पहलगाम में हुए आतंकी हमले के बाद भारत ने पाकिस्तान के प्रति सख्त रुख अपनाया है. भारत सरकार ने इस हमले के अगले दिन एक बड़ा और कड़ा फैसला लेते हुए पाकिस्तान के साथ 1960 में हुई सिंधु जल संधि को स्थगित करने का निर्णय लिया. भारत ने स्पष्ट किया कि अब पानी की एक-एक बूंद पर नियंत्रण भारत का होगा, और पाकिस्तान को जाने वाली धारा को रोका जाएगा.
अमित शाह के घर बना पूरा प्लान
इस गंभीर निर्णय को लागू करने की दिशा में तेजी से कदम उठाए जा रहे हैं. शुक्रवार को केंद्रीय गृह मंत्री अमित शाह के आवास पर एक उच्चस्तरीय बैठक आयोजित की गई, जिसमें जलशक्ति मंत्री सी. आर. पाटिल, कई वरिष्ठ नौकरशाह और तकनीकी विशेषज्ञ मौजूद रहे. बैठक में सिंधु जल संधि को रोकने की रणनीति, तकनीकी व्यवहार्यता और पानी के संरक्षण को लेकर गहन चर्चा हुई.
सूत्रों के अनुसार, बैठक में यह सुनिश्चित करने की बात कही गई कि "अब से एक बूंद भी पानी पाकिस्तान की सीमा में न पहुंचे." इसके लिए बांधों और जलाशयों के निर्माण सहित वैकल्पिक उपायों पर चर्चा की गई है, ताकि सिंधु नदी के पश्चिमी जल को भारत में ही रोका और उपयोग किया जा सके.
क्या है सिंधु संधि?
साल 1960 में भारत और पाकिस्तान के बीच हुए इस जल-बंटवारे के समझौते में विश्व बैंक की मध्यस्थता रही थी. संधि के तहत सिंधु बेसिन की छह नदियों को दो भागों में बाँटा गया था—पूर्वी नदियाँ (ब्यास, रावी और सतलुज) भारत को मिलीं, जबकि पश्चिमी नदियाँ (सिंधु, झेलम और चिनाब) पाकिस्तान के नियंत्रण में रहीं.
भारत ने जारी की आधिकारिक अधिसूचना
भारत ने सिंधु जल संधि को तत्काल प्रभाव से स्थगित करने के अपने फैसले से पाकिस्तान को अवगत कराया है. इसके आधिकारिक नोटिस जारी किया गया है. पत्र में कहा गया है कि जम्मू-कश्मीर को निशाना बनाकर पाकिस्तान द्वारा सीमा पार से लगातार आतंकवाद सिंधु जल संधि के तहत भारत के अधिकारों को बाधित करता है. पत्र में कहा गया है, इसके बजाय हमने पाकिस्तान द्वारा सीमा पार से लगातार आतंकवाद को देखा है, इस बात पर ध्यान देते हुए कि इन कार्रवाइयों ने सुरक्षा अनिश्चितताएं पैदा की हैं जो भारत की संधि अधिकारों का पूरी तरह से उपयोग करने की क्षमता को बाधित करती हैं.
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