आज की जंग सिर्फ बंदूक और टैंक की नहीं, बल्कि तकनीक की है. आधुनिक युद्धों में जिस देश की टेक्नोलॉजी सबसे सटीक, तेज और भरोसेमंद होती है, जीत उसी की मानी जाती है. हाल ही में भारत और पाकिस्तान के बीच हुए संघर्ष में ऐसी ही एक टेक्नोलॉजी ने पूरी दुनिया का ध्यान खींचा — भारत की स्वदेशी 'आकाशतीर' एयर डिफेंस प्रणाली.
इस संघर्ष में पाकिस्तान ने दो बड़े विदेशी हथियारों पर भरोसा जताया था: चीन की लंबी दूरी तक मार करने वाली PL-15 मिसाइल और तुर्की का बहुचर्चित Bayraktar TB2 ड्रोन. लेकिन भारतीय सुरक्षा बलों ने इन दोनों हथियारों को पूरी तरह नाकाम कर दिया, जिससे दुनिया के रक्षा समीकरण हिल गए हैं.
चीन की PL-15 मिसाइल हुई बेअसर, तकनीक का भेद खुला
पाकिस्तान ने PL-15 मिसाइल के जरिए भारत की वायु सुरक्षा में सेंध लगाने की कोशिश की, लेकिन भारत की इंटरसेप्शन टेक्नोलॉजी ने इसे हवा में ही निष्क्रिय कर दिया. यह मिसाइल चीन की सबसे आधुनिक और घातक मानी जाती है, जो फाइटर जेट्स को दूर से ही निशाना बना सकती है.
लेकिन भारत की सटीक एयर डिफेंस प्रणाली ने इस मिसाइल को सही-सलामत इंटरसेप्ट कर उसका मलबा कब्जे में ले लिया. अब खबरें हैं कि अमेरिका, फ्रांस, ऑस्ट्रेलिया, जापान और ताइवान जैसे देश इस मिसाइल के मलबे की जांच के लिए भारत से संपर्क कर रहे हैं. अपुष्ट सूत्रों के अनुसार, भारत ने यह मलबा जापान को सौंप दिया है — यानी चीन की यह मिसाइल अब पूरी तरह 'एक्सपोज' हो चुकी है. इसका अंतरराष्ट्रीय असर चीन की हथियार बाज़ार में साख पर पड़ेगा.
तुर्की का Bayraktar ड्रोन बना नाकामी की मिसाल
जिस ड्रोन को तुर्की ने लीबिया, सीरिया और यूक्रेन में अपनी ताकत का प्रतीक बताया था, वही ड्रोन भारतीय सीमा पर बुरी तरह फेल हो गया. पाकिस्तान ने तुर्की से सैकड़ों ड्रोन खरीदे थे और सोचा था कि ये भारत की सुरक्षा में सेंध लगाएंगे.
लेकिन 'ऑपरेशन सिंदूर' के दौरान भारतीय सेना और वायुसेना ने इन सभी ड्रोन को हवा में ही ध्वस्त कर दिया. टाइम्स ऑफ इंडिया की रिपोर्ट के मुताबिक, भारतीय सेना ने 300 से ज्यादा ड्रोन गिराए, जिनमें Byker YIHA III कामिकेज ड्रोन और Songatri, eYatri जैसे लाइट ड्रोन शामिल थे. भारत की वायुसेना ने साफ कहा कि "एक भी ड्रोन अपने लक्ष्य तक नहीं पहुंच पाया."
आकाशतीर बना गेमचेंजर
इस पूरे ऑपरेशन में जो प्रणाली सबसे ज्यादा चर्चा में रही, वो है भारत का स्वदेशी आकाशतीर एयर डिफेंस सिस्टम. इसे भारत हेवी इलेक्ट्रिकल्स लिमिटेड (BHEL) ने विकसित किया है. यह सिस्टम भारतीय सेना और वायुसेना के रडार नेटवर्क से जुड़कर, खतरे को पहचानता है, उसे ट्रैक करता है और रियल टाइम में उसे खत्म करता है.
कम ऊंचाई पर उड़ने वाले ड्रोन को गिराने में इसने जो सटीकता दिखाई है, उसकी तुलना इजराइल के Iron Dome सिस्टम से की जा रही है. भारतीय अधिकारियों ने कहा कि "आकाशतीर ने बिना कोई शोर मचाए, पूरी दक्षता से हर ड्रोन को निष्क्रिय किया."
तुर्की की डिफेंस इंडस्ट्री पर गहराया संकट
तुर्की के राष्ट्रपति रेचेप तैय्यप एर्दोगन के लिए यह एक बड़ी रणनीतिक हार मानी जा रही है. एर्दोगन हमेशा से Bayraktar TB2 ड्रोन को तुर्की की इस्लामी पहचान और आत्मनिर्भर रक्षा नीति का प्रतीक मानते रहे हैं. लेकिन भारत में इस तकनीक की नाकामी के बाद अब तुर्की को हथियारों की बिक्री में मुश्किलें आ सकती हैं.
अमेरिकन एंटरप्राइज इंस्टीट्यूट के विश्लेषक माइकल रुबिन ने कहा कि "Baykar कंपनी, जो इस ड्रोन को बनाती है, एर्दोगन के परिवार से जुड़ी है और उसे सरकारी संरक्षण मिला हुआ है. इसी कारण ड्रोन की क्वालिटी पर ध्यान नहीं दिया गया और अब नतीजा सामने है."
पाकिस्तान की योजना नाकाम, भारत बना नई ताकत
पाकिस्तान की उम्मीद थी कि तुर्की के ड्रोन भारतीय वायु सुरक्षा को छेद देंगे, जिससे जमीनी और हवाई हमलों का रास्ता साफ होगा. लेकिन 'आकाशतीर' ने उनकी योजना को पलभर में नाकाम कर दिया. अब पाकिस्तान अपने एयरबेस को दोबारा तैयार कर रहा है, जबकि तुर्की को दुनिया के सामने अपने डिफेंस सिस्टम की साख बचाने की चुनौती है.
वैश्विक ड्रोन्स और एंटी-ड्रोन मार्केट में एंट्री
अब दुनिया के कई देश जो तुर्की के ड्रोन से चिंतित थे, वे भारत के आकाशतीर सिस्टम में रुचि दिखा रहे हैं. ड्रोन फेडरेशन ऑफ इंडिया के प्रमुख स्मित शाह ने बताया कि भारत अगले दो वर्षों में अपने ड्रोन सेक्टर में तीन गुना निवेश करेगा.
'ऑपरेशन सिंदूर' ने दिखा दिया है कि भारत अब न केवल रक्षा में आत्मनिर्भर है, बल्कि तकनीक के मोर्चे पर भी वैश्विक ताकत बनने की राह पर है. तुर्की के ड्रोन इंडस्ट्री की कमर टूट चुकी है — और भारत की 'आकाशतीर' प्रणाली अब भविष्य की सुरक्षा का नया चेहरा बन गई है.
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