दक्षिण एशिया में इस्लामिक कट्टरपंथ के फैलाव को लेकर एक नई चिंता सामने आई है. बांग्लादेश में सक्रिय चरमपंथी संगठनों को अब तुर्की की खुली या छिपी मदद मिलने लगी है. एक हालिया रिपोर्ट के अनुसार, तुर्की की खुफिया एजेंसियां बांग्लादेश में कट्टरपंथी नेटवर्क, खासकर जमात-ए-इस्लामी को न केवल वैचारिक बल्कि वित्तीय और लॉजिस्टिक सहायता भी दे रही हैं.
जमात-ए-इस्लामी को दोबारा संजीवनी
एक समय बांग्लादेश में प्रतिबंधित जमात-ए-इस्लामी, अब फिर से सक्रिय होने लगी है. ढाका के मोघबाजार इलाके में इसके दफ्तर का जीर्णोद्धार किया जा रहा है, जिसे खुफिया रिपोर्ट्स के अनुसार तुर्की समर्थित संगठनों से फंडिंग मिल रही है. यह महज भवन का नवीनीकरण नहीं, बल्कि संगठन की पुरानी पकड़ को फिर से मजबूत करने की कवायद है.
तुर्की की वैचारिक नज़दीकी और राजनीतिक चाल
राष्ट्रपति एर्दोगन के नेतृत्व में तुर्की वैश्विक इस्लामी प्रभाव बढ़ाने की रणनीति पर काम कर रहा है. दक्षिण एशिया में मुसलमानों के बीच तुर्की के धार्मिक-सांस्कृतिक प्रभाव को बढ़ावा देने के लिए सेमिनार, कार्यशालाएं और फंडिंग की जा रही है. बांग्लादेश में इसका सबसे बड़ा उदाहरण जमात-ए-इस्लामी को दी जा रही मदद है, जिसके संबंध पाकिस्तान की आईएसआई से भी पहले से रहे हैं.
राजनीतिक वापसी की तैयारी
शेख हसीना सरकार ने जहां जमात पर प्रतिबंध लगाया था, वहीं अब नई अस्थायी व्यवस्था (यूनुस शासन) ने उस प्रतिबंध को हटा दिया है और संगठन का राजनीतिक पंजीकरण भी बहाल कर दिया गया है. यही नहीं, 2026 में होने वाले चुनाव में इसके शामिल होने की भी संभावना है.
भारत के लिए खतरे की आहट
भारतीय सुरक्षा विश्लेषकों के अनुसार, तुर्की और पाकिस्तान के खुफिया तंत्र का यह गठजोड़ भारत के लिए एक नई चिंता का विषय है. जमात-ए-इस्लामी के जरिये यह नेटवर्क न केवल कट्टरपंथी विचारधारा को बढ़ावा दे रहा है, बल्कि हथियारों और फंडिंग की आवाजाही का रास्ता भी खोल रहा है.
विशेषज्ञों की चेतावनी
राजनीतिक और सामरिक जानकारों का मानना है कि यदि यह गठबंधन इसी तरह बढ़ता रहा, तो इससे भारत की आंतरिक सुरक्षा और क्षेत्रीय स्थिरता पर गहरा असर पड़ सकता है. यह एक भू-राजनीतिक घेराबंदी की शुरुआत मानी जा रही है, जो भविष्य में आतंकवाद और कट्टरपंथ को और हवा दे सकती है.
ये भी पढ़ेंः महिला कर्मचारियों को ऑफिस के पास मिलेगा सरकारी आवास, नीतीश कैबिनेट से 22 महत्वपूर्ण प्रस्तावों को मंजूरी