वॉशिंगटन: पश्चिम एशिया में चल रहे संकट ने एक नए और निर्णायक मोड़ पर तब दस्तक दी जब अमेरिका ने “ऑपरेशन मिडनाइट हैमर” के तहत ईरान के तीन प्रमुख परमाणु ठिकानों—फोर्डो, नतांज और इस्फहान—पर एक बेहद संगठित और अभूतपूर्व हवाई हमला किया. इस सैन्य कार्रवाई को सिर्फ एक जवाबी हमला नहीं, बल्कि तकनीकी, रणनीतिक और कूटनीतिक दृष्टिकोण से दशकों में सबसे परिष्कृत ऑपरेशन के रूप में देखा जा रहा है.
इस कार्रवाई को अंजाम देने में अमेरिका ने अपने अत्याधुनिक B-2 स्टेल्थ बॉम्बर्स, क्रूज मिसाइलों, और 125 से अधिक सैन्य विमानों की भागीदारी के साथ सैन्य कौशल का प्रदर्शन किया, जो न केवल ईरान को बल्कि समूचे विश्व को चौंका गया.
हमले के लक्ष्य: ईरान के रणनीतिक केंद्र
हमले का फोकस तीन अत्यंत संवेदनशील परमाणु प्रतिष्ठान थे:
फोर्डो – ईरान का अति-गोपनीय यूरेनियम संवर्धन केंद्र, जो पहाड़ियों के भीतर बंकरों में स्थित है.
नतांज – यूरेनियम संवर्धन की प्रमुख साइट, जहां हजारों सेंट्रीफ्यूज काम कर रहे थे.
इस्फहान – परमाणु अनुसंधान और डेवलपमेंट का केंद्र, जहां मिसाइलों की डिजाइनिंग और तकनीकी नवाचार होता है.
हमले के दौरान इन ठिकानों पर 14,000 किलो वजनी GBU-57 बंकर बस्टर बमों और 30 टॉमहॉक क्रूज मिसाइलों से हमला किया गया. क्रूज मिसाइलें अमेरिकी पनडुब्बियों से 400 मील की दूरी से लॉन्च की गई थीं.
2 साल की योजना, अदृश्य तैयारी
ऑपरेशन "मिडनाइट हैमर" सिर्फ एक सैन्य प्रतिक्रिया नहीं थी, यह दो वर्षों से चल रही एक अति-गोपनीय योजना का परिणाम थी. अमेरिका ने इस अवधि में तीनों परमाणु साइट्स की विस्तृत रीकॉनिसेंस (खुफिया निगरानी) की, ग्राउंड पेनिट्रेशन रडार, सैटेलाइट इमेजिंग और साइबर इंटेलिजेंस के माध्यम से हर बंकर और सुरंग की जानकारी हासिल की.
भ्रम की रणनीति:
हमले से पहले अमेरिका ने सार्वजनिक रूप से युद्ध की कोई जल्दी नहीं दिखाते हुए भ्रम फैलाया. राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रम्प ने बयान दिया कि “हम दो हफ्तों में निर्णय लेंगे.” इसके साथ ही कुछ B-2 बॉम्बर्स को जानबूझकर अमेरिका के पश्चिमी हिस्से में सैन्य अभ्यास के रूप में तैनात किया गया.
लेकिन असली हमला हुआ व्हाइट-मैन एयरफोर्स बेस (मिसौरी) से, जिससे ईरान को दिशा और समय दोनों का अंदाज़ा नहीं हो सका.
B-2 बॉम्बर्स: अदृश्यता और आक्रामकता
B-2 बॉम्बर्स की इस कार्रवाई को अब तक के सबसे जटिल हवाई अभियानों में से एक माना जा रहा है. मिशन की कुछ प्रमुख बातें:
महिलाएं भी बनीं ऑपरेशन का हिस्सा
अमेरिकी रक्षा सचिव पीट हगसेथ ने जानकारी दी कि इस ऑपरेशन में शामिल B-2 बॉम्बर्स में एक महिला पायलट भी थीं. यह पहली बार है जब इतनी जटिल और जोखिमपूर्ण रणनीतिक कार्रवाई में महिला पायलट ने नेतृत्व किया. अमेरिकी वायुसेना में यह कदम लैंगिक समानता की दिशा में एक ऐतिहासिक बिंदु माना जा रहा है.
अमेरिका-इज़रायल समन्वय:
हमले से पहले इज़रायल ने लगातार 9 दिनों तक ईरान के मिलिट्री इन्फ्रास्ट्रक्चर को कमजोर करने की कोशिश की थी. इन हमलों का उद्देश्य ईरान की वायुसेना और मिसाइल सुरक्षा तंत्र को व्यस्त रखना था, ताकि अमेरिका के लिए रास्ता साफ हो.
इज़रायल द्वारा दी गई यह सैन्य बैकिंग एक साझा रणनीति का हिस्सा थी, जिसे “Active Distraction Doctrine” के तहत तैयार किया गया था — जिसमें एक सहयोगी देश दुश्मन को उलझाकर दूसरे की कार्रवाई के लिए रास्ता बनाता है.
ये भी पढ़ें- फोर्डो परमाणु ठिकाने पर अमेरिका के बाद इजरायल का हमला, ईरान की इस बदनाम जेल के गेट पर भी गिराए बम