जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए हालिया आतंकी हमले के बाद से पाकिस्तान में बेचैनी का माहौल है. भारत के कड़े रुख और प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी की चेतावनी ने पाकिस्तान की नींद उड़ा दी है. भले ही इस आतंकी हमले को बीते अब 5 दिन हो चुके हैं, लेकिन पाकिस्तान में खतरे की घंटी अभी भी बज रही है. इसका असर न सिर्फ सड़कों पर, बल्कि सत्ता के गलियारों में भी साफ देखा जा सकता है.
सुरक्षा के नाम पर कराची में धारा 144 लागू
पाकिस्तान की आर्थिक राजधानी कराची में हालात इतने तनावपूर्ण हो गए हैं कि प्रशासन ने वहां धारा 144 लागू कर दी है. कराची पुलिस कमिश्नर ने इस फैसले को सुरक्षा कारणों और भीड़भाड़ को नियंत्रित करने की कोशिश बताया है. बताया गया है कि यह आदेश अगले तीन महीनों तक लागू रहेगा. लोगों को अनावश्यक रूप से घरों से बाहर न निकलने की सलाह दी गई है. ध्यान देने वाली बात यह है कि कराची पाकिस्तान की सबसे संवेदनशील और महत्वपूर्ण वित्तीय नगरी है, और वहां ऐसे प्रतिबंध का लगाया जाना सामान्य परिस्थिति नहीं माना जा सकता.
इस्लामाबाद में हाई-लेवल बैठकों का दौर
राजनीतिक और सैन्य स्तर पर भी हलचल तेज हो गई है. प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ और आर्मी चीफ असीम मुनीर लगातार अलग-अलग उच्च स्तरीय बैठकों में शामिल हो रहे हैं. वहीं, विदेश मंत्री इशाक डार ने बांग्लादेश की अपनी प्रस्तावित यात्रा रद्द कर दी है ताकि वह लगातार बैठकों में शामिल हो सकें. उनकी दिनचर्या में हर दिन 2-3 बैठकें शामिल हो चुकी हैं—जो बताता है कि पाकिस्तान अंदर ही अंदर किसी बड़े एक्शन की आशंका से घबराया हुआ है.
मुस्लिम देशों और वैश्विक ताकतों से मदद की अपील
स्थिति को काबू में करने के लिए पाकिस्तान ने मुस्लिम देशों का रुख किया है. विदेश मंत्री डार ने सऊदी अरब, ईरान, कतर और तुर्की के समकक्षों से बात की है और आग्रह किया है कि वे भारत से संवाद के लिए दबाव बनाएं. पाकिस्तान चाहता है कि क्षेत्रीय देशों की मदद से स्थिति को 'नियंत्रित' किया जाए.
इतना ही नहीं, पाकिस्तान ने अमेरिका और ईरान जैसे वैश्विक प्रभावशाली देशों से भी सीधे हस्तक्षेप करने की अपील की है. पाकिस्तानी नेतृत्व का मानना है कि अगर भारत ने बात नहीं मानी, तो स्थिति विस्फोटक हो सकती है. पूर्व विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो ने खुले तौर पर कहा है कि भारत से बातचीत के प्रयास हो रहे हैं, लेकिन कोई जवाब नहीं मिल रहा.
इतिहास के डर से सहमा पाकिस्तान
पाकिस्तान को डर है कि भारत की प्रतिक्रिया सीमित नहीं रहेगी. उसे 2016 के उरी हमले और 2019 के पुलवामा हमले के बाद की भारत की सर्जिकल स्ट्राइक्स याद हैं. दोनों ही हमलों के 10-12 दिन के भीतर भारत ने जवाबी कार्रवाई की थी. अब एक बार फिर, प्रधानमंत्री मोदी द्वारा आतंकवाद को "मिट्टी में मिलाने" की प्रतिज्ञा और राष्ट्रीय आक्रोश को देखते हुए पाकिस्तान को आशंका है कि भारत फिर से निर्णायक कदम उठा सकता है.
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