नई दिल्ली: Apple भारत को लेकर बड़ी बाज़ी खेलने जा रहा है. कंपनी की योजना है कि 2026 तक अमेरिका में बिकने वाले लगभग सभी iPhone भारत में ही बनाए जाएं. चीन पर अपनी डिपेंडेंसी घटाते हुए Apple अब भारत को मैन्युफैक्चरिंग का ग्लोबल सेंटर बना रहा है.
भारत में iPhone प्रोडक्शन को बड़ा बूस्ट
2026 तक भारत में हर साल 6 करोड़ से ज़्यादा iPhone बनाए जाएंगे – जो मौजूदा उत्पादन क्षमता से करीब दोगुना है. इस कदम से न केवल भारत में मैन्युफैक्चरिंग इकोसिस्टम को बढ़ावा मिलेगा, बल्कि Apple को अमेरिकी टैरिफ से भी राहत मिलेगी, जिससे कंपनी की ऑपरेटिंग कॉस्ट पर पॉज़िटिव असर होगा.
क्यों Apple ने भारत को चुना?
Apple की यह शिफ्ट कोई अचानक लिया गया फैसला नहीं है. इसके पीछे कई ठोस वजहें हैं:
सप्लाई चेन में डायवर्सिफिकेशन: चीन में बढ़ती जियोपॉलिटिकल अनिश्चितता और टैरिफ वॉर्स के चलते Apple अब एक more resilient सप्लाई चेन पर फोकस कर रहा है.
लोअर मैन्युफैक्चरिंग कॉस्ट: भारत में सस्ती और उपलब्ध लेबर, साथ ही इंपोर्ट ड्यूटी से बचने का फायदा – यह सब मिलकर भारत को प्रोडक्शन के लिए एक आकर्षक डेस्टिनेशन बनाते हैं.
सरकारी इंसेंटिव्स: भारत सरकार की मेक इन इंडिया और PLI स्कीम्स के तहत Apple के मैन्युफैक्चरिंग पार्टनर्स – जैसे Foxconn, Tata Electronics और Pegatron – को फाइनेंशियल सपोर्ट मिल रहा है.
तेजी से बढ़ता प्रोडक्शन और एक्सपोर्ट
मार्च 2024 से मार्च 2025 के बीच भारत में $22 बिलियन (₹1.88 लाख करोड़) मूल्य के iPhone बने – यानी 60% की सालाना ग्रोथ. इनमें से $17.4 बिलियन (₹1.49 लाख करोड़) के iPhones विदेशों में एक्सपोर्ट हुए. आज हर पांच में से एक iPhone भारत में बन रहा है.
भारत का iPhone इकोसिस्टम
भारत में iPhone का निर्माण मुख्यतः तमिलनाडु और कर्नाटक में स्थित फैक्ट्रियों में होता है. Foxconn यहाँ सबसे बड़ा मैन्युफैक्चरिंग पार्टनर है, वहीं Tata और Pegatron भी तेजी से निवेश और उत्पादन क्षमता बढ़ा रहे हैं. कर्नाटक में Foxconn का नया $2.7 बिलियन (₹23,000 करोड़) का प्लांट इसका सबूत है.
बाजार में भी है बड़ा पोटेंशियल
Apple भारत में अभी केवल 6-8% स्मार्टफोन मार्केट शेयर रखता है, लेकिन मिडिल क्लास की बढ़ती इनकम और प्रीमियम फोन की डिमांड से कंपनी को बड़े स्केल पर ग्रोथ की उम्मीद है. FY 2024 में Apple की भारत में बिक्री $8 बिलियन तक पहुंच चुकी है – यह बताता है कि ब्रांड की पॉपुलैरिटी लगातार बढ़ रही है.
क्या भारत बनेगा नया चीन?
भारत फिलहाल चीन के मुकाबले स्किल्ड वर्कफोर्स और सप्लाई चेन डेंसिटी में पीछे है, लेकिन यही गैप तेजी से भर रहा है. Training, इन्फ्रास्ट्रक्चर इन्वेस्टमेंट और पॉलिसी सपोर्ट – ये तीनों Apple के लिए भारत को एक लॉन्ग टर्म मैन्युफैक्चरिंग डेस्टिनेशन बना रहे हैं.
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