पृथ्वी, अग्नि VS शाहीन, गौरी... भारत और पाकिस्तान के बीच हुई जंग तो किसकी मिसाइलें पड़ेंगी भारी?

    जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हाल ही में हुए आतंकी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव नए स्तर पर पहुंच गया है. कूटनीतिक समझौतों की समीक्षा से लेकर सीमावर्ती क्षेत्रों में गोलीबारी तक, माहौल में अस्थिरता महसूस की जा रही है. दोनों देशों के पास परमाणु हथियारों से लैस मिसाइल प्रणाली होने के कारण यह टकराव वैश्विक चिंता का विषय बन चुका है.

    Prithvi Agni VS Shaheen Gauri If there is a war between India and Pakistan whose missiles will prevail
    प्रतीकात्मक तस्वीर/Photo- ANI

    नई दिल्ली/इस्लामाबाद: जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हाल ही में हुए आतंकी हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के बीच तनाव नए स्तर पर पहुंच गया है. कूटनीतिक समझौतों की समीक्षा से लेकर सीमावर्ती क्षेत्रों में गोलीबारी तक, माहौल में अस्थिरता महसूस की जा रही है. दोनों देशों के पास परमाणु हथियारों से लैस मिसाइल प्रणाली होने के कारण यह टकराव वैश्विक चिंता का विषय बन चुका है.

    ऐसे समय में यह ज़रूरी हो जाता है कि दोनों देशों की रणनीतिक क्षमताओं की वस्तुनिष्ठ समीक्षा की जाए—विशेषकर मिसाइल प्रणालियों के संदर्भ में.

    भारत की मिसाइल प्रणाली

    भारत ने रक्षा अनुसंधान एवं विकास संगठन (DRDO) की अगुवाई में स्वदेशी मिसाइल प्रणाली का विकास किया है. इसकी प्रमुख बैलिस्टिक मिसाइलें हैं:

    पृथ्वी सीरीज:

    पृथ्वी-1: 150 किमी रेंज, थलसेना के लिए

    पृथ्वी-2: 250–350 किमी रेंज, वायुसेना के लिए

    पृथ्वी-3: 350 किमी रेंज, नौसेना के लिए

    अग्नि सीरीज:

    अग्नि-1: 700 किमी

    अग्नि-3: 2,000 किमी

    अग्नि-4: 4,000 किमी

    अग्नि-5: 5,000 किमी (ICBM श्रेणी)

    भारत की मिसाइलें पारंपरिक और परमाणु दोनों तरह के पेलोड ले जाने में सक्षम हैं. भारत अब MIRV तकनीक पर काम कर रहा है, जिससे एक मिसाइल कई लक्ष्यों को अलग-अलग भेद सकेगी.

    पाकिस्तान की मिसाइल प्रणाली

    पाकिस्तान की मिसाइल तकनीक काफी हद तक उत्तर कोरिया और चीन से मिली तकनीकी सहायता पर आधारित रही है:

    गौरी सीरीज:

    गौरी-1: 1,100 किमी

    गौरी-2: 1,800–2,000 किमी (उत्तर कोरियाई Nodong आधारित)

    शाहीन सीरीज:

    शाहीन-1: 750 किमी

    शाहीन-2: 1,500–2,000 किमी

    शाहीन-3: 2,750 किमी (सैद्धांतिक रूप से भारत के अंडमान-निकोबार तक पहुंच)

    इन मिसाइलों की सटीकता और विश्वसनीयता को लेकर विशेषज्ञों में मतभेद हैं, हालांकि पाकिस्तान ने हाल के वर्षों में परीक्षणों के ज़रिए अपनी क्षमताएं दर्शाने की कोशिश की है.

    क्या होगा अगर टकराव हुआ?

    मिसाइल क्षमता किसी भी देश के सामरिक डिटरेंस यानी रोकथाम नीति का हिस्सा होती है. विशेषज्ञ मानते हैं कि भारत की मिसाइल प्रणाली तकनीकी रूप से अधिक उन्नत और व्यापक है, लेकिन किसी भी प्रकार का टकराव दोनों देशों के लिए विनाशकारी हो सकता है. इसी कारण, ऐसे तनावपूर्ण हालातों में संयम, कूटनीति और संवाद की अहमियत सबसे ज़्यादा होती है.

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