पहलगाम हमले के बाद भारत के मुस्लिमों में आक्रोश, कहा- पाकिस्तान बॉर्डर खोल दो, साबित कर देंगे कि...

    22 जनवरी को पहलगाम की बैसरन घाटी में हुए आतंकी हमले के बाद, देश भर में ग़म, ग़ुस्से और एकता की गूंज सुनाई दी. हमले में मारे गए 26 निर्दोष लोगों की याद में आज जुमे की नमाज के बाद मुस्लिम समुदाय ने न सिर्फ शोक व्यक्त किया, बल्कि आतंक के खिलाफ सशक्त और शांतिपूर्ण विरोध दर्ज कराया.

    After Pahalgam attack Indian Muslims are angry said- open the border with Pakistan we will prove that
    प्रतीकात्मक तस्वीर/Photo- Internet

    नई दिल्ली: 22 जनवरी को पहलगाम की बैसरन घाटी में हुए आतंकी हमले के बाद, देश भर में ग़म, ग़ुस्से और एकता की गूंज सुनाई दी. हमले में मारे गए 26 निर्दोष लोगों की याद में आज जुमे की नमाज के बाद मुस्लिम समुदाय ने न सिर्फ शोक व्यक्त किया, बल्कि आतंक के खिलाफ सशक्त और शांतिपूर्ण विरोध दर्ज कराया.

    काली पट्टियों के साथ दिया संदेश

    लखनऊ की ऐतिहासिक टीले वाली मस्जिद हो या भोपाल की बड़ी ईदगाह – नमाज अदा करने आए लोगों ने काली पट्टियां बांधकर यह जताया कि वे आतंकवाद के किसी भी स्वरूप को खारिज करते हैं. यह प्रतीक था दुख, शोक और एक दृढ़ संकल्प का – कि देश में अमन-शांति बनी रहे, और इंसानियत पर कोई हमला बर्दाश्त नहीं किया जाएगा.

    हमें सरहद पर भेज दो, वफादारी साबित करेंगे

    भोपाल में हुए विरोध प्रदर्शन के दौरान कई लोगों ने यह भावुक अपील की कि यदि जरूरत पड़े, तो देश का मुस्लिम समुदाय सरहद की रक्षा के लिए भी तैयार है. एक प्रदर्शनकारी ने कहा, "हम साबित कर देंगे कि हिंदुस्तान का मुसलमान हमेशा अपने देश के साथ खड़ा है."

    धर्म का नाम बदनाम न किया जाए- फजलुल

    लखनऊ के शाही इमाम मौलाना कारी सैयद फजलुल मन्नान रहमानी ने कहा, "हम प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के हर उस फैसले का समर्थन करेंगे, जो देश की सुरक्षा के लिए होगा. आतंकवादियों को सख्त से सख्त सजा मिलनी चाहिए."

    भोपाल में मौलाना अनस अली ने कुरान की आयत का हवाला देते हुए कहा, "जिसने एक मासूम की जान ली, उसने पूरी इंसानियत को मारा. यह हमला सिर्फ लोगों पर नहीं, बल्कि मानवता पर हमला है."

    महिलाओं ने कहा- हम सुरक्षित भविष्य चाहते हैं

    प्रदर्शन में महिलाओं की भागीदारी भी उल्लेखनीय रही. कई महिलाओं ने कहा कि वे अपने बच्चों को ऐसा भारत देना चाहती हैं जहां शांति, भाईचारा और सुरक्षा हो – जहां आतंकवाद जैसे खतरे ना हों.

    आतंक के खिलाफ एकजुटता का पैगाम

    काली पट्टी का विरोध एक प्रतीक बन गया है – देश के मुसलमानों की तरफ से यह सीधा संदेश कि आतंकवाद किसी धर्म का प्रतिनिधित्व नहीं करता. और जो लोग मजहब के नाम पर खून बहाते हैं, वे इंसानियत के दुश्मन हैं.

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