कश्मीर में सेना की बड़ी कार्रवाई, दो और आतंकियों का घर ध्वस्त; अब 'मौत की दुआ' मांगेंगे!

    जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए भयावह आतंकी हमले के बाद सुरक्षा बलों ने घाटी में आतंकवाद के खिलाफ अपना अभियान तेज कर दिया है.

    Army Kashmir terrorists houses demolished
    प्रतीकात्मक तस्वीर | Photo: ANI

    जम्मू-कश्मीर के पहलगाम में हुए भयावह आतंकी हमले के बाद सुरक्षा बलों ने घाटी में आतंकवाद के खिलाफ अपना अभियान तेज कर दिया है. सेना की जवाबी कार्रवाई अब और अधिक निर्णायक और आक्रामक होती दिख रही है. घाटी के अलग-अलग हिस्सों में आतंकियों के ठिकानों को निशाना बनाकर ध्वस्त किया जा रहा है.

    शुक्रवार को पुलवामा जिले में दो कुख्यात आतंकियों के मकानों को विस्फोट से उड़ाया गया. पहला केस जैश-ए-मोहम्मद से जुड़े आतंकवादी अहसान उल हक का है, जिसने 2018 में पाकिस्तान जाकर आतंकी ट्रेनिंग ली थी. हाल ही में घाटी में फिर से सक्रिय हुआ अहसान पुलवामा के मुर्रान इलाके का निवासी है. सुरक्षा बलों ने उसके घर को विस्फोट से ध्वस्त कर दिया.

    लश्कर-ए-तैयबा के आतंकी का घर जमींदोज

    वहीं, पुलवामा के ही काचीपोरा इलाके में लश्कर-ए-तैयबा के आतंकी हारिस अहमद के घर को भी जमींदोज कर दिया गया. हारिस पिछले साल यानी 2023 से घाटी में आतंकी गतिविधियों में संलिप्त था. इन कार्रवाइयों के बीच कुलगाम जिले से भी हथियार और गोला-बारूद के साथ दो संदिग्धों को गिरफ्तार किया गया है.

    इससे पहले गुरुवार रात को अनंतनाग और पुलवामा में लश्कर के दो और आतंकियों – आदिल हुसैन थोकर और आसिफ शेख के घरों में तलाशी अभियान के दौरान विस्फोट हुआ, जिससे उनके मकान पूरी तरह तबाह हो गए. आदिल को पहलगाम आतंकी हमले का मुख्य साजिशकर्ता माना जा रहा है, जबकि आसिफ शेख पर भी साजिश में शामिल होने का शक है.

    भीषण हमला जिसने देश को दहला दिया

    मंगलवार को पहलगाम के बायसरन घाटी में सेना की वर्दी पहने आतंकियों ने पर्यटकों पर अंधाधुंध फायरिंग कर दी थी. हमलावरों ने पहले धर्म पूछा, पहचान पत्र देखे और फिर हिंदू होने पर गोलियां बरसा दीं. इस बर्बर हमले में 26 लोगों की जान चली गई, जिनमें ज्यादातर पर्यटक थे. मृतकों में एक नेपाली और दो स्थानीय नागरिक भी शामिल हैं.

    हमले की जिम्मेदारी TRF ने ली

    इस दर्दनाक हमले की जिम्मेदारी पाकिस्तान समर्थित आतंकी संगठन लश्कर-ए-तैयबा से जुड़े फ्रंट "द रेजिस्टेंस फ्रंट" (TRF) ने ली है. इस घटना को अमरनाथ यात्रा से कुछ दिन पहले अंजाम दिया गया, जिसे सुरक्षा एजेंसियां एक बड़ी साजिश के तौर पर देख रही हैं. विशेषज्ञों के अनुसार, यह हमला 2019 के पुलवामा आतंकी हमले के बाद जम्मू-कश्मीर में सबसे बड़ा आतंकी हमला है.

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