RBI ने आम लोगों को दिया न्यू ईयर गिफ्ट, सस्ते होंगे लोन, ब्याज दर 0.25% घटाई... समझें पूरा गणित

    देश के बैंकिंग रेगुलेटर रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने होम और कार लोन की ईएमआई को कम करने का फैसला किया है.

    How much did RBI change the interest rates MPC
    प्रतिकात्मक तस्वीर/ ANI

    RBI MPC Meeting: देश के बैंकिंग रेगुलेटर रिजर्व बैंक ऑफ इंडिया (RBI) ने होम और कार लोन की ईएमआई को कम करने का फैसला किया है. RBI की मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी (MPC) ने दिसंबर में हुई बैठक में रेपो रेट में 0.25 प्रतिशत की कटौती की, जिसके बाद रेपो रेट घटकर 5.25 फीसदी हो गया.

    इससे पहले, RBI ने इस साल फरवरी, अप्रैल और जून में भी रेपो रेट में कटौती की थी. मतलब कि इस साल MPC ने कुल 1.25 प्रतिशत की कटौती की है. वहीं अगस्त और अक्टूबर में रेट को स्थिर रखा गया. RBI ने अपना रुख न्यूट्रल रखा है, जिससे आने वाले महीनों में और कटौती की संभावना बनी हुई है.

    रिजर्व बैंक ने क्यों घटाया रेपो रेट?

    RBI रेपो रेट वह दर है, जिस पर बैंक को रिजर्व बैंक से लोन मिलता है. रेपो रेट घटने का मतलब है कि बैंकों को सस्ता कर्ज मिलेगा और वे इसे ग्राहकों तक पहुंचाएंगे. इससे होम, कार और पर्सनल लोन की ब्याज दर कम हो जाती है.

    RBI ब्याज दरों को इसलिए बढ़ाता या घटाता है ताकि महंगाई और अर्थव्यवस्था का संतुलन बना रहे. अगर महंगाई बढ़ रही हो तो रेट बढ़ाई जाती है और अगर अर्थव्यवस्था सुस्त चल रही हो तो रेट घटाई जाती है.

    लोनधारकों को कितनी राहत मिलेगी

    रेपो रेट में 0.25% कटौती के बाद 20 साल के 20 लाख रुपये के होम लोन की ईएमआई लगभग ₹310 तक घट सकती है. इसी तरह 30 लाख रुपये के लोन की ईएमआई करीब ₹465 तक कम हो जाएगी. इसका फायदा नई और मौजूदा दोनों लोनधारकों को मिलेगा.

    विशेषज्ञों का कहना है कि यह कटौती रियल एस्टेट और ऑटो सेक्टर को भी बढ़ावा देगी. ब्याज दरें घटने से हाउसिंग डिमांड बढ़ेगी और निवेशकों की संख्या बढ़ेगी.

    इस साल पहले भी घटाई जा चुकी है ब्याज दर

    • फरवरी में रेपो रेट 6.5% से घटाकर 6.25% की गई.
    • अप्रैल में 0.25% की कटौती.
    • जून में 0.50% की कटौती.
    • दिसंबर में 0.25% की नई कटौती.

    इस तरह इस साल MPC ने तीन बार ब्याज दर में कुल 1.25% की कमी की है.

    RBI की मॉनेटरी पॉलिसी कमेटी की बैठक

    MPC में 6 सदस्य होते हैं, जिनमें 3 RBI के और 3 केंद्र सरकार द्वारा नियुक्त होते हैं. MPC की बैठक हर दो महीने में होती है. वित्त वर्ष 2025-26 में MPC की कुल 6 बैठकें होंगी.

    रेपो रेट और रिवर्स रेपो रेट का आम लोगों पर असर

    • रेपो रेट घटने से लोन सस्ता होता है और ईएमआई घटती है.
    • रिवर्स रेपो रेट का असर सीधे आम लोगों पर नहीं पड़ता, यह बैंकों को रिजर्व बैंक में जमा रकम पर मिलने वाले ब्याज से जुड़ा है.
    • जब बाजार में नकदी कम करनी होती है, RBI रिवर्स रेपो रेट बढ़ाता है, ताकि बैंक अपनी बचत रिजर्व बैंक में जमा करें.

    RBI ने न्यूट्रल रुख बनाए रखा है. इसका मतलब है कि आने वाले महीनों में जरूरत पड़ने पर रेपो रेट में और कटौती की जा सकती है. विशेषज्ञों का मानना है कि इससे लोनधारकों को फायदा मिलेगा, हाउसिंग सेक्टर को बल मिलेगा और अर्थव्यवस्था में निवेश बढ़ेगा.

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