हिमाचलः शिक्षकों के जींस, टी-शर्ट, चटक रंग वाली और फैशनेबल पोशाक पर रोक, शिक्षा विभाग ने जारी किया निर्देश

    हिमाचल प्रदेश के सरकारी स्कूलों में पढ़ाने वाले शिक्षकों के लिए शिक्षा विभाग ने एक नई सलाह जारी की है, जिसमें शिक्षकों से औपचारिक और मर्यादित पहनावे को अपनाने की अपील की गई है.

    Himachal Ban on jeans T shirts Education Department
    प्रतीकात्मक तस्वीर | Photo: Freepik

    हिमाचल प्रदेश के सरकारी स्कूलों में पढ़ाने वाले शिक्षकों के लिए शिक्षा विभाग ने एक नई सलाह जारी की है, जिसमें शिक्षकों से औपचारिक और मर्यादित पहनावे को अपनाने की अपील की गई है. हालांकि यह कोई बाध्यकारी नियम नहीं है, लेकिन इसका उद्देश्य स्कूल के वातावरण को अधिक पेशेवर बनाना और शिक्षकों को विद्यार्थियों के लिए एक सच्चा रोल मॉडल बनाना है.

    शिक्षा सचिव ने क्या कहा?

    शिक्षा सचिव राकेश कंवर की ओर से जारी इस परामर्श में कहा गया है कि शिक्षक समाज का आधार स्तंभ होते हैं और उनके पहनावे तथा आचरण से विद्यार्थियों के मन-मस्तिष्क पर गहरी छाप पड़ती है. कई शिक्षक पहले से ही गरिमामय और एक जैसे पहनावे को अपनाकर उदाहरण प्रस्तुत कर रहे हैं. यह परामर्श इन्हीं प्रयासों को एक दिशा देने और राज्य भर में एक समान दृष्टिकोण अपनाने की मंशा को दर्शाता है.

    शिक्षा विभाग ने स्पष्ट किया है कि स्कूलों के शिक्षकों को जींस, टी-शर्ट, अत्यधिक चटक रंग वाली या अत्यधिक फैशनेबल पोशाकों और भारी आभूषणों से बचना चाहिए. पुरुष शिक्षकों के लिए हल्के रंग की औपचारिक शर्ट और पतलून को उपयुक्त माना गया है, वहीं महिला शिक्षकों को सादगीपूर्ण भारतीय पोशाक जैसे साड़ी, सलवार-कमीज या औपचारिक पश्चिमी परिधान पहनने की सलाह दी गई है. इसके अलावा, सर्दियों में मैरून या नीले रंग का ब्लेजर और पेशेवर जूते पहनने को भी प्रोत्साहित किया गया है.

    यह ड्रेस कोड पूरी तरह से स्वैच्छिक

    यह ड्रेस कोड पूरी तरह से स्वैच्छिक है और इसे लागू करने का निर्णय प्रत्येक स्कूल के प्रबंधन के विवेक पर छोड़ा गया है. स्थानीय प्राथमिकताओं और मौसम की स्थिति को ध्यान में रखते हुए, स्कूल यह तय कर सकते हैं कि वे इस सलाह का किस हद तक पालन करना चाहते हैं. कुछ स्कूल सप्ताह में एक या दो दिन इसे लागू करने की योजना बना सकते हैं.

    शिक्षा विभाग का यह कदम इस दिशा में एक सकारात्मक शुरुआत माना जा रहा है, जिससे स्कूलों में पेशेवर और प्रेरणादायक माहौल विकसित किया जा सकेगा. यह पहल न केवल शिक्षकों के पहनावे को लेकर है, बल्कि उनके सामाजिक उत्तरदायित्व और छात्रों पर उनके प्रभाव को ध्यान में रखते हुए की गई है.

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