F-22 रैप्टर: अदृश्य होकर हमला करने वाला फाइटर, दुश्मनों के रडार पर नहीं आता... इस वजह से कांपती है दुनिया

    अमेरिका का F-22 Raptor एक ऐसा नाम है जिसे दुनिया का सबसे घातक और अजेय लड़ाकू विमान माना जाता है.

    F-22 Raptor fighter attacks invisibly
    प्रतीकात्मक तस्वीर | Photo: Freepik

    आज की आधुनिक जंग केवल हथियारों की ताकत पर नहीं, बल्कि तकनीकी वर्चस्व पर भी टिकी है. युद्ध के मैदान अब आसमान में तय हो रहे हैं, और इसमें निर्णायक भूमिका निभा रहे हैं पांचवीं पीढ़ी के स्टील्थ फाइटर जेट्स. ऐसे विमानों में अमेरिका का F-22 Raptor एक ऐसा नाम है जिसे दुनिया का सबसे घातक और अजेय लड़ाकू विमान माना जाता है.

    F-22 न केवल अपनी रफ्तार से हैरान करता है, बल्कि हवा में ऐसी कलाबाजियां करता है, जिन्हें पकड़ पाना किसी भी दुश्मन के लिए नामुमकिन है. इसे लॉकहीड मार्टिन और बोइंग ने मिलकर विकसित किया है और यह 2005 से अमेरिकी वायुसेना की रीढ़ बन चुका है.

    अदृश्य हमला करने वाला फाइटर

    F-22 का सबसे बड़ा हथियार है इसकी स्टील्थ तकनीक. इसका डिजाइन ऐसा तैयार किया गया है कि यह दुश्मन के रडार में नहीं आता. मतलब, यह बिना देखे दुश्मन के क्षेत्र में घुस सकता है और टारगेट को तबाह कर सकता है. यही वजह है कि अमेरिका इस तकनीक को किसी और देश के हाथ में नहीं देना चाहता.

    रफ्तार, ऊंचाई और चपलता में बेजोड़

    इस विमान में लगे दो शक्तिशाली इंजन मिलकर 70,000 पाउंड तक का थ्रस्ट पैदा करते हैं. इसकी ‘सुपरक्रूज़’ क्षमता इसे बिना आफ्टरबर्नर के भी ध्वनि से तेज उड़ान भरने में सक्षम बनाती है. यह 1,850 किमी/घंटा की रफ्तार और 50,000 फीट से अधिक ऊंचाई तक उड़ सकता है.

    थ्रस्ट वेक्टरिंग तकनीक इसकी सबसे बड़ी खूबी है, जो हवा में उसे अविश्वसनीय रूप से फुर्तीला बनाती है. इसका AN/APG-77 AESA रडार और सेंसर फ्यूज़न तकनीक पायलट को 360 डिग्री की संपूर्ण जानकारी प्रदान करता है, जिससे यह दुश्मन को पहले देख और खत्म कर सकता है.

    भयानक हथियारों से लैस

    • F-22 में ये घातक हथियार लगाए जा सकते हैं:
    • छह AIM-120 AMRAAM मिसाइलें
    • दो AIM-9 साइडवाइंडर मिसाइलें
    • JDAM स्मार्ट बम
    • 20mm वल्कन गन

    यह किसी भी लक्ष्य को बेहद सटीकता से तबाह कर सकता है — चाहे वो आसमान में हो या जमीन पर.

    क्यों नहीं बेचा जाता F-22?

    अमेरिका ने कभी भी F-22 रैप्टर को किसी भी देश को निर्यात नहीं किया. इसकी स्टील्थ तकनीक इतनी संवेदनशील है कि अमेरिकी कांग्रेस ने 2006 में कानून बनाकर इसके निर्यात पर प्रतिबंध लगा दिया.

    जापान और इज़राइल जैसे सहयोगी देशों ने इसे खरीदने की कोशिश की थी, लेकिन अमेरिका ने इन देशों को F-35 देने का ही विकल्प चुना. 2016 में चीन द्वारा इसकी तकनीक चुराने की कथित कोशिशों के बाद अमेरिका इस मामले में और सतर्क हो गया. इसके पीछे साफ मकसद है—दुनिया में तकनीकी बढ़त बनाए रखना.

    भारत और भविष्य की तैयारी

    भारत भी अब अपनी पांचवीं पीढ़ी के लड़ाकू विमान AMCA (Advanced Medium Combat Aircraft) पर काम कर रहा है. हालांकि इसे सेवा में आने में अभी वक्त लगेगा, लेकिन यह भारत के आत्मनिर्भर रक्षा कार्यक्रम में एक बड़ा कदम होगा.

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