अमेरिकी स्टील्थ फाइटर F-47 का पहला खरीदार कौन? ट्रंप ने इस देश को दिया ऑफर

    अमेरिका का अत्याधुनिक F-47 छठी पीढ़ी का लड़ाकू विमान जल्द ही अंतरराष्ट्रीय बाजार में उतर सकता है, और जापान इसका पहला ग्राहक बन सकता है.

    first buyer of American stealth fighter F-47 Trump
    अमेरिकी स्टील्थ फाइटर F-47 | Photo: US Airforce

    जहां भारत अब भी अपनी पहली पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान की तलाश में जुटा है, वहीं अमेरिका अब अगली पीढ़ी के स्टील्थ फाइटर जेट को दुनिया के सामने लाने को तैयार है. ताजा रिपोर्ट्स के मुताबिक, अमेरिका का अत्याधुनिक F-47 छठी पीढ़ी का लड़ाकू विमान जल्द ही अंतरराष्ट्रीय बाजार में उतर सकता है, और जापान इसका पहला ग्राहक बन सकता है.

    ट्रंप ने की पेशकश, जापान से बातचीत की पुष्टि

    अमेरिका के राष्ट्रपति डोनाल्ड ट्रंप ने हाल ही में जापान के प्रधानमंत्री शिगेरू इशिबा से एक फोन कॉल के दौरान F-47 फाइटर जेट की पेशकश की. रिपोर्ट्स के अनुसार, यह कॉल 23 मई को ट्रंप के अनुरोध पर की गई थी. बातचीत के दौरान ट्रंप ने F-47, F-22 रैप्टर और F-35 जैसे आधुनिक लड़ाकू विमानों का ज़िक्र करते हुए कहा कि अमेरिका जापान के लिए ‘सबसे बेहतरीन’ फाइटर जेट लाना चाहता है.

    GCAP से हट सकता है जापान?

    गौरतलब है कि जापान वर्तमान में ब्रिटेन और इटली के साथ मिलकर ग्लोबल कॉम्बैट एयर प्रोग्राम (GCAP) के तहत 6वीं पीढ़ी का जेट विकसित कर रहा है. लेकिन हाल की रिपोर्टों में कहा गया है कि जापान को शक है कि यह प्रोग्राम 2035 तक फाइटर जेट रोलआउट करने का लक्ष्य पूरा कर पाएगा या नहीं. इसीलिए जापान को अब विकल्पों पर विचार करना पड़ रहा है – जैसे कि अधिक F-35 खरीदना या F-15 बेड़े को अपग्रेड करना.

    F-47: अमेरिका का नया गेम-चेंजर फाइटर जेट

    ट्रंप ने इस साल मार्च में बोइंग को F-47 छठी पीढ़ी के स्टील्थ फाइटर जेट के निर्माण का ठेका दिया था. इस विमान को अमेरिका के NGAD (Next Generation Air Dominance) प्रोग्राम का हिस्सा माना जा रहा है. दिलचस्प बात यह है कि ट्रंप ने इसके निर्यात वर्जन का भी ज़िक्र किया है. उन्होंने यह भी कहा कि कुछ देशों को इसका कमज़ोर (downgraded) वर्जन बेचा जा सकता है क्योंकि “कभी-कभी जो आज सहयोगी हैं, वो भविष्य में नहीं भी हो सकते.”

    भारत के लिए सबक?

    जहां जापान छठी पीढ़ी के लड़ाकू विमानों की दिशा में तेजी से कदम बढ़ा रहा है, वहीं भारत अब भी AMCA प्रोजेक्ट को मूर्त रूप देने की कोशिश में है. ऐसे में यह घटनाक्रम भारत के लिए चेतावनी है कि आने वाले वर्षों में एयर डिफेंस टेक्नोलॉजी में पिछड़ना रणनीतिक रूप से घातक हो सकता है.

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