गधों का कसाई खाना बना ग्‍वादर, पाकिस्तान-चीन के मनसूबे फेल; बौखला उठा ड्रैगन

    ग्वादर अभी भी दुबई बनने से काफी दूर है, और चीन की ओर से निराशा बढ़ती जा रही है.

    Gwadar became a donkey slaughterhouse Pakistan and China plans failed
    प्रतीकात्मक तस्वीर | Photo: ANI

    पाकिस्तान और चीन ने ग्वादर शहर को एक अत्याधुनिक महानगर बनाने का सपना देखा था, जो दुबई जैसी शान और समृद्धि से लैस हो. चीन ने ग्वादर में अरबों डॉलर की सीपीईसी (चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा) परियोजना की शुरुआत की, जिसमें उसने लगभग 50 अरब डॉलर का निवेश किया. हालांकि, इसके बावजूद ग्वादर अभी भी दुबई बनने से काफी दूर है, और चीन की ओर से निराशा बढ़ती जा रही है. इस बीच, ग्वादर में चीनी नागरिकों पर कई हमले भी हो चुके हैं, जो सुरक्षा और स्थिति को और जटिल बना रहे हैं.

    गधों का कसाई खाना बना ग्‍वादर

    ताजा घटनाक्रम में, पाकिस्तान ने ग्वादर में गधों के मांस, हड्डी और चमड़े की बढ़ती मांग को देखते हुए गधों के मांस को कसाईखाने से निकालने की प्रक्रिया शुरू की है. पाकिस्तान ने इस परियोजना के लिए 70 लाख डॉलर का निवेश किया है. यह कदम चीन में परंपरागत दवाओं की बढ़ती मांग को देखते हुए उठाया गया है, क्योंकि वहां गधे के मांस और हड्डियों का उपयोग आयुर्वेदिक दवाओं में होता है, जो खासतौर पर पुरुषों की यौन शक्ति को बढ़ाने के लिए इस्तेमाल होती हैं.

    ग्वादर में यह कसाईखाना चीन की कंपनी हानगेंग ट्रेड कंपनी द्वारा स्थापित किया गया है. पाकिस्तान में गधों का उपयोग सामान ढोने के लिए किया जाता है और कुछ इस्लामिक परंपराओं में इसे पवित्र माना जाता है. फिर भी, पाकिस्तान और चीन के बीच 2024 में हुए एक समझौते के तहत, खासकर गधों के चमड़े के निर्यात को लेकर एक महत्वपूर्ण कदम उठाया गया है. अब, इस कसाईखाने से हर साल लगभग 3 लाख गधों के चमड़े को चीन निर्यात किया जाएगा.

    पाकिस्तान में एक विवाद खड़ा हो गया

    चीन में गधों के चमड़े से बनी दवाओं, जैसे कि "इजीआओ", की भारी मांग है, जो ब्‍लड सर्कुलेशन को बढ़ाने और इम्‍यून सिस्‍टम को मजबूत करने का दावा करती है. साथ ही यह कैंसर को रोकने में भी मदद करती है, जिससे इस दवा का चीन में सालाना बाजार मूल्य 8 अरब डॉलर के करीब है. इस कारण से, चीन में गधों की जनसंख्या में भारी कमी आई है, जो 1990 में 11 मिलियन थी और अब 2021 तक घटकर केवल 2 मिलियन रह गई है.

    इस परियोजना के बीच पाकिस्तान में एक विवाद खड़ा हो गया है, क्योंकि मुस्लिम धर्मगुरु और स्थानीय लोग ग्वादर में गधों के कसाईखाने का विरोध कर रहे हैं. इस्लाम में गधे का मांस खाना वर्जित है, और इस कारण पाकिस्तान में गधों की संख्या में गिरावट आने की संभावना जताई जा रही है. हर साल इस दवा की मांग के कारण पूरी दुनिया में 59 गधों को मारा जाता है. पहले चीन अफ्रीका से गधे आयात करता था, लेकिन अफ्रीकी यूनियन ने गधों के चमड़े के निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया, जिसके बाद चीन की निर्भरता पाकिस्तान पर बढ़ गई है.

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