुसार, ईरान के पास कई विकल्प हैं जिनके माध्यम से वह इजरायल पर प्रत्यक्ष या अप्रत्यक्ष दबाव बना सकता है.

    1. प्रॉक्सी नेटवर्क का विस्तार और हमले

    ईरान की सबसे प्रभावशाली रणनीति उसके प्रॉक्सी समूह हैं. यमन में हूती विद्रोही, इराकी शिया मिलिशिया, लेबनान स्थित हिजबुल्लाह और गाजा में इस्लामिक जिहाद जैसे संगठन ईरान के लिए लंबे समय से रणनीतिक हथियार रहे हैं.

    हालांकि, हालिया संघर्षों में इनमें से कई समूह कमजोर हुए हैं, फिर भी इनके पास इजरायल और क्षेत्रीय अमेरिकी ठिकानों पर हमले करने की क्षमता बरकरार है. इन प्रॉक्सियों के पास ईरानी तकनीक से लैस लंबी दूरी के ड्रोन और बैलिस्टिक मिसाइलें भी उपलब्ध हैं, जिन्हें भविष्य में इजरायल के खिलाफ सक्रिय किया जा सकता है.

    2. मिसाइल और ड्रोन हमलों की संभावना

    ईरान के पास विभिन्न प्रकार की बैलिस्टिक मिसाइलें और ‘कामिकेज़’ ड्रोन हैं, जो लंबी दूरी तक सटीक हमले करने में सक्षम हैं. इन हथियारों के जरिये ईरान इजरायल की महत्वपूर्ण सैन्य या औद्योगिक प्रतिष्ठानों को निशाना बनाने की योजना बना सकता है.

    विशेषज्ञों का मानना है कि ईरान अपने प्रॉक्सी नेटवर्क के जरिये इन हथियारों को इराक जैसे पड़ोसी देशों में स्थानांतरित कर, वहां से अप्रत्याशित हमला करने की रणनीति अपना सकता है.

    3. समुद्री हमले और शिपिंग लाइन पर दबाव

    ईरान की नौसेना, विशेष रूप से उसकी इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स (IRGC) नौसेना, लंबे समय से खाड़ी और ओमान की खाड़ी में असममित युद्ध रणनीति में माहिर है. ईरान वाणिज्यिक जहाजों को निशाना बनाकर वैश्विक शिपिंग पर प्रभाव डाल सकता है.

    इसके अलावा, वह हूती विद्रोहियों को समुद्री हमलों के लिए सक्रिय कर सकता है, ताकि दुनिया भर में तेल आपूर्ति पर दबाव बनाकर अंतरराष्ट्रीय समुदाय के सामने इजरायल को अलग-थलग करने का प्रयास कर सके.

    4. विदेशों में साजिश और गुप्त हमले

    इतिहास बताता है कि ईरान अक्सर विदेशों में गुप्त ऑपरेशन के जरिये अपने विरोधियों को निशाना बनाता है. तुर्की, साइप्रस, यूरोप और दक्षिण अमेरिका में अतीत में ऐसे प्रयास सामने आ चुके हैं, जहां ईरान ने इजरायल से जुड़े व्यक्तियों या संस्थानों को निशाना बनाने की कोशिश की थी.
    यह आशंका जताई जा रही है कि ईरान फिर से वैश्विक स्तर पर अपने खुफिया नेटवर्क के जरिये इसी तरह के हमले कराने का प्रयास कर सकता है.

    5. पारंपरिक सेना की सीमित भूमिका

    ईरान की पारंपरिक सेना और वायुसेना की क्षमताएं अपेक्षाकृत सीमित हैं. प्रतिबंधों और आधुनिक हथियारों की कमी के चलते ईरान का प्राथमिक फोकस मिसाइल, ड्रोन और समुद्री ताकत पर रहा है. ईरान की पारंपरिक सेनाएं इजरायल तक सीधे पहुंचने में असमर्थ हैं, लेकिन फारस की खाड़ी में अमेरिकी ठिकानों को निशाना बनाना एक संभावित विकल्प हो सकता है.

    6. वैश्विक समर्थन हासिल करने की कोशिश

    ईरान पिछले कुछ वर्षों में कूटनीति के स्तर पर काफी सक्रिय रहा है. रूस, चीन, तुर्की और पाकिस्तान जैसे देशों के साथ इसके रिश्ते मजबूत हुए हैं. इसके अलावा, ब्रिक्स और एससीओ जैसे बहुपक्षीय समूहों में सदस्यता ने उसे अंतरराष्ट्रीय मंच पर एक नई भूमिका दी है.

    विश्लेषकों का मानना है कि ईरान इजरायल के खिलाफ एक नैरेटिव खड़ा करने की कोशिश कर सकता है कि वह आक्रामकता का शिकार है और अंतरराष्ट्रीय समर्थन हासिल करने के लिए इस कूटनीतिक मंच का प्रयोग कर सकता है.

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